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सुस्त पड़ा भारत का इकलौता नर वनमानुष

- रोहित घोष (कानपुर से)

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BBC
कानपुर चिड़ियाघर में मंगल की खास देखभाल हो रही है। और हो भी क्यों न? एक वनमानुष की औसत आयु 30 साल होती है। मंगल 35 साल का हो चुका है और भारत में वह अकेला नर वनमानुष है।

मंगल को आजकल रोज़ एक लीटर दूध, 800 ग्राम ब्रेड, ढाई किलो केले, मौसमी फल, दो उबले अंडे और शहद दिया जाता है। चिड़ियाघर के कर्मचारी 24 घंटे उसकी निगरानी कर रहे हैं।

मंगल का जन्म कानपुर चिड़ियाघर में ही 13 नवंबर, 1979 को हुआ था।

कानपुर चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डॉक्टर यूसी श्रीवास्तव ने कहा, 'मंगल कानपुर के लिए ही नहीं पूरे भारत के लिए धरोहर से कम नहीं है। यह भारत का अकेला नर वनमानुष है। एक मादा वनमानुष ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित नंदन कानन चिड़ियाघर में है।'

उन्होंने कहा, 'मंगल का इस दुनिया से जाना हमारे लिए एक ऐसी क्षति होगी जिसकी भरपाई कभी नहीं हो सकेगी। भारत में फिर शायद कभी वनमानुष देखने को न मिले।'

'बूढ़ा, पर स्वस्थ' : वनमानुष सिर्फ इंडोनेशिया और मलेशिया के जंगलों में पाए जाते हैं। डॉक्टर श्रीवास्तव ने कहा, 'आजकल दो देशों के बीच जानवरों का आदान-प्रदान वर्जित हो चुका है। एक जानवर को दूसरे देश ले जाना, जहां की जलवायु उसके अनुकूल नहीं है, जानवर के प्रति क्रूरता माना जाने लगा है।'

वे बताते हैं कि मनुष्य जाति के सबसे करीब होने के कारण इंडोनेशिया और मलेशिया में शोध के लिए बड़ी संख्या में वनमानुषों को मारा गया है। इसीलिए 'अब वहां भी वनमानुषों की संख्या अधिक नहीं है और उन्हें बचाया जा रहा है।'

डॉक्टर श्रीवास्तव कहते हैं, 'अगर मंगल अलविदा कह देता है तो हमें दूसरा वनमानुष शायद ही मिले।' उनके मुताबिक, 'मंगल बूढ़ा हो गया है, पर स्वस्थ है। कोई भी जानवर जब बीमार होता है तो उसकी भूख मर जाती है। पर मंगल के साथ ऐसा नहीं है।' वह कहते हैं कि मंगल कभी अपने करतबों से लोगों को खूब हंसाता था। पर उम्र के कारण अब सुस्त पड़ गया है।

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