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मिलिए 'फैंटम' के खलनायकों से

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प्रसिद्ध लेखक हुसैन एस जैदी की किताब 'मुंबई एवेंजर्स' की कहानी 26/11 के हमले के बाद के हालातों को बयां करती है। किताब के चार पात्र अंतराष्ट्रीय स्तर के आंतकवादियों हाफिज सईद, डेविड हेडली, साजिद मीर और लखवी पर आधारित हैं। इस किताब पर आधारित फैंटम में किताब में उकेरे गए आतंकियों को विलेन के तौर पर दिखाया गया है। 
हाफिज मुहम्मद सईद अंतराष्ट्रीय स्तर का आतंकवादी है जो जमात उद दावा का चीफ है। वह पाकिस्तान से सारे कामों को अंजाम देता है। वह सुरक्षित और सीक्रेट जगह पर रहता है क्योंकि उसके संगठन को युनाइटेड नेशंस ने आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया है। इस संगठन पर युनाइटेड स्टेट्स, युनाइटेड किंगडम, युरोपियन युनियन, रूस और ऑस्ट्रेलिया ने भी बैन लगा रखा है। हाफिज सईद 26/11 हमले के लिए जिम्मेदार आतंकियों में से एक है। साल 2012 के अप्रैल में युनाइटेड स्टेट्स हाफिज मुहम्मद सईद के ऊपर 26/11 में मुंबई पर हुए हमले में उसकी भूमिका के चलते 10 मिलियन डॉलर का इनाम घोषित करता है। 
 
डेविड हेडले पाकिस्तान से ताल्लुक रखने वाला अमेरिकी आतंकवादी है। वह एक जासूस है जो लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान इंटेलीजेंस ऑफिसर के साथ मिलकर मुंबई हमले की साजिश रचता है।  
 
तहव्वूर हुसैन राणा की ट्रायल, 26/11 मुंबई हमले का आरोपी, के समय, हेडले हमले में पाकिस्तान डायरेक्टोरेट की भूमिका के विषय में संपूर्ण जानकारी देता है। अपनी गिरफ्तारी के समय से ही, हेडली अमेरिकी और भारतीय अधिकारियों को जांच में सहयोग करता है और अपने साथियों के विषय में काफी जानकारी देता है। 24 जनवरी, 2013 को एक अमेरिकी कोर्ट के द्वारा हेडली को 35 साल की जेल की सजा सुनाई जाती है। 
 
साजिद मीर, जो हेडली का साथी था, भागने में कामयाब होता है और जानकारी के मुताबिक लाहौर में छुपा है। हमले का एक और आरोपी, जकी-उर-रहमान लखवी भी लाहौर में ही रह रहा है। वह आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का एक प्रमुख नेता है और कश्मीर में होने वाली आतंकी गतिविधियों को चलाता है। 
 
3 दिसंबर 2008 को भारतीय अधिकारी उसे मुंबई हमले के चार संभावित मास्टर माइंड में शामिल करते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, वह अजमल कसाब के परिवार को डेढ़ लाख की राशि देने की पेशकश करता है। पाकिस्तान गिरफ्तारियों कबूल करता है परंतु इनमें से किसी को भी भारत को सौंपने से इंकार कर देता है यह कहते हुए कि उन पर मुकदमा पाकिस्तान में ही चलाया जाएगा। 10 अप्रैल, 2015 को लखवी जेल से रिहा कर दिया जाता है। 

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