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प्रतीक बब्बर : अच्छे सिनेमा का 'प्रतीक....'

हमें फॉलो करें प्रतीक बब्बर : अच्छे सिनेमा का 'प्रतीक....'

दीपक असीम

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इस हफ्ते एक बार फिर तीन फिल्में रिलीज हो रही हैं। पहली है प्रतीक बब्बर की "एक दीवाना था"। दूसरी है "मैरिड टू अमेरिका" और तीसरी है "से यस टू लव"। हालांकि तीनों ही छोटी फिल्में हैं, पर सबसे ज्यादा भरोसा जगाती है प्रतीक बब्बर की फिल्म।

प्रतीक बब्बर भी उन सिने सितारों में हैं, जो आंख मींच कर फिल्में साइन नहीं करते। जब तक कोई स्टोरी उनकी रूह को न जंचे तब तक वे फिल्म में काम नहीं करते। इससे उन्हें फर्क नहीं पड़ता कि रोल छोटा है या बड़ा।

एक जमाने में ऐसी विश्वसनीयता श्रेयस तलपदे की भी बनने जा रही थी, पर उन्होंने अपने हाथों उसे ध्वस्त कर दिया और इकबाल के बाद ऐसी-ऐसी फिल्मों में काम किया कि हास्य कलाकार की बजाय हास्यास्पद कलाकार बनकर रह गए।

प्रतीक चाहें तो बीसियों फिल्मों में हीरो बनकर आ सकते हैं, पर उन्हें इसकी जरूरत नहीं है। इसीलिए वे करते हैं "माय फ्रेंड पिंटो" और "धोबीघाट" जैसी फिल्म। "आरक्षण" और "दम मारो दम" में भी वे थे। मगर फिल्म में ऐसे घुल गए कि अलग से याद ही नहीं रहे।

जब कलाकार में लीक से हट कर बनाए जा रहे सिनेमा या कहिए क्वालिटी सिनेमा के प्रति ऐसा कमिटमेंट हो, तो उसके प्रति सम्मान जागता है। पहली फिल्म में हीरोइन के भाई का रोल करना भी प्रतीक बब्बर का ही हौसला है। "जाने तू या जाने ना" में वे जेनेलिया के पेंटर भाई थे।

इस हफ्ते लग रही फिल्म "एक दीवाना था" में वे सोलो हीरो हैं और ये एक अलग-सी लव स्टोरी है। प्रतीक बब्बर का चेहरा सभी तरह के भावों का ऐसा समंदर है, जिसमें ज्वार आया हो। हर जज्बा उनके चेहरे पर ऐसे उभरता है, जैसे कांच की बोतल में रंगीन पानी डाल दिया गया हो।

डायरेक्टर को जैसा भी इमोशन चाहिए, वे उसे ताकतवर ढंग से उजागर करने में समर्थ हैं। स्मिता पाटिल और राज बब्बर जैसे समर्थ कलाकारों की इस संतान में दोनों की अभिनय क्षमता मानो कई गुना होकर समा गई है।

इस फिल्म की एक और खासियत यह है कि इसमें एआर रहमान का संगीत है। जब फिल्म में प्रतीक बब्बर हों, रहमान का संगीत हो, तो फिल्म अपने आप कुछ बड़ी हो जाती है, चाहे उसमें बड़े सितारे सिरे से न हों। अच्छे सिनेमा के कद्रदानों में प्रतीक बब्बर की रेटिंग बहुत ऊंची है।

इस फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं तमिल फिल्मों के सितारा डायरेक्टर गौतम मेनन। मेनन ने तमिल फीचर फिल्मों के कई अवॉर्ड्‌स जीते हैं। इसी फिल्म में काम कर रही हैं ब्रिटिश मॉडल और मिस इंग्लैंड ऐमी जैक्सन। वे भी कुछ तमिल फिल्मों में काम कर चुकी हैं। इन तमाम बातों के मद्देनजर इस हफ्ते पहली पसंद तो यही फिल्म होना चाहिए।

दूसरी पसंद के रूप में आती है फिल्म "मेरिड टू अमेरिका"। यह "फंस गए रे ओबामा" वाली परंपरा की फिल्म लग रही है। इस फिल्म के जरिए देवास के चेतन पंडित पहली बार हीरो के रोल में आ रहे हैं। हालांकि इंटरनेट पर जो नाम दिए गए हैं उनमें चेतन का नाम न तीन में हैं और न तेरह में। इंटरनेट पर नाम है जैकी श्रॉफ का, अर्चना जोगलेकर का, श्वेता तिवारी और रघुवीर यादव का। बेशक ये चेतन से सीनियर हैं, पर इस फिल्म में तो हीरो चेतन ही हैं।

तीसरी फिल्म में तो कोई ऐसा आकर्षण नजर नहीं आता कि उसे थोड़ी-बहुत ओपनिंग भी मिले। अब असद बेग और नाजिया मिर्जा के नाम पर कौन फिल्म देखने जाएगा। फिल्म की गुणवत्ता की बात नहीं हो रही, मगर जो झलक दूर से मिल रही है, वो बहुत आशा जगाने वाली नहीं है।

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