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वर्ष 2012 : मनोरंजन जगत ने गंवाए कई अनमोल रत्न

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इतिहास का पन्ना बनने जा रहे वर्ष 2012 में मनोरंजन जगत को खासा नुकसान हुआ क्योंकि उसके कई अनमोल रत्नों ने अपनी समृद्ध विरासत छोड़कर इस दुनिया को अलविदा कह दिया।

प्रख्यात सितार वादक पंडित रविशंकर, जाने-माने गजल गायक मेंहदी हसन, रोमांस को पर्दे पर नया रूप देने वाले यश चोपड़ा, हिन्दी सिनेमा के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना और रुस्तम-ए- हिन्द दारा सिंह जैसे कई नाम इस साल सिर्फ यादों में रह गए।

भारतीय संगीत का दुनियाभर में प्रचार-प्रसार करने वाले मशहूर सितार वादक पंडित रविशंकर का 12 दिसंबर को अमेरिका के सैन डियागो में 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वर्ष 1999 में भारत रत्न से सम्मानित रविशंकर का ‘द बीटल्स’ जैसे पश्चिमी संगीतकारों पर काफी प्रभाव था।

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तीन बार ग्रैमी पुरस्कार से सम्मानित रविशंकर ने आखिरी बार गत 4 नंवबर को कैलिफोर्निया में अपनी पुत्री अनुष्का शंकर के साथ प्रस्तुति दी थी। उनको उनके एल्बम ‘द लिविंग सेशंस पार्ट 1’ के लिए वर्ष 2013 के ग्रैमी पुस्कार के लिए नामांकित किया गया था तथा उस श्रेणी में उनका मुकाबला अनुष्का से ही था।

‘रंजिशें सही’, ‘जिंदगी में तो सभी प्यार किया करते हैं‘, ‘पत्ता-पत्ता बूटा-बूटा’ जैसी बेहतरीन गजलों को अपनी मखमली आवाज से नवाजने वाले मेंहदी हसन ने कराची के अस्पताल में 13 जून को आखिरी सांस ले ली। उनका जन्म राजस्थान के लूना में 18 जुलाई 1927 को हुआ था। वे कलावंत घराने के 16वीं पीढ़ी के फनकार थे। भारत के विभाजन के बाद वह पाकिस्तान चले गए थे। उनके फन की काबिलियत की वजह से उन्हें शहंशाह ए गजल कहा जाने लगा।

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रूपहले पर्दे पर रोमांस को एक नया अंदाज और एक अलग तरह की नफासत देने वाले रोमांटिक फिल्मों के बादशाह प्रसिद्ध फिल्म निर्माता निर्देशक यश चोपड़ा ने 21 अक्टूबर को दुनिया को अलविदा कह दिया। 80 वर्षीय यश चोपड़ा ने अपने पांच दशकों के करियर में बॉलीवुड को ‘त्रिशूल’, ‘दीवार’, ‘सिलसिला’, ‘चांदनी’, ‘कभी-कभी’, ‘वीर ज़ारा’ और ‘दिल तो पागल है’ जैसी सुपरहिट फिल्में दीं।

हिन्दी सिनेमा के एक पूरे दौर को अपने नाम करने वाले अभिनेता राजेश खन्ना ने 18 जुलाई को हमेशा के लिए आंखें मूंद लीं। वर्ष 1969 से 1972 के बीच ‘आराधना’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘आनंद’ और ‘अमर प्रेम’ लगातार 15 सुपरहिट फिल्में देने के कारण राजेश खन्ना को भारत का पहला सुपरस्टार कहा जाता था।

‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता...’, ‘इन आंखों की मस्ती के मस्ताने हजारों हैं’, दिल चीज क्या है आप मेरी जान लीजिए’, ‘सीने में जलन आंखों में तूफान सा क्यों है...’ जैसे अमर गीतों की रचना करने वाले उर्दू के मशहूर शायर, गीतकार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित अखलाक मोहम्मद खान का 13 फरवरी को निधन हो गया। वे ‘शहरयार’ के नाम से मशहूर थे और 75 वर्ष के थे।

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कुश्ती की दुनिया में कई सूरमाओं को धूल चटाने के बाद अभिनय जगत में दमदार उपस्थिति दर्ज कराने वाले रामायण के हनुमान दारा सिंह का 12 जुलाई को देहांत हो गया। राष्ट्रमंडल कुश्ती चैंपियन दारा सिंह ने पचास के दशक में फिल्म उद्योग में कदम रखा था। वे ‘किंग कांग’ और ‘फौलाद’ में अपनी दमदार भूमिका के लिए जाने जाते हैं। दारासिंह ने रामानंद सागर के टीवी सीरियल ‘रामायण’ में हनुमान की कालजयी भूमिका निभाई थी और घर-घर में लोकप्रिय हो गए थे।

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फिल्म ‘शोले’ में एक डायलॉग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’ लरजती आवाज में बोलकर इकलौते पोते को खोने की आशंका तथा लाचारगी का अहसास कराते नेत्रहीन रहीम चाचा के किरदार को अमर बनाने वाले अभिनेता एके हंगल ने 26 अगस्त को आखिरी सांस ली।

मशहूर बॉलीवुड पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता ओपी दत्ता का 10 फरवरी को निधन हो गया। दत्ता ने अपने करियर की शुरुआत एक निर्देशक के तौर पर वर्ष 1948 में ‘प्यार की जीत’, फिल्म से की थी। उन्होंने ‘सूरजमुखी’, ‘एक नजर’, आंगन और अन्य फिल्मों का निर्देशन किया। बाद में दत्ता ने अपने बेटे जेपी दत्ता की फिल्में ‘गुलामी’, ‘हथियार’, ‘बॉर्डर’, ‘रिफ्यूजी’, ‘एलओसी कारगिल’ के लिए पटकथा लिखी।

संगीतकार रवि इस बार ‘बसंती होली’ का दीदार नहीं कर सके और एक दिन पहले, 7 मार्च को दुनिया को अलविदा कह गए। संगीत निर्देशक के रूप में रवि ने बुलंदी को छुआ। फिल्म ‘भरोसा’ का गीत ‘इस भरी दुनिया में कोई हमारा न हुआ’, हमराज का गीत ‘किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है, चौदहवीं का चांद फिल्म का गीत ‘चौदहवीं का चांद हो या..’ चाइना टाउन का ‘बार-बार देखो, हजार बार देखो’, दो बदन का ‘लो आ गई उनकी याद वो नहीं आए’ लोगों के पसंदीदा हैं।

उनकी अंतिम उल्लेखनीय फिल्म निकाह है जिसके गीत ‘दिल के अरमां आंसुओं में बह गए’ को संगीतप्रेमी काफी पसंद करते हैं।

आम आदमी की समस्याओं को व्यंग्य के माध्यम से उठाने वाले प्रसिद्ध हास्य कलाकार तथा फिल्म निर्माता जसपाल भट्टी का 25 अक्टूबर को जालंधर के निकट सड़क दुर्घटना में निधन हो गया।

बीते दौर की अभिनेत्री अचला सचदेव, अभिनेता जॉय मुखर्जी, निर्देशक बीआर इशारा, सिनेमेटोग्राफर अशोक मेहता तथा रंगमंच के जाने माने कलाकार और निर्देशक दिनेश ठाकुर ने भी इस साल दुनिया को अलविदा कह दिया। (भाषा)

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