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पंडित बिरजू महाराज के बारे में प्राची शाह पंड्या ने वेबदुनिया से की बात

हमें फॉलो करें पंडित बिरजू महाराज के बारे में प्राची शाह पंड्या ने वेबदुनिया से की बात

रूना आशीष

, मंगलवार, 18 जनवरी 2022 (16:44 IST)
"जब मैंने खबर सुनी कि महाराज जी हमारे बीच में नहीं रहे हैं तो पूरी तरह से अंदर तक हिल गई। मुझे ऐसा लगता है कि इतने बड़े जो नामी कलाकार हैं वह जितना दुनिया को दे कर जाते हैं लगभग उतना ही अपने साथ लेकर चले जाते हैं। काश ऐसा होता कि वह कभी जाते ही नहीं। काश ऐसा भगवान कोई चमत्कार कर जाए कि वह अभी हमारे बीच आ जाएं, पर ऐसा हो नहीं सकता। महाराज जी एक ऐसे शख्स रहे हैं जिन्हें देखकर ही बहुत कुछ सीखा जा सकता। फिर चाहे एक्टिंग हो, कथक हो या फिर संगीत हो।"
यह कहना है प्राची शाह पंड्या का जो बेहतरीन कथक डांसर हैं। प्राची ने वेबदुनिया से खास बातचीत करते हुए आगे बताया, 'पंडित बिरजू महाराज जी से मुझे सीधा सीखने का मौका कभी नहीं मिला, लेकिन वह मेरे गुरु यानी पंडित गणेश हीरालाल महाराज के बहुत करीबी रहे हैं। मेरे गुरु जी ने उन्हें बचपन से नृत्य करते हुए देखा है। लेकिन मैं यह नहीं कह सकती कि मुझे कभी महाराज जी के सानिध्य में आने का मौका न मिला। हाल ही में महाराज जी और शाश्वती दीदी ने एक कार्यक्रम रखा था। मुझे भी परफॉर्म करने के लिए बुलाया था। मैं कैसे मना कर देती? मैं वहां गई। मेरा तो यह मानना है कि चाहे कोई भी गुरुजन हो, उन्हें मना नहीं करना चाहिए। भले ही महाराज जी और मेरा घराना यानी हमारा कथक घराना अलग-अलग रहा है। लेकिन गुरु को मना करने की शक्ति और सामर्थ्य मुझ में नहीं है। 
 
महाराज जी की कोई ऐसी आज आपके दिल के बहुत करीब हो।
महाराज जी ने मुझे हमेशा ही आशीर्वाद दिया है। मैं जब भी उनसे मिली है बड़े ही खुश होकर मिलते थे बहुत ही प्यार से मुझसे मिलते थे। महाराज जी की पहली याद तब की है जब मैं कक्षा 5 में थी और नेहरू सेंटर, मुंबई में परफॉर्म कर रही थी। मैं वह प्रतियोगिता जीत भी गई थी तो उस समय जो इनाम और गुलदस्ता उन्होंने मुझे दिया था वह मुझे आज भी याद है। अब सोचती हूं तो मुझे ऐसा लगता है कि वह फोटो मुझे कहीं से ढूंढ कर निकालना चाहिए। मैं जब भी उनसे मिली, जब भी उनका आशीर्वाद मेरे सिर पर आया, मुझे अच्छा ही लगा है। ऐस लोग बहुत दिव्य होते हैं। आप इनके हावभाव देखो, इनके चेहरे की चमक देखो, आप इतना कुछ सीख सकते हैं। कभी-कभी मुझे लगता है कि ऐसे लोगों को शब्दों में बांधना अनुचित है। 
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जब भी आप महाराज जी से मिलती थीं, तो क्या बातें होती थीं? 
हमारी नृत्य से जुड़ी हुई बातें होती थी। वे मुझे कहते थे कि तुम अच्छा नाचती हो, हमेशा नाचते ही रहना। इस तरीके से जब वह बात करते थे तो अच्छा लगता था मन को। मैं उनके घर पर भी गई थी। शाश्वती दीदी हमेशा मुझे प्यार करती रही हैं और मैं उनके सामने बचपन से नृत्य करती आई हूं। उन्होंने मुझे बचपन से देखा है। मेरे कथक को देखा है मेरी कथक साधना को देखा है। मुझे आगे बढ़ते हुए शीर्ष तक का सफर है वहां तक उन्होंने मुझे देखा है। जब भी मैं उनसे मिली, मुझे कभी ऐसा नहीं लगा कि उन्होंने मुझे अपना नहीं माना या कभी उनके दिमाग में और दिल में यह बात आई हो कि देखो यह मेरी शिष्या नहीं है कि मैं प्यार नहीं कर सकता। भरपूर प्यार और सम्मान मुझे उनकी तरफ से हमेशा मिलता रहा। 
 
प्राची आप ने देश का प्रतिनिधित्व किया है और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी आपका नाम दर्ज है। आपके लिए गुरु क्या हैं? 
जिंदगी में गुरु की महिमा अविस्मरणीय होती है। मैं अपने गुरु की बात करती हूं। गुरु गणेश हीरालाल रोज मेरे घर पर आते थे और रियाज होता था। वह मुझे हर छोटी-बड़ी चीजों का ज्ञान दिया करते थे। आज तक मैंने जितने भी स्टेज परफॉर्मेंस दिए हैं, मेरे गुरु जी हमेशा मेरे साथ रहे हैं। हालिया बात बताती हूं। सितंबर 2021 में मैंने कजाकिस्तान में एक परफॉर्मेंस दिया और यह मेरी जिंदगी का पहला ऐसा परफॉर्मेंस था जब मेरे गुरु मेरे साथ नहीं थे, तो जो खालीपन होता है उसको मैं अभी भी भूल नहीं पाई हूं। तकरीबन ढाई साल पहले उनका देहावसान हो गया लेकिन मुझे अभी भी यह बात स्वीकारते नहीं बनती है कि अब वह मेरे साथ नहीं हैं।  
 
नई पीढ़ी को पंडित बिरजू महाराज जी के बारे में कुछ बताना चाहेंगी?  
जो कथा कहे तो कथक। बिरजू महाराज जी कथक थे और मैं तो कहूंगी कि बिरजू महाराज जी कथक हैं। मेरे गुरु जी और बिरजू महाराज जी जब साथ में बैठकर बात करते थे तो ऐसा लगता था कि उनके खून में कथक बह रहा है। वे श्वास लें तो कथक, वह बात करें तो कथक, सोचें तो भी कथक। मैं तो उनकी तरह बिल्कुल भी नहीं बन सकती हूं। जितना भी थोड़ा-बहुत किया है, उसे देखकर ऐसा लगता है कि मैं उनकी तरह आधी भी बन गई तो बहुत बड़ी बात है। बहुत सारी बातों का संतुलन करते हुए आगे बढ़ती हूं और यही बात है कि बहुत सारा संतुलन करके हम लोग आगे बढ़ते हैं, जबकि बड़े-बड़े लेजेंड जो होते हैं, किसी तरीके का कोई संतुलन नहीं करते। उनके जिंदगी में या तो कथक है या फिर कुछ भी नहीं है।

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