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यूट्यूब से कैसे होती है कमाई?

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, शनिवार, 6 दिसंबर 2014 (11:56 IST)
- श्वेता पांडेय मुंबई से

नब्बे के दशक और 2000 के दशक के शुरुआती दौर में नई फिल्मों का ट्रेलर देखने के लिए लोग टीवी पर चैनल बदलते नजर आते थे। लेकिन अब जमाना बदल गया है। छोटी बड़ी सभी तरह की फिल्मों के ट्रेलर सीधे यूट्यूब पर ही लॉन्च हो रहे हैं।


यहीं नहीं एआईबी, द वायरल फीवर, द प्रीटेन्शस मूवी रिव्यू जैसे कार्यक्रम तो खासतौर पर यूट्यूब पर ही प्रसारित होते हैं और इन्हें देखने वालों की भी तादाद कम नहीं है। यहां तक कि पूरी की पूरी फिल्म ही इस प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होती है।

लोग इस पर व्‍यक्तिगत चैनल बनाकर वीडियो ब्रॉडकास्‍ट कर रहे हैं इसके बदले में उन्‍हें यूट्यूब पैसा दे रहा है। लेकिन सवाल है कि यूट्यूब पर अपना वीडियो या कार्यक्रम डालकर लोग पैसा कैसे कमाते हैं? पढ़िए पूरी रिपोर्ट

पूरी की पूरी फिल्में यूट्यूब पर उपलब्ध होने से क्या निर्माता को नुकसान नहीं होता? क्या इससे पायरेसी का खतरा नहीं पैदा होता? एक आम व्यक्ति इस प्लेटफॉर्म से कैसे पैसे कमा सकता है?
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यूट्यूब के कंटेंट ऑपरेशंस प्रमुख सत्या राघवन के मुताबिक वीडियो बनाने वाले से लेकर विज्ञापन देने वाले भी यूट्यूब से अच्‍छी आमदनी कर रहे हैं।

सत्या बताते हैं, 'बीते एक साल में लोगों का रुझान इस ओर काफी हुआ है। इस बात को बॉलीवुड ने भी काफी अच्छी तरह से समझा और फिल्म निर्माता भी अपनी फिल्मों के प्रमोशन तक के लिए यूट्यूब के चैनल पर आने लगे हैं।'

'नहीं होती पायरेसी' : पायरेसी के सवाल पर सत्या ने कहा, 'पायरेसी का खतरा इससे नहीं हो सकता है, क्योंकि फिल्म बनने के बाद निर्माता-निर्देशक यूट्यूब से संपर्क कर लेते हैं, साथ ही 29 से 60 दिन का करार भी होता है। फिल्म सिनेमाहॉल से उतरने के बाद ही यूट्यूब पर आती है।'

पैसा, यूट्यूब के वीडियो पर आने वाले विज्ञापनों से आता है। सत्या बताते हैं कि विज्ञापनों से आने वाली आमदनी का 45 फीसदी यूट्यूब और 55 फीसदी वीडियो के निर्माता को जाता है।

'शूटआउट एट लोखंडवाला' जैसी फिल्म बना चुके अपूर्व लखिया कहते हैं, 'यह एक बहुत अच्छा मंच है। यहां हम दर्शकों को वह भी दिखा सकते हैं, जिन्हें आमतौर पर नहीं दिखाया जा सकता। मसलन फिल्म की मेकिंग आदि।'

वहीं ‘डेल्ही-बेली’ के निर्देशक अभि‍नय देव का कहना है, 'यूट्यूब की वजह से आपका उत्पाद ज्यादा से ज्यादा दर्शक देख सकते हैं, यह बॉलीवुड के लिए भी बड़ा और अच्छा मंच है।'

'सेंसरशिप नहीं' : हां, यूट्यूब से सीडी/डीवीडी पार्लर और बाजार पर जरूर विपरीत असर पड़ने की बातें हो रही हैं।

दिनों दिन इंटरनेट की बढ़ती रफ्‍तार से अब इस प्लेटफॉर्म पर वीडियो देख पाना उपभोक्ताओं को ज्यादा सुविधाजनक लगने लगा है। लेकिन कई दफ़ा यूट्यूब पर ऐसी सामग्री आ जाती है जो कई लोगों को आपत्तिजनक लगती है।

अभी इस प्लेटफॉर्म पर आने वाले वीडियो पर किसी तरह की सेंसरशिप का कोई प्रावधान नहीं है। हां, अगर किसी को इन पर आपत्ति हो तो वो यूट्यूब को रिपोर्ट कर सकता है जिसे सही पाने पर उस वीडियो को हटा दिया जाता है।

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