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'लक' से मेरी वापसी हो रही है : रवि किशन

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भोजपुरी फिल्मों के सुपर स्टार रवि किशन की फिल्म 'लक' से हिंदी फिल्मों में वापसी हो रही है। अपनी वापसी की फिल्म 'लक' से वे इस कदर उत्साहित हैं कि पिछले कुछ दिनों से इस फिल्म की चर्चा करना ही पसंद कर रहे हैं। प्रस्तुत है उनसे हुई बातचीत के अंश :
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'लक' से आपकी हिंदी फिल्मों में वापसी हो रही है। कैसा लग रहा है?
मैंने इस फिल्म के लिए बहुत मेहनत की है। भोजपुरी फिल्मों का सुपर स्टार बनने के बावजूद हिंदी फिल्मों में काम करने की तमन्ना हमेशा मुझे कचोटती रहती थी। 'लक' के साथ यह सिलसिला एक बार फिर सही ढंग से शुरू हो चुका है। फिल्म 'लक' में मुझे हीरो की तरह पेश किया गया है।

किस तरह का चरित्र आप ‘लक’ में निभा रहे हैं?
इसमें मैंने राघव का चरित्र निभाया है जो कि मनोरोगी है। वह मूसा का सबसे ज्यादा पसंदीदा इंसान है। राघव का संवाद है- 'मौत की तलाश में जीता हूँ, मौत तो उनकी होती है जो हाथ की लकीरों में जीते हैं। राघव तो मौत की तलाश में जीता है।' आयशा (श्रुति हासन) से राघव पागलपन की हद तक प्यार करता है।

इस चरित्र को निभाने के लिए कोई खास तैयारी करनी पड़ी?
मैंने 15 किलो वजन घटाया है। बाल छोटे करवाए।

आपने एक्शन दृश्य खुद ही किए हैं?
सिर्फ मैंने ही नहीं, बल्कि इस फिल्म के सभी कलाकारों ने एक्शन सीन खुद ही किए हैं। फिल्म की शूटिंग के दौरान दो-तीन बार मैंने मौत को नजदीक से देखा है। कई बार बहुत ऊँचाई से नीचे कूदा हूँ। पानी के अंदर शार्क मछलियों के साथ हमारे सीन हैं। आग लगी हुई ट्रेन के ऊपर दौड़ना पड़ा। मैं अंदर से बहुत डरा हुआ था, पर लक ने मुझे बचा लिया।

फिल्म 'लक' को करने के अनुभव कैसे रहे?
बहुत अच्छे अनुभव रहे। हम सभी देर रात तक मस्ती किया करते थे, लेकिन सुबह छः बजे सेट पर पहुँच जाते थे। किसी भी कलाकार में कोई ईगो नहीं था।

निर्देशक सोहम के बारे में क्या कहेंगे?
शानदार। युवा निर्देशक हैं, लेकिन उन्होंने तीन पीढ़ी के कलाकारों को इस फिल्म से बहुत अच्छी तरह जोड़ा है। इस फिल्म के संवाद बेहतरीन लिखे गए हैं। सच कहूँ तो इस फिल्म के प्रदर्शन के साथ ही एक बार फिर संवादबाजी का युग शुरू होगा। इस फिल्म के एक-एक संवाद पर लोग ताली बजाएँगे।

हिन्दी में दूसरी कौन-सी फिल्म कर रहे हैं?
मणिरत्नम के निर्देशन में 'रावण' कर रहा हूँ। इसमें अभिषेक बच्चन मेरे भाई बने हैं। ‘रावण’ में मेरे किरदार का नाम मंगल है। सुनील शेट्टी की फिल्म 'लूट' की है जो पूरी हो चुकी है। इसकी शूटिंग बैंकॉक में हुई। श्याम बेनेगल के साथ मैंने एक फिल्म ‘वेलकम टू सज्जनपुर’ की थी। उसमें मेरे काम से प्रभावित होकर उन्होंने अपनी नई फिल्म 'वेलडन अब्बा' में मुझे बहुत बेहतरीन किरदार दिया है। इसमें मैंने एक इंजीनियर का किरदार निभाया है। इतना ही नहीं टी.पी. अग्रवाल की नई फिल्म 'न घर के न घाट के' भी करने वाला हूँ।

आपको नहीं लगता कि हिंदी फिल्मों में आपकी वापसी को काफी समय लग गया?
इसे आप 'देर आए दुरुस्त आए' भी कह सकते हैं।

हिन्दी फिल्मों में आप श्याम बेनेगल व मणिरत्नम के साथ काम कर रहे हैं, जबकि भोजपुरी में...?
देखिए, भोजपुरी फिल्मों को ऊँचाइयों तक पहुँचने में समय लगेगा, वहाँ भी धीरे-धीरे श्याम बेनेगल और मणिरत्नम के स्तर के निर्देशक आएँगे जो कि भोजपुरी फिल्मों को ऊँचाइयों पर ले जाएँगे।

हिंदी फिल्मों में व्यस्त होने के बाद भोजपुरी फिल्मों को अलविदा कह देंगे?
नहीं, मैं यहाँ पर भोजपुरी फिल्मों की ही बदौलत हूँ। भोजपुरी फिल्मों ने मुझे सुपर स्टार बनाया तो फिर भला मैं कैसे अपनी मातृभाषा का अपमान कर सकता हूँ। मैं भोजपुरी फिल्मों से अपना नाता कभी भी नहीं तोड़ सकता। मैं हिन्दी और भोजपुरी दोनों फिल्में करता रहूँगा।

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