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मुँह की दुर्गंध से न होना पड़े शर्मिंदा

मुँह की दुर्गंध, बीमारियों की जनक

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गायत्री शर्मा

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मोती से चमचमाते दाँत हमारे व्यक्तित्व की पहचान होते हैं। हम सभी चाहते हैं कि लोग जब हमसे बात करते समय अपनी नाक सिकोड़ने की बजाय प्रसन्नता का अनुभव करें।

लेकिन कभी-कभी हमारे मुख से आती दुर्गंध लोगों को हमसे दूर रहने को मजबूर कर देती है। यह बात बोलने की नहीं बल्कि समझने की होती है।

मुख से आ‍ती दुर्गंध हमारे साथ-साथ हमारे पड़ोसी को भी नागवार गुजरती है। कई लोग इस बीमार‍ी से अनभिज्ञ होते हैं। जिसके कारण सही समय पर सही इलाज न होने के कारण यह कई बीमारियों खड़ी कर देती है।

मुख की दुर्गंध से ग्रसित लोग दूसरों का विश्वास जीतने में असफल रहते हैं। लोग भी इनके पास आने में संकोच करते हैं। ऐसे लोग स्वयं के साथ-साथ दूसरों के लिए भी परेशानियों का सबब बनते हैं।

जीवनशैली में बदलाव :-
आज शहरीकरण के बढ़ते हमारी जीवन शैली में भी परिवर्तन आया है। अब चिपचिपे, बोतल बंद, व मीठे खाद्य पदार्थों का अधिक चलन है। ऐसे में नैसर्गिक आहार की कमी से दाँतों की बीमारियाँ आम हो गई हैं।

शहरी ही नहीं ग्रामीण अंचलों में भी यही हालात हैं। गाँव के लोग आज भी पान, बीड़ी, सुपारी आदि का सेवन कर रहे हैं। मुख की अस्वच्छता उनके दाँतों व मसूढ़ों के लिए कई बीमारियों का कारण बन रही है।

क्या हैं कारण :-
* नियमित रूप से दाँतों की साफ-सफाई नहीं करने से दाँतों के बीच अन्न कण जमा हो जाते हैं। जिससे इनमें मौजूद बैक्टीरिया, सलफ्यूरस गैस पैदा करते है। जो मुख की दुर्गंध का कारण बनती है।
* धूम्रपान करने वाले लोगों के मुख से अक्सर दुर्गंध आती है। पानी कम पीना, मुख का सूखा रहना, लार कम आना आदि की वजह से मसूढ़ों पर प्लॉक की परत जम जाती है। जिससे मुख से दुर्गंध आने लगती है।
* जिनके दाँत टेढ़े-मेढ़े हों, उन लोगों को यह शिकायत अधिक रहती है।
* नाक, कान, गले की बीमारियाँ जैसे मुँह में छाले, साइनोसाइटिस, टांसिलाइटिस आदि बीमारियों से मुख में बैक्टीरिया की तादाद बढ़ जाती है। जिससे मुख की दुर्गंध की समस्या जन्म लेती है।

क्या है उपचार :-
* मुख की दुर्गंध का कारण दाँतों की नियमित सफाई नहीं होना है। अत: इस बीमारी से बचने के लिए सुबह-शाम ब्रश करना न भूले।
* जिनके दाँत टेढ़े-मेढ़े हों। वे लोग दंत चिकित्सक से इसका उपचार अवश्य करवाएँ।
* दाँतों के साथ 'टंग क्लीनर' से जीभ की सफाई भी जरूर करें।
* अधिक मात्रा में पानी का सेवन करें।
* दाँतों को आलपिन या सुई से कुरेदने की बजाय टूथ पिक का इस्तेमाल करें।
* धूम्रपान से परहेज करें।

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