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त्वचा को धूप से बचाएँ

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पुराने समय में धूप का सेवन अच्छा माना जाता था, परंतु आधुनिक विज्ञान ने साबित किया है कि अत्यधिक धूप का सेवन त्वचा के लिए हानिकारक होता है। सूरज की रोशनी में दो प्रकार की अल्ट्रावाइलेट तरंगें होती हैं, अल्ट्रावाइलेट 'अ' और अल्ट्रावाइलेट 'ब'। अल्ट्रावाइलेट 'अ' तरंगें जो त्वचा पर झुर्रियाँ व साँवलेपन के लिए जिम्मेदार होती हैं।

अल्ट्रावाइलेट 'ब' तरंगें जिससे सनबर्न होता है व किसी किसी में सन एलर्जी भी उत्पन्न होती है। इसमें त्वचा में काले रंग की कणिकाएँ अधिक मात्रा में बन जाती हैं, जिससे त्वचा में साँवलापन आ जाता है।

सनबर्न :
सनबर्न के सामान्य लक्षण हैं। त्वचा में लालिमा होना, जो 24 घंटों में बढ़ती है, इसके अतिरिक्त त्वचा में दर्द, सूजन व फफोले उत्पन्न होते हैं। अगर ज्वर भ्रम आदि लक्षण प्रकट हों तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। सनबर्न होने पर ठंडे पानी की पट्टियाँ आदि रखना चाहिए और त्वचा रोग विशेषज्ञ का परामर्श लेना चाहिए।

कुछ लोगों को धूप से अति संवेदनशीलता होती है तथा धूप में थोड़ी देर रहने से उनके शरीर पर लाल चकते, छाले बन जाते हैं जिसमें जलन, खुजली आदि होती हैं। एलर्जी कुछ दवाइयों के खाने के पश्चात जैसे- गर्भनिरोधक गोलियाँ एंटीबायोटिक, रक्तचाप, जोड़ों का दर्द, अवसाद आदि खाकर धूप में जाने से भी उत्पन्न होती है।

सूर्य की किरणों से बचाव :

* सूर्य का ताप सुबह 10 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक अधिक होता है। इसलिए इस समय घर में रहें।

* घर से बाहर निकलते समय पूरी बाँहों वाले कमीज गोल घेरे वाला हेट पहनें और आँखों पर काला चश्मा लगाएँ व चेहरे को स्कार्फ, रूमाल आदि से बाँधकर बाहर निकले।

* सूरज की किरणे पानी, सफेद बर्फ व रेत से परावर्तित होकर अधिक नुकसान पहुँचाती है। इसलिए इन जगह पर त्वचा का विशेष ध्यान रखें व लोशन, सनक्रीम आदि के प्रयोग से त्वचा को धूप से बचाया जा सकता है।

* सूर्य की किरणे बादल होने पर भी जमीन की सतह पर पहुँच जाती है। इस समय भी सनक्रीम का प्रयोग करना चाहिए।

* सूर्य की किरणों में विटामिन डी होता है, लेकिन केवल इसी को आधार बनाकार विटामिन डी युक्त पदार्थों का सेवन बंद ना करें।

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