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तलाक से झगड़ों तक: ऐसा है ट्रंप का अमेरिका

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, शनिवार, 11 फ़रवरी 2017 (11:48 IST)
डॉनल्ड ट्रंप ने अमेरिका को बांट दिया है। उनके चुनाव ने देश के लोगों के बीच दीवारें खड़ी कर दी हैं। लेकिन ये दीवारें कितनी बड़ी होंगी? कितनी ऊंची? गेल मैक्कार्मिक से पूछिए।
गेल मैक्कार्मिक अपने पार्टनर से अलग हो गई हैं। 22 साल लंबी उनकी शादी टूट गई है। गेल कैलिफॉर्निया की जेल में गार्ड के पद से रिटायर हुई हैं। वह खुद को समाजवाद की ओर झुकाव रखने वाली डेमोक्रैट बताती हैं। लेकिन तब उन्हें बड़ा धक्का लगा जब बीते साल यूं ही लंच के दौरान उनके पति ने अपने दोस्तों से कहा कि वह तो ट्रंप को वोट देंगे। 73 साल की गेल कहती हैं कि इस खुलासे ने ही सब कुछ तोड़ दिया।

वह बताती हैं, "इस बात ने मुझे एकदम दूर कर दिया कि वह ट्रंप के लिए वोट कर सकते हैं। मुझे ऐसा लगा कि मैं खुद को धोखा दे रही हूं। इस खुलासे ने हमारे बीच ऐसे भेद सामने ला दिये जो पहले कभी नहीं दिखे थे। मुझे अहसास हुआ कि मैं अपनी जिंदगी में कुछ न कुछ बर्दाश्त करते हुए कितना दूर निकल आई हूं। वो सब बर्दाश्त करते हुए, जो अपनी जवानी के दिनों में मैं कभी ना करती।" गेल कहती हैं कि उनके रिपब्लिकन पति से उन्हें दिक्कत नहीं थी लेकिन ट्रंप का समर्थन बर्दाश्त से बाहर था।
 
अमेरिकी इतिहास के सबसे विभाजक चुनाव को तीन महीने बीत चुके हैं। लेकिन अमेरिका आज भी उसी बिखराव और टूट से गुजर रहा है जो तीन महीने पहले जिंदगियों में आया था। अब भी आपको ऐसे अमेरिकी मिल जाएंगे जिनके घाव हरे हैं। रॉयटर्स और इप्सोस के एक सर्वे के मुताबिक रिपब्लिकन और डेमोक्रैट्स के बीच खाई अब भी बढ़ रही है। समाजशास्त्री और राजनीतिशास्त्री कहते हैं कि ऐसे माहौल में राजनीतिक समझौते और बीच के रास्ते और मुश्किल होते जाएंगे।
 
रॉयटर्स-इप्सोस के सर्वे में 27 दिसंबर से 18 जनवरी के बीच 6426 लोगों से बात की गई। इस बातचीत के दौरान पता चला कि परिजनों, रिश्तेदारों और दोस्तों के बीच राजनीतिक बहसें चुनाव पूर्व 6 फीसदी से बढ़कर अब 39 फीसदी पर पहुंच गई हैं। 16 फीसदी लोगों ने इस बहस के कारण किसी जानकार, दोस्त या रिश्तेदार से बात बंद कर दी है। चुनाव से पहले ऐसे लोग 15 प्रतिशत थे। 13 प्रतिशत लोगों का कोई न कोई रिश्ता इस कारण खत्म हो गया है। अक्टूबर में ऐसे लोग 12 प्रतिशत थे। ओहायो के एक ट्रंप समर्थक ट्रक ड्राइवर रॉब ब्रुनेलो को अपने परिजनों और दोस्तों से खूब ताने सुनने पड़े हैं। वह कहते हैं, "मेरे लिए तो बहुत खराब दौर रहा है। लोग इस बात को मानने को तैयार ही नहीं थे कि ट्रंप हिलेरी को हरा सकते हैं। यह बात स्वीकार करना उनके लिए बहुत मुश्किल हो रहा है।"
 
इसी तस्वीर का दूसरा पहलू भी है। इन्हीं मतभेदों के बीच नये रिश्तों के रास्ते भी निकल रहे हैं। और मतभेदों के बीच रिश्ते ना टूटने की कहानियां भी कम नहीं हैं। 40 फीसदी लोग कहते हैं कि उनकी किसी न किसी से बहस जरूर हुई लेकिन रिश्ता सलामत है। 21 फीसदी लोगों को चुनाव के कारण नये दोस्त मिले। इलिनॉय की सैंडी कॉर्बिन ऐसी ही मिसाल हैं। चुनाव के दौरान क्लिंटन के समर्थन के कारण उन्हें कुछ नये दोस्त मिले हैं। वह कहती हैं, "अब हम खूब बातें करते हैं। मैं तो कहती हूं कि ऐसा चुनाव के कारण ही हुआ है।" लेकिन कड़वा सत्य यह है कि ट्रंप पर बहस अब देश में आम हो चली है।
 
फिलाडेल्फिया के रिटायर्ट पुलिस अफसर 64 साल के विलियम लूमी कहते हैं, "जब लोगों को पता चला कि मैंने ट्रंप को वोट दिया है तो सब उलट पुलट गया। अब बचपन के एक दोस्त से बातचीत बंद हो चुकी है। मैंने उससे फेसबुक पर कुछ सवाल पूछ लिये जो उसे अच्छे नहीं लगे। जवाब में उनसे मुझे एक बुरा सा मेसेज भेजा। तब से हमने कोई बात नहीं की है।" 57 साल की सू कोरेन अपने ट्रंप समर्थक दोनों बेटों से बात नहीं कर रही हैं। उन्होंने फेसबुक पर कम से कम 50 लोगों को अनफ्रेंड किया है। वह कहती हैं, "जिंदगी अब वैसी नहीं जैसी चुनावों से पहले थी। यह मेरा गुस्सा है। मेरी खीज है। मेरा अविश्वास है। वे सोचते हैं कि हमारा राष्ट्रपति हीरो है। मुझे लगता है वह एक पागल है।"
 
मिजूरी के एक रिटायर्ट टूर ऑपरेटर डेनिस कोर्नर ट्रंप समर्थक हैं। लेकिन उन्होंने किसी को नहीं खोया है, जिसके लिए उन्होंने एक नुस्खा आजमाया। लोगों को भी वह ऐसा ही करने की सलाह देते हैं। उनकी सलाह है कि राजनीति पर बात ही मत करो।
 
- वीके/एके (रॉयटर्स)

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