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रिसर्च कर बनाई गई है ‘चार साहिबज़ादे’

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जहां इतिहास को बरकरार रखना कई बार इतिहासकारों के बूते से भी बाहर हो जाता है, वहीं फिल्मकारों से इसकी अधिक उम्मीद नहीं की जा सकती। शायद इसीलिए अब तक आई अधिकतर ऐतिहासिक फिल्मों पर बवाल मचते रहे हैं। यही वजह है कि निर्देशक हैरी बावेजा ने अपनी अगली 3डी एनिमेशन फिल्म ‘चार साहिबज़ादे’ को इन विवादों से दूर रखने की भरपूर कोशिश करते हुए इसे काफी रिसर्च के साथ बनाया है। 
 
इस सिलसिले में निर्देशक हैरी बावेजा से बात की गई तो उन्होंने कहा, ‘’यह कहानी उत्तर भारत के उन परेशानियों भरे दिनों की है जब हर कोई शांति चाहता था। वह दौर युद्ध का था सो बहुत सारे सबूत मिट चुके हैं, फिर भी कुछ ऐसी चीज़ें हैं जो हमने रिसर्च के दौरान ढूंढ निकाली। मैं वहां गया, उनकी तस्वीरें ली और ठीक वैसा ही प्रतिरूप बनाकर हमने उसे अपनी फिल्म में इस्तेमाल किया। इनमें वो पेड़ आप देख सकते हैं जिसके नीचे बैठकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने कुछ देर आराम किया था। इसके अलावा उनके द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार और धनुष बाण भी हमने हूबहू लिए हैं। सौभाग्य से उनके यह हथियार एक सिख द्वारा आज भी सुरक्षित रखे गए हैं सो हमें इसका भी फायदा मिल गया।’’ 
‘चार साहिबज़ादे’ कहानी है, सिखों के अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के चार पुत्रों अजित सिंह, जुझार सिंह, ज़ोरावर सिंह तथा फतेह सिंह के बलिदान की, जो उन्होंने धर्म की स्थापना के लिए किया। रोवेना गिरनीत बावेजा निर्मित फिल्म ‘चार साहिबज़ादे’ का निर्देशन हैरी बावेजा ने किया है। पंजाबी, हिंदी तथा अंग्रेज़ी भाषाओं में 2डी तथा 3डी में बनीं यह फिल्म, गुरु नानक जयंती के अवसर पर भारत सहित पूरे विश्व में प्रदर्शित की जाएगी।

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