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हिंदू-मुस्लिम आबादी की पेचीदगी को समझें

हमें फॉलो करें हिंदू-मुस्लिम आबादी की पेचीदगी को समझें
, सोमवार, 2 नवंबर 2015 (11:12 IST)
भारत में पिछले 10 सालों में हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी बढ़ने की रफ्तार में गिरावट आई है। ऐसा भारत में जनसंख्या में बढ़ोतरी की दर में आई कमी की वजह से हुआ है। हिंदू, मुस्लिम ही नहीं, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन, इन सभी समुदायों की जनसंख्या वृद्धि की दर में गिरावट आई है।
भारत में जनगणना हर दस साल में होती है। साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि दर 16.76 फीसद रही जबकि 10 साल पहले हुई जनगणना में ये दर 19।92 फीसद पाई गई थी।
 
यानी, देश की कुल आबादी में जुड़ने वाले हिंदुओं की तादाद में 3.16 प्रतिशत की कमी आईहै। मुसलमानों की जनसंख्या में बढ़ोतरी की बात की जाए तो उसमें ज़्यादा बड़ी गिरावट देखी गई है। पिछली जनगणना के मुताबिक भारत में मुसलमानों की आबादी 29.5 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी जो अब गिरकर 24.6 फ़ीसद हो गई है।
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ये कहा जा सकता है कि भारत में मुसलमानों की दर अब भी हिंदुओं की जनसंख्या वृद्धि दर से अधिक है, लेकिन यह भी सच है कि मुसलमानों की आबादी बढ़ने की दर में हिंदुओं की तुलना में अधिक गिरावट आई है।
 
वहीं, ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि दर 15.5 फीसद, सिखों की 8.4 फ़ीसद, बौद्धों की 6.1 फीसद और जैनियों की 5.4 फीसद है।
 
जनसंख्या की कहानी : जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में हिंदुओं की आबादी 96.63 करोड़ है, जो कि कुल जनसंख्या का 79.8 फीसद है। वहीं मुसलमानों की आबादी 17.22 करोड़ है, जो कि जनसंख्या का 14.23 फीसद होता है।
 
ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है, जो कि कुल जनसंख्या का 2।3 फीसद और सिखों की आबादी 2.08 करोड़ (2.16 फीसद) और बौद्धों की आबादी 0.84 करोड़ (0.7 फीसद) है। वहीं 29 लाख लोगों ने जनगणना में अपने धर्म का जिक्र नहीं किया। 
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पिछले एक दशक में जनसंख्या 17.7 फ़ीसद की दर से बढ़ी है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच मुसलमानों की आबादी 0.8 फीसद बढ़ी हैं तो हिंदुओं की आबादी में 0.7 फीसद की कमी दर्ज की गई।
 
साल 2001 में हुई जनगणना के मुताबिक भारत की कुल आबादी 102 करोड़ थी। इसमें हिंदुओं की जनसंख्या 82.75 करोड़ (80.45 फीसद ) और मुसलमानों की आबादी 13.8 करोड़ (13.4 फीसद) थी।
 
जातिगत आंकड़े अभी नहीं : फिलहाल सरकार ने जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी नहीं किए हैं। राजद, जदयू और डीएमके सरकार पर लगातार दबाब बना रहे हैं कि वो जातिगत जनगणना के आंकड़े भी सार्वजनिक करे।
 
जनसंख्या के सामाजिक आर्थिक स्तर आधारित आंकड़े इस साल तीन जुलाई को जारी किए गए थे। आंकड़ों के मुताबिक 2011 में भारत की जनसंख्या 121.09 करोड़ थी।

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