Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

#UnseenKashmir: 'कश्मीरी हूं, बाकी भारत में पढ़ने से डरती हूं'

हमें फॉलो करें #UnseenKashmir: 'कश्मीरी हूं, बाकी भारत में पढ़ने से डरती हूं'
, गुरुवार, 8 जून 2017 (12:02 IST)
प्यारी सौम्या,
यह जान के अच्छा लगा कि तुम और तुम्हारा परिवार ठीक हैं। मैं और मेरा परिवार भी यहाँ अच्छे हैं। जिस तरह से तुम समर्थ के बारे में बताती हो लगता है कि वो अवीन जितनी ही शैतानियाँ करता है। पिछले हफ्ते हमें स्कूल से पिकनिक के लिए 'सोनमर्ग' ले गए थे। कश्मीरी में 'सोन' मतलब 'सोना' होता है और 'मर्ग' मतलब 'घाटी' तो सोनमर्ग का मतलब हुआ 'सोने की घाटी।'
 
इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह एक ऐसी ऊँची जगह पर है जहां से पहाड़ों की बर्फ़ीली चोटियां साल भर दिखाई देती हैं। और जब सूरज की किरणें इस बर्फ़ पर पड़ती हैं तो वो सोने जैसी लगती हैं। मैं जानना चाहती हूँ कि तुम्हारा स्कूल तुम्हें पिकनिक के लिए कहां ले जाता है?
 
तुम्हारे पत्र में तुमने मुझे आर्मी के बारे में बहुत सवाल किए हैं। आर्मी के बारे में मैं पहले यह साफ़ करना चाहूंगी कि वे आर्मी के लोग नहीं बल्कि सिक्योरिटी और पुलिस के लोग थे। इनमें फर्क है। यह एक रहस्य है कि उन्होंने लड़कियों पर हमला क्यों किया होगा। यह कोई नहीं जानता, कोई नहीं बस उनके अलावा। और तुम्हारे दूसरे सवाल के लिए, मैं किसी और भारतीय शहर में नहीं रहना चाहूंगी।
 
मेरी आगे की पढ़ाई के लिए मैं या तो कश्मीर में रहना पसंद करूंगी या विदेश जाना चाहूंगी क्योंकि सच्चाई तो यह है कि मैं एक विद्यार्थी के तौर पर किसी और भारतीय शहर में रहने से डरती हूँ।
 
ऐसी कई खबरें हैं, तुमने तो सुनी ही होंगी कि कई कश्मीरी छात्र जिनमें लड़कियां भी शामिल हैं, उन्हें बड़ी यूनिवर्सिटीज़ में कई तरह की रैगिंग का शिकार बनाया गया और कई छात्रों को रातों रात कॉलेज से बाहर निकाल दिया गया बस इसलिए क्योंकि वे कश्मीरी थे। तुम्हे जानना चाहिए कि कश्मीर के लोग उनकी 'कश्मीरियत' यानी मेहमाननवाज़ी, सादापन और हमारे सच्चे दिल के लिए मशहूर हैं।
webdunia
अगर तुम विदेश जाओ और वहां के लोगों को बताओ कि तुम कश्मीरी हो तो वो तुम्हारे साथ अपने परिवार के सदस्य की तरह या किसी पुराने दोस्त की तरह व्यवहार करेंगे क्योंकि वो जानते हैं कि हम अपने मेहमानों के साथ कैसा बर्ताव करते हैं। मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को हमारा मेहमान बनने का न्योता देती हूं जिससे तुम भी कश्मीर देख पाओ।
 
तुमने मुझे एक 16 साल के लड़के के बारे में बताया था जिसने 'काश बुक' नाम का ऐप बनाया है। मैंने तो उसे अभी तक इस्तेमाल नहीं किया न ही मैं किसी को जानती हूं जिन्होंने किया हो। पर यह इस बात का प्रतीक है कि हम कश्मीरियों में बहुत टैलेंट है।
 
ये हमारा दुर्भाग्य है कि अधिकारी यह समझ नहीं पाते। हम इस दुनिया में सबसे अच्छा काम कर सकते हैं पर कोई अच्छे 'प्लेटफार्म' के ना होने की वजह से कुछ ही लोग ऊपर तक पहुंच सकते हैं। और रही बात इंटरनेट बैन की, इसका जवाब तो बस सरकार ही दे सकती है की उन्होंने हमारा 'राइट टू इन्फॉर्मेशन' क्यों हमसे छीन लिया। सच कहूं तो हम लोगों को इसकी आदत हो गई है। यह हालात हमारे पूर्वजों ने भी देखे हैं।
 
तुम्हारे अगले पत्र के इंतज़ार में
तुम्हारी सहेली
दुआ
मैंने सोनमर्ग की फोटोज़ अटैच की हैं, ताकी तुम खुद उसकी खूबसूरती देख सको।
------------------------------------------------------------------------------------------------
क्या आपने कभी सोचा है कि दशकों से तनाव और हिंसा का केंद्र रही कश्मीर घाटी में बड़ी हो रहीं लड़कियों और बाक़ि भारत में रहने वाली लड़कियों की ज़िंदगी कितनी एक जैसी और कितनी अलग होगी?
 
यही समझने के लिए हमने वादी में रह रही दुआ और दिल्ली में रह रही सौम्या को एक दूसरे से ख़त लिखने को कहा। सौम्या और दुआ कभी एक दूसरे से नहीं मिले। उन्होंने एक-दूसरे की ज़िंदगी को पिछले डेढ़ महीने में इन ख़तों से ही जाना। ये था श्रीनगर से दुआ का चौथा ख़त।
 
(रिपोर्टर/प्रोड्यूसर: बीबीसी संवाददाता दिव्या आर्य)

हमारे साथ WhatsApp पर जुड़ने के लिए यहां क्लिक करें
Share this Story:

वेबदुनिया पर पढ़ें

समाचार बॉलीवुड ज्योतिष लाइफ स्‍टाइल धर्म-संसार महाभारत के किस्से रामायण की कहानियां रोचक और रोमांचक

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

#UnseenKashmir: 'पत्थरबाज़ लड़कियों पर सेना ने फ़ायरिंग क्यों की?'