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नास्तिक रामू और ‘फूँक’

हमें फॉलो करें नास्तिक रामू और ‘फूँक’
‘फूँक’ बनाने का विचार रामगोपाल वर्मा को अपने जीवन में घटी घटनाओं के जरिए आया। आइए जानें रामू की जुबानी :

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जहाँ तक मुझे याद आता है मैं हमेशा से नास्तिक रहा हूँ। मैं कभी भी मंदिर नहीं गया। जब कभी हमारे घर में गणेश पूजा होती थी तो मेरी सारी रुचि प्रसाद के रूप में बाँटी जाने वाली मिठाई में रहती थी।

उस शक्ति (जिसके बारे में कहा जाता है कि जो हम पर नियंत्रण रखती है) पर विश्वास नहीं करना या तो अज्ञानता या अपने ऊपर अति आत्मविश्वास का प्रतीक है। लेकिन मैं कुछ उन घटनाओं का उल्लेख करना चाहूँगा, जिनका कोई जवाब नहीं है। मेरे साथ ऐसी तीन घटनाएँ घटीं।

पहली घटना
बात दस या बारह वर्ष पुरानी है जब गणपतिजी द्वारा दूध पीने की अफवाह पूरे देश में फैली थी। मैं अपने ऑफिस में बैठा था और उन अफवाहों को सुन यह सोचकर हँस रहा था कि लोग किसी भी चीज पर विश्वास कर लेते हैं। जब मैं घर गया तो मेरा भतीजा दौड़ कर आया और कहने लगा अंदर गणपति दूध पी रहे हैं। मैं डर गया क्योंकि यह घटना मेरे घर में भी घट रही थी। चमत्कार को देखने मैं अंदर भागा तो कुछ भी नहीं हुआ। मेरा भतीजा स्पष्टीकरण देने लगा कि एक घंटे पहले तक चमत्कार हो रहा था। मैंने चैन की साँस ली क्योंकि कमरे में जाने की यह दस फुट की दूरी मेरे लिए बहुत भयानक थी। यदि मेरे सामने चमत्कार होता तो इस तरह की बातों पर विश्वास नहीं करने का मेरा विश्वास डगमगा जाता।

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दूसरी घटना
चेन्नई जाने के लिए मैं विमान में बैठा हुआ था। उस दरमियान मेरी मुलाकात कोरियोग्राफर श्यामक डावर से हुई। मैंने इनके साथ कभी भी काम नहीं किया। हाय-हलो कहने के लिए मैं उनके साथ बैठ गया। वे खिड़की की तरफ बैठे थे और हमने बातचीत का सिलसिला शुरू किया। अचानक उन्होंने मेरी दूसरी ओर देखना शुरू किया जैसे वहाँ कोई और बैठा हो। उसी ओर देखते हुए उन्होंने मुझसे कहा- तुम्हारे पिता मर चुके हैं? मैं इस तरह के प्रश्न के लिए तैयार नहीं था। कुछ क्षण बाद मैंने बोला- हाँ। डावर ने कहा- वो यहीं हैं। मैंने पूछा- क्या मतलब? उन्होंने आगे कहा- वे तुम्हारे बारे में चिंतित हैं?

मैं श्यामक के बारे में ज्यादा नहीं जानता। कुछ लोग इस बात का दावा करते हैं कि उन्हें इस तरह की शक्तियाँ प्राप्त हैं। मैंने उनसे कहा- मुझे इस तरह की बातों पर बिलकुल भी यकीन नहीं है। उन्होंने उसी ओर देखते हुए कहा- तुम्हारे पिता कह रहे हैं कि उन्हें भी इस तरह की बातों पर यकीन नहीं था।

मेरे पिता भी नास्तिक थे। मैं डर गया और उठकर अपनी सीट पर बैठ गया। मैं चकित था कि श्यामक को कैसे पता चला कि मेरे पिता भी नास्तिक थे। फिर मैंने अपने आपको दिलासा देते हुए कहा कि मैं एक प्रसिद्ध व्यक्ति हूँ और मेरे बारे में सारी जानकारियाँ लोगों को पता है। हो सकता है कि डावर मेरे साथ मजाक कर रहे हों। मैं अपने तर्कों से संतुष्ट था।

तीसरी घटना
तीन वर्ष पहले अपने घर पर मैं माँ और बहन के साथ बैठा हुआ था। हमारी एक रिश्तेदार महिला अपने 4 वर्ष के बेटे के साथ आई। मेरी माँ और बहन ने कहा कि इस बच्चे को कुछ विशिष्ट शक्तियाँ प्राप्त हैं और यह लोगों के सारे प्रश्नों का जवाब दे देता है। अक्सर लोग इससे प्रश्न पूछने आते हैं। वह अपना जवाब लिखकर देता है। मैं यह सुनकर हँसने लगा और मैंने उससे पूछा कि 338 का 486 से गुणा करने पर क्या उत्तर मिलेगा? उसकी मम्मी ने उसे चॉकलेट का लालच दिया तो लगभग बीस सेकंड में उसने सही जवाब लिख दिया।

मैं डर गया क्योंकि यह चमत्कार मेरे सामने हुआ था। मैं अपनी माँ और बहन को देख और डर गया क्योंकि यह उनके लिए सामान्य बात थी, जैसे उस लड़के ने एबीसीडी लिख दी हो। फिर मुझे यकीन हुआ कि वे सामान्य इसलिए हैं क्योंकि उन्हें उस लड़के और उसकी शक्तियों पर विश्वास है। चूँकि मुझे विश्वास नहीं है, इसलिए मैं हैरान था।

इन तीनों घटनाओं के बाद भी मैं कहता हूँ कि मैं नास्तिक हूँ और मुझे इस तरह की शक्तियों पर विश्वास नहीं है। गणपति ने मेरे सामने दूध नहीं पिया। श्यामक और उस बच्चे से मैं फिर कभी नहीं मिला। क्या होता यदि गणपति मेरे सामने दूध पीते? क्या होता यदि डावर कुछ ऐसी बातें बताते जो मैं और मेरे पिता ही जानते थे? क्या होता यदि वह बच्चा मेरी जिंदगी में फिर आता? तो फिर मेरे दृढ़ विश्वास का क्या होता?

मुद्दा यह है कि ड्राइंगरूम में बैठकर आप बुरी शक्तियों या अंधविश्वास के बारे में बात कर सकते हैं। उन्हें नकार सकते हैं, लेकिन क्या हो यदि इस तरह की घटना आपके साथ घटी हो।

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‘फूँक’ एक डरावनी फिल्म है। डर इसमें विषय के कारण डाला गया है, लेकिन फिल्म यह आपके विश्वास और अविश्वास के बारे में प्रश्न पूछती है क्योंकि प्रत्येक के साथ कुछ इस तरह की घटनाएँ जुड़ी होती हैं। हम हमारी दिमागी दुनिया में बहुत सुरक्षित महसूस करते हैं। जब रात होती है तो हम रोशनी कर लेते हैं और उस अँधेरे के बारे में भूल जाते हैं जो उस रोशनी को घेरे हुए है।

कौन जानता है कि ये शक्तियाँ क्या हैं? हो सकता है कि एक दिन ऐसा आए जब इन अँधेरे पक्षों के बारे में सब पता चल जाए, लेकिन उस दिन के आने तक आपको डर कर रहना होगा, सावधानी बरतना होगी, सोचना होगा क्योंकि आप इस बारे में ज्यादा नहीं जानते हैं।

‘फूँक का मूल विचार यही है ‘यह अंधविश्वास है, जब तक कि आपके साथ घटित नहीं हुआ हो।’

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