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जमीन में एक लाख टन सोना मिलने की उम्मीद

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, सोमवार, 6 जुलाई 2015 (12:27 IST)
- रवि प्रकाश (रांची से)
 
झारखंड की राजधानी रांची के पास तमाड़ के इलाके में जमीन के नीचे दबा हुआ है एक लाख टन सोना। यह उम्मीद भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण यानी जीएसआई के वैज्ञानिकों ने जगाई है। झारखंड में पहले भी एक जगह सोने का भंडार होने की बात सामने आई थी। लिहाजा, इस संभावना पर भी सरकारी अमला काम करने की योजना बना रहा है।
झारखंड के गर्भ में छिपा है सोना : इस बार की बारिश के बाद रांची के पास तमाड़ में पांच वर्ग किलोमीटर के इलाके में ड्रिलिंग का काम शुरू किया जाएगा। यहां पहले भी ड्रिलिंग की जा चुकी है। उसमें वैज्ञानिकों को सोने का भंडार होने के लक्षण मिले थे। वे नमूने राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप ही थे। यहां करीब एक लाख टन सोने का भंडार होने की संभावना है। इसकी बाजार में कीमत करीब 25,000 करोड़ रुपए है।
 
गोल्ड ब्लॉक : झारखंड के पूर्व भूतत्व निदेशक जेपी सिंह का दावा है कि उन्होंने जीएसआई से यह रिपोर्ट मंगवाई थी। अंतिम रिपोर्ट सरकार को अब तक नहीं मिली है। इस रिपोर्ट के मिलते ही वहां खुदाई का काम शुरू कर दिया जाएगा।
 
शुरुआती रिपोर्ट में तमाड़ के सिंदुरी, लुंगटु, हेपसेल और परासी में जमीन के नीचे सोने का अकूत भंडार होने का दावा किया गया है। रिपोर्ट मिलने के बाद लुंगटू-हेपसेल-परासी ब्लॉक बनाया जाएगा। यह पूर्वी सिंहभूम के कुंडेररकोचा (पोटका) के बाद झारखंड का दूसरा गोल्ड ब्लॉक होगा। तमाड़ का यह इलाका रांची से तकरीबन 60 किलोमीटर की दूरी पर है।
 
जीएसआई की ड्रिलिंग : इस इलाके में पहली बार साल 2006 में ड्रिलिंग की गई थी। झारखंड में जीएसआई के उस समय के निदेशक आरके प्रसाद ने 2011 में इस बाबत एक चिट्ठी सरकार को लिखी थी। खत में तमाड़ में जमीन के नीचे सोने का खजाना होने की बात कही गई थी। यह भी बताया गया था कि पहले चरण में 12 जगहों पर ड्रिलिंग की गई।
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इसके बाद 12 दूसरे जगहों पर भी खुदाई की गई। जीएसआई के लिए खुदाई करने वाली संस्था मिनरल एक्सप्लोरेशन कॉर्पोरेशन लिमिडेट यानी एमइसीएल की रिपोर्ट भी इस बात की तसदीक करती है। इस खनन में लगभग सवा चार लाख रुपए खर्च हुए थे। इसके बाद इंडियन ब्यूरो ऑफ माइंस के अधिकारियों ने भी यहां सर्वे किया था।
 
सुवर्णरेखा के बालू में सोना : तमाड़ का सिंदुरी और परासी गांव सुवर्णरेखा नदी के नजदीक ही है। छोटानागपुर की घाटी से निकलने वाली इस नदी के बालू में सोना होने की बात कही जाती है।
 
बरसात के दिनों में गांव के लोग बालू में सोने का कण खोजते हैं। रांची के सुनार यही कण 200-300 रुपए में इनसे खरीद लेते हैं। यह वर्षों पुरानी परंपरा है, जो आज भी बदस्तूर जारी है। तमाड़ में 30 करोड़ टन से भी ज्यादा स्वर्ण अयस्क होने का अनुमान है।

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