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जिनपिंग का पाक दौरा: भारत के लिए चिंता?

हमें फॉलो करें जिनपिंग का पाक दौरा: भारत के लिए चिंता?
, बुधवार, 22 अप्रैल 2015 (13:20 IST)
- श्रुति अरोड़ा (बीबीसी मॉनिटरिंग)
 
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग 20 और 21 अप्रैल को पाकिस्तान में होंगे। इस दौरे पर भारत सरकार के रणनीतिकारों की भी खूब नजर होगी। चीन पाकिस्तान में 50 अरब डॉलर के निवेश का ऐलान कर सकता है।
पाकिस्तान और चीन के मीडिया की खबरों को मानें तो 50 अरब डॉलर में से एक बड़ा हिस्सा एक 'चाइना-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडोर' बनाने में खर्च किया जाएगा। इस कॉरीडोर के जरिए चीन, पाकिस्तान के दक्षिण में मौजूद ग्वादर बंदरगाह तक सड़क मार्ग से भी जुड़ जाएगा।
 
ग्वादर से भारत क्यों परेशान? : भारत के लिए चिंता की बात ये भी हो सकती है कि इस नए बंदरगाह को चीन आगे चल कर एक नौसेनिक केंद्र के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। पाकिस्तान की सरकारी न्यूज एजेंसी एपीपी ने 17 अप्रैल को कहा था कि चीन ग्वादर बंदरगाह में काम शुरु कर चुका है।
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इस बंदरगाह से चीन को अरब की खाड़ी और होर्मूज की खाड़ी में सीधा प्रवेश मिल गया है जो पश्चिम एशिया के तेल बाहर भेजने के रास्तों के बेहद नजदीक है। भारत अपनी तेल की ज़रूरत का सबसे बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया से आयात करता है।
 
ग्वादर में चीन का बंदरगाह भारत के लिए भी बड़ा सिरदर्द बन सकता है। भारत ने हाल ही में बड़ी मुश्किल से श्रीलंका को अपने यहां चीन को बंदरगाह बनाने से रोकने के लिए राजी किया है जिस वजह से चीन भारत और श्रीलंका दोनों से नाराज है।
 
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अन्य सामरिक समझौते : खबरों के अनुसार पाकिस्तान चीन से आठ पनडुब्बियां भी खरीदेगा। इस बाबत समझौता भी इसी यात्रा के दौरान हो सकता है। ये सौदा लगभग 5 अरब डॉलर का हो सकता है।
 
हांग-कांग से प्रकाशित होने वाले अखबार साऊथ चाइना मार्निंग पोस्ट ने कहा है कि अफगानिस्तान में सुरक्षा के मसले पर दोनों देशों के बीच बेहतर समझ और अधिक समन्वय पर बात हो सकती है। पाकिस्तान को लगता है कि इससे वो अफगानिस्तान में भारत के बढ़ते प्रभाव को कम कर सकता है।
 
इसके अलावा चीन ग्वादर से लेकर शिनजियांग के वीगर इलाकों तक 3000 किलोमीटर लंबी एक सड़क भी बनाने की तैयारी में है। भारत में इस सड़क को एक और सामरिक चुनौती के रूप में देखा जा सकता है।
 
इससे चीन को क्या हासिल होगा? : ग्वादर से लेकर शिनजियांग तक इससे चीन के लिए पश्चिम एशिया से अपने यहां तेल पहुंचाना आसान और काफी ज्यादा सस्ता होगा। इसके अलावा चीन को यह भी उम्मीद है कि इसके जरिए वो अपने शिनजियांग राज्य में वीगर पृथकतावादी आंदोलन पर भी लगाम लगा सकते हैं। इस सबके अलावा यह भारत पर सामरिक दबाव वनाए रखने का अच्छा तरीका है।

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