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आखिरी दौर में बढ़त के लिए भाजपा की बहुआयामी रणनीति

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अनिल जैन

पटना , बुधवार, 4 नवंबर 2015 (17:02 IST)
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में चौथे दौर के मतदान का प्रतिशत बढ़ने के बाद भाजपा के रणनीतिकारों ने राहत की सांस तो ली है, लेकिन पांचवें और आखिरी दौर का घमासान पार्टी के लिए अभी भी बेहद चुनौतीपूर्ण बना हुआ है। 
आखिरी दौर में जिन सीटों पर मतदान होना हैं उनको जनता दल (यू), राष्टीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के महागठबंधन के दबदबे वाली माना जाता है। लिहाजा भाजपा के रणनीतिकार इन सीटों पर जमीनी समीकरणों को ज्यादा अहमियत दे रहे हैं। इस सिलसिले में पार्टी की दो स्तरीय रणनीति में अपनी मजबूत सीटों पर जीत हासिल करने के साथ ही कमजोर सीटों पर महागठबंधन को न जीतने देना शामिल है। 
 
अभी तक चार दौर में जहां-जहां मतदान हुआ है वहां कहीं राजग तो कहीं महागठबंधन भारी पड़ता दिखा है। सीमांचल के पांचवें चरण में भाजपा की पूरी कोशिश है कि सामाजिक ध्रुवीकरण में वह ज्यादा से ज्यादा लाभ खुद ले सके। इसके लिए उसके नेता पूरी तरह सक्रिय हैं।
 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के सभी स्टार प्रचारकों ने पूरी ताकत झोंकी है। भाजपा की उम्मीदें अपनी ताकत के साथ ही समाजवादी पार्टी और पप्पू यादव द्वारा बनाए गए मोर्चा व असदउद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम के प्रदर्शन पर भी टिकी हैं। ये दोनों ताकतें जितना अच्छा प्रदर्शन करेंगी, भाजपा को उतना ही ज्यादा फायदा होगा।
 
भाजपा सूत्रों के मुताबिक यहां महागठबंधन को हराने के लिए राजग अपने समर्थक वर्ग के मतदाताओं से रणनीतिक मतदान करा सकता है। इसमें राजग उम्मीदवार के न जीतने की स्थिति में महागठबंधन को हराने में सक्षम किसी अन्य उम्मीदवार की मदद कर सकते हैं।
 
भाजपा नेता जाहिरा तौर पर तो अपनी जीत का भरोसा जता रहे हैं लेकिन अंदर ही अंदर वे आशंकित भी हैं। इसलिए वे चुनाव बाद की सभी संभावनाओं का आकलन करके भी चल रहे हैं। भाजपा त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में खुद को सबसे बड़े दल और राजग को सबसे बड़े गठबंधन के रूप में रखना चाहती है, ताकि सरकार बनाने का उसका दावा मजबूत रह सके।

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