Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

विनोद खन्ना जैसा कोई नहीं : अमिताभ बच्चन

हमें फॉलो करें विनोद खन्ना जैसा कोई नहीं : अमिताभ बच्चन
अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना ने परवरिश, हेराफेरी, खून पसीना, अमर अकबर एंथनी, मुकद्दर का सिकंदर जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों में साथ काम किया है। उस समय दोनों के बीच नंबर वन स्टार बनने की होड़ थी। विनोद खन्ना इस रेस में थोड़ा आगे थे, लेकिन अचानक वे सब कुछ छोड़ कर रजनीश के पास चले गए और अमिताभ के लिए मैदान खुला छोड़ दिया। 27 अप्रैल को विनोद खन्ना ने दुनिया को अलविदा कह दिया। अमिताभ और विनोद खन्ना की पहचान 48 वर्षों पुरानी थी। सभी जानना चाहते थे कि विनोद के बारे में अमिताभ क्या लिखते हैं। आखिरकार अमिताभ ने विनोद के बारे में अपने ब्लॉग में लिखा। इस ब्लॉग को पढ़ कर लगा कि अमिताभ के दिमाग में यादें घुमड़ने लगी। उन्हें जो याद आता गया वे लिखते गए। कई ऐसी बातें पता चली जो ये दोनों सितारे ही जानते थे। पेश है इस ब्लॉग में लिखी मुख्य बातें : 
 
- मैंने पहली बार विनोद को सुनील दत्त के बान्द्रा स्थित अजंता आर्ट्स ऑफिस में देखा था। एक बहुत ही हैंडसम नौजवान जिसका गठीला शरीर था, चलने की अनूठी अदा थी, ने एक मुस्कान के साथ मुझे देखा। 1969 की बात है। वह अजंता आर्ट्स की फिल्म 'मन का मीत' में काम कर रहा था। मैं उस समय कैसा भी एक रोल पाने के लिए संघर्ष कर रहा था।  
 
- जल्दी ही हम फिर मिले। दत्त साहब (सुनील दत्त) की रेशमा और शेरा में साथ काम कर रहे थे। ऑफिस में ट्रायल्स ले रहे थे। साथ में यात्रा कर रहे थे। साथ में कहानी सुन रहे थे। थापा साहेब, अली राजा, सुखदेव और वे, रात में मुलाकातें, जैसलमेर जाने को लेकर उत्साह, सारी बातें याद आ रही हैं। हमने राजस्थान के रेगिस्तान में महीनों साथ गुजारे। मैं, विनोद, रंजीत, थापा साहेब, अली राजा साहेब, हम सात लोग एक ही टेंट में साथ रूकते थे। फिर जैसलमेर के एक घर में हम सब शिफ्ट हुए। अमरीश पुरी भी हमारे साथ शामिल हो गए। हमारा कमरा ठहाकों से गूंजा करता था। 
 
- जैसलमेर से लौटने के बाद भी हम दोनों का संपर्क बना रहा। वह एक बड़े स्टार थे, लेकिन हमेशा विनम्र रहे। दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार। वे अपनी पीले रंगी की कार में मुझे घुमाने ले जाया करते थे। मुझे याद है कि वे एक बार शहर के एकमात्र डिस्को क्लब जो ताज में था, मुझे ले गए। वे वहां के सदस्य थे। मैं तो उस बारे में जानता भी नहीं था। 
 
- गीतांजली के साथ उन्होंने शादी की जिसे वह और हम प्यार से गिटली बोलते थे। राहुल और अक्षय का जन्म जिन्हें कभी-कभी वे अमर अकबर एंथनी के सेट पर ले आते थे। 
 
- एक रेस्तरां में किसी ने घटिया टिप्पणी कर दी। विनोद उससे भिड़ गए। बांह में चाकू भी लगा, लेकिन वे विजेता बन कर उभरे। 
 
- हम 'रेशमा और शेरा' में काम कर रहे थे तब अचानक उनके पिता का गुजर जाना। उस दु:ख की घड़ी में मैं उनके साथ था। और तब, हमारी शानदार केमिस्ट्री के कारण हमने कई फिल्में साथ की जिन्होंने ऐतिहासिक सफलता हासिल की। ये बहुत प्यारा साथ था। हम मेकअप रूम्स में साथ समय बिताते थे। खाना साझा करते थे। सभी तरह की बातें किया करते थे। देर रात शूटिंग खत्म होती तो आधी रात को जुहू बीच पर ड्राइविंग करते। निर्देशकों के साथ बैठ कर पीते थे (उन दिनों मैं भी पीता था)। 
 
- फिर हुए एक ऐसी घटना जिसके कारण अभी भी मैं अपराध बोध से ग्रस्त हूं। एक सीन में मुझे विनोद की तरफ ग्लास फैंकना था। ग्लास उनकी ठोढ़ी से जा टकराया। वो हिस्सा दांत तक कट गया। देर रात को डॉक्टर के पास ले गए। टांके लगवाए। उन्हें घर तक पहुंचाया। उस गलती के लिए मेरा माफी मांगते रहना। 
 
- ब्रीच कैंडी अस्पताल में अचानक उनसे मुलाकात जहां मैं दोस्त को मिलने गया था। विनोद गुस्से में थे। चेहरे पर चिंता की लकीरें थीं। उनकी करीबी रिश्तेदार का मोटरबाइक से दुर्घटना हुई थी। वह अपनी जिंदगी के लिए लड़ रही थी। 
 
- विनोद का मेरी फिल्म 'ज़मीर' में झलक दिखलाना। हमने कई लोकेशन्स पर साथ समय बिताया। उदयपुर के भीतरी इलाकों में एक्शन को-ऑर्डिनेटर खन्ना साहब के साथ कठिन एक्शन सीक्वेंस करना। जैसे ही इस सीक्वेंस की शूटिंग खत्म की। खन्ना साहब ने कहा- मुझे एक्शन ड्रामा के लिए ये दो कलाकार दे दो, मैं अब तक का सर्वश्रेष्ठ सामने ले आऊंगा। 
 
- उदयपुर में एक होटल में मेरा कमरा इस कोने में तो विनोद का दूसरे कोने में था। मैं अकेलापन महसूस कर रहा था। रात को मैंने फोन कर इस बारे में बताया। विनोद ने कहा कि मैं उनके कमरे में आकर रह सकता हूं। आप सोच नहीं सकते कि एक न्यूकमर के साथ एक स्टार का यह व्यवहार क्या मायने रखता है। 
 
- उनका आत्मविश्वास प्रभावी था। उनमें सकारात्मक ऊर्जा रहती थी। मुस्कुराहट, हंसी, बेफिक्र, उन्हें कोई बात परेशान नहीं करती थी। आज के दौर के हिसाब से वे 'कूल' थे। 
 
- फिल्म के सेट पर हम कुछ नया करने की कोशिश करते थे। जब मनमोहन देसाई की 'परवरिश' के सेट पर हम पांच तुला राशि वाले, शम्मी कपूर जी, अमजद, कादर खान, विनोद और मैं। हर शॉट के बाद हम जोरदार ठहाके लगाते थे। 
 
- एक दिन अचानक उन्होंने रजनीश की शरण में जाने का निर्णय लिया। वे उनका अनुसरण कर रहे थे। वे रजनीश के पास कैलिफोर्निया चले गए। मैं उन्हें एक बार लॉस एंजिल्स में मिला। उन्होंने वहां मुझे घंटों समझाया कि ये अभियान पूरी दुनिया के लिए क्या मायने रखता है। 
 
और आज दोपहर यह 48 वर्ष का साथ खत्म हो गया। ये दोस्त, साथ काम करने वाला शख्स, हमेशा मुस्कुराने वाला व्यक्ति, अस्थिर लेटा है। 
 
उनकी तरह किसी की चाल नहीं थी। भीड़ भरे कमरे में उनके जैसी मौजूदगी का असर किसी का नहीं था। वे जिस तरह से माहौल को प्रकाश से भर देते थे कोई नहीं कर सकता... उनके जैसा...कोई नहीं। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

सलमान खान की इस सुपरहिट फिल्म का बनेगा सीक्वल