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अपूर्व का मिशन ‘सफलता’

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समय ताम्रकर

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जहाँ कुछ लोग पहली फिल्म के फ्लॉप होते ही गुमनामी के अंधेरों में खो जाते हैं, वहीं कुछ की किस्मत के सितारे इतने बुलंद होते हैं कि असफलता के बावजूद उन्हें लगातार काम मिलता रहता है।

अपूर्व लाखिया की पहली फिल्म ‘मुंबई से आया मेरा दोस्त’ असफल रही थी, जिसमें उन्होंने गाँव में टीवी को अजूबे के रूप में दिखाया था। इस फिल्म की शूटिंग के दौरान अपूर्व ने अभिषेक से अच्छी दोस्ती गाँठ ली। स्टार की दोस्ती का फायदा निर्देशक को मिलता है। संजय गुप्ता को संजय दत्त की दोस्ती का हमेशा लाभ मिला।

अपूर्व को दूसरी फिल्म ‘एक अजनबी’ में अमिताभ बच्चन के साथ काम करने का अवसर मिला, लेकिन यह फिल्म भी फ्लॉप हो गई। बावजूद इसके अपूर्व को काम मिलना जारी रहा।

15 करोड़ की लागत से बनी ‘शूटआउट एट लोखंडवाला’ ने औसत सफलता हासिल की और अपूर्व किसी तरह कामयाब हो गए। इस फिल्म में भी अभिषेक और अमिताभ ने काम कर अपूर्व के प्रति विशेष स्नेह को दर्शाया।

एक्शन फिल्मों के प्रति अपूर्व का झुकाव है और उनकी ताजा फिल्म ‘मिशन इस्तांबुल’ के एक्शन दृश्यों की चर्चा है। अपूर्व पर भरोसा करते हुए फिल्म के निर्माता सुनील शेट्टी और एकता कपूर ने उन्हें बड़ा बजट दिया, जिसका लाभ उन्होंने उठाया।

इस फिल्म की पटकथा सुरेश नायर ने लिखी है। स्क्रिप्ट फाइनल करने के पूर्व अपूर्व ने 22 बार इसे लिखवाया। सितारों को साइन करने में अपूर्व को कभी दिक्कत महूसस नहीं हुई, लेकिन इस फिल्म में उन्होंने विवेक ओबेरॉय और ज़ायद खान जैसे दोयम दर्जे के सितारे लिए हैं।

अपूर्व को अपनी कहानी पर विश्वास है और कहानी के मुताबिक ही उन्होंने कलाकारों का चयन किया है। फिर भी इन दो कलाकारों को लेकर 28 करोड़ की फिल्म बनाना जोखिम भरा दाँव कहा जाएगा। विवेक और ज़ायद की बजाय एक्शन इस फिल्म का स्टार है क्योंकि फिल्म के बजट का अधिकांश भाग स्टंट दृश्यों को फिल्माने में खर्च हुआ है। हीरोइन के नाम पर पैसा बचाया गया और श्रेया सिरन और श्वेता भारद्वाज जैसी नायिकाओं को लिया गया है

लोखंडवाला जैसी छोटी-सी जगह के बाद अपूर्व ने इस बार अंतरराष्ट्रीय स्तर के आतंकवाद पर फिल्म बनाई है। अपूर्व का मानना है कि दुनिया भर में ओसामा बिन लादेन को आतंकवाद का रॉक स्टार माना जाता है और इसी बात ने उन्हें यह फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया।

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थ्रिल-एक्शन-एडवेंचर से लेस इस फिल्म की 90 प्रतिशत शूटिंग इस्तांबुल में हुई है। न्यूयार्क और लंदन फिल्मों में इतनी बार दिखाया जा चुका है कि जो लोग वहाँ नहीं गए हैं, वे भी वहाँ की गलियों से परिचित हो गए हैं। इसलिए इस्तांबुल के जरिए अपूर्व ने आकर्षण पैदा करने की कोशिश की है। अपूर्व के मिशन की सफलता की चाबी दर्शकों के हाथों में है।

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