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पीके की सफलता के पांच कारण

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समय ताम्रकर

, शनिवार, 3 जनवरी 2015 (12:59 IST)
पीके का सीक्रेट
फिल्म का नाम पीके सुनकर लोग जानने के लिए उत्सुक हो उठे कि 'पीके' नाम क्यों रखा गया है? रिलीज के महीनों पहले फिल्म पूरी हो गई थी और आज के दौर में फिल्म के कंटेंट को लंबे समय तक छिपा रखने में हिरानी की टीम ने सफलता हासिल की। पीके नाम का भेद फिल्म देखने के बाद ही लोगों को पता चला। नाम और कहानी को लेकर जिस तरह से रहस्य बनाए रखा गया वो फिल्म की कामयाबी में अहम साबित हुआ। 

न्यूड पोस्टर ने मचाया तहलका
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जो काम हर टीवी चैनल पर जाकर और गली-गली में घूम पर सितारे अपनी फिल्मों के बारे में चीख-चीख कर अपनी अपनी फिल्मों के बारे में प्रचार करते हैं उससे ज्यादा प्रभाव 'पीके' के पहले पोस्टर ने पैदा कर दिया। आमिर खान इस पोस्टर में न्यूड नजर आएं और पूरे देश में इस पोस्टर को लेकर बहस छिड़ गई। न्यूड आमिर से लोग भले ही थोड़ा आहत हुए हो, लेकिन उन्हें पूरा‍ विश्वास था कि आमिर अपनी फिल्म के प्रचार के लिए सस्ती हरकत नहीं कर सकते हैं। उन्हें विश्वास था कि फिल्म की कहानी के लिए यह जरूरी होगा और हुआ भी वैसा ही। इस न्यूड पोस्टर ने ही लोगों में फिल्म के प्रति जिज्ञासा पैदा कर दी और महीनों पहले ही लोगों ने निश्चय कर लिया कि वे यह फिल्म देख कर ही रहेंगे। 

दमदार कहानी
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फिल्म के पोस्टर ने तो आरंभिक सफलता फिल्म को दिला दी, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर फिल्म तभी टिक पाती है जब कंटेंट दमदार हो। पीके की कहानी ने लोगों को चौंका दिया। अंधविश्वास और धर्म के नाम पर चल रही कुरीतियों के खिलाफ जोरदार तरीके से फिल्म ने अपना पक्ष रखा। उपदेशात्मक न होकर मनोरंजक तरीके से अपनी बात कही गई। लोग मुस्कुराते रहे और तर्कों से सहमत होते गए। फिल्म की कहानी पसंद की गई। फिल्म का विरोध भी हुआ, लेकिन आम आदमी ने फिल्म को कामयाब बना कर दिखा दिया कि उसे यह फिल्म अच्छी लगी।

आमिर का अभिनय
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बाहर निकले कान और चेहरे पर अजीब से भाव लिए आमिर ने पीके की भूमिका में इस कदर जान डाल दी कि यह उनके बेहतरीन अभिनय में से एक बताया गया। फिल्म का वो हिस्सा सबसे मनोरंजक है जब अनुष्का को जेल में आमिर बताते हैं कि वे किस तरह से इस गोले (पृथ्वी) पर पहुंचे और अजीबोगरीब परिस्थिति में फंस गए। आमिर का अभिनय इतना अच्छा था कि उनके परदे से गायब होते ही उनकी कमी महसूस होने लगती है। 

राजकुमार हिरानी
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वर्तमान पीढ़ी के प्रतिभाशाली निर्देशकों में से राजकुमार हिरानी एक हैं। वे ऐसी फिल्म बनाते हैं जिसमें मनोरंजन के साथ संदेश भी हो और अब तक उन्होंने कोई असफल फिल्म नहीं बनाई है। अंधविश्वास और कुरीतियों के खिलाफ फिल्म बनाने के लिए साहस होना चाहिए और हिरानी ने पूरी हिम्मत के साथ अपनी बात कही है। फिल्म में ऐसे कई दृश्य हैं जो हिरानी ने बेहतरीन तरीके से गढ़े हैं। पीके की सफलता में हिरानी का अहम योगदान है। 

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