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हाथों में मशीनगन और चेहरे पर खून आ जाता था : सनी देओल

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रूना आशीष

“जब मेरी पहली फिल्म 'बेताब' रिलीज़ हुई थी तो मुझे याद है कि मैं और मेरे दोस्त मुंबई में माहिम इलाके में और सिद्धी विनायक मंदिर के पास एक चौराहे पर जाया करते थे। उस समय ऐसा कहते थे कि इस चौराहे पर जो पोस्टर लग जाए उस फिल्म का प्रमोशन बड़ा दमदार हो जाएगा। वो चौराहा मुंबई के व्यस्ततम चौराहे में से एक माना जाता है। जब 'बेताब' रिलीज़ हो रही थी तो मेरे कुछ दोस्त और मैं वहां गए थे अपनी ज़िंदगी का पहला पोस्टर देखने के लिए”, यह कहना है सनी देओल का, जिनकी फिल्म 'पोस्टर बॉयज़' 8 सितंबर को रिलीज हुई है, जिसमें उनके भाई बॉबी देओल भी हैं। 
 
इस तरह श्रेयस बने निर्देशक 
सनी देओल का 'पोस्टर बॉयज़' के बारे में कहना है “मेरी 'घायल वंस अगेन' खत्म ही हुई थी और मैं अपने बेटे को ले कर फिल्म प्लान कर रहा था कि मैंने सोचा कि क्यों ना एक फिल्म कर ली जाए। अगर इसमें बॉबी का साथ मिला जाए तो और बेहतर रहेगा। हमने मराठी फिल्म 'पोस्टर बॉयज़' के बारे में सुना था और फिर श्रेयस के बारे में मालूम पड़ा कि वो भी ऐसी कोई फिल्म बनाना चाह रहे हैं। मैंने श्रेयस से बात की। कहानी सुनी। श्रेयस और हमारी टीम बन गई। निर्देशक की तलाश शुरू कर दी। ऐसा निर्देशक चाहिए था जो 6 महीने में फिल्म को खत्म कर दे। श्रेयस के साथ मैं 'भैय्याजी सुपरहिट' भी कर रहा था। हमें साथ में सीन करने में बड़ा मजा आता था। मैंने श्रेयस से कहा कि क्यों नहीं तुम ही फिल्म निर्देशित कर लेते और इस तरह श्रेयस निर्देशक बन गया।”
 
मैंने हमेशा रिस्क ली है 
फिल्म के बारे में बात करते हुए सनी देओल ने बताया कि फिल्म करते समय मुझे नहीं लगा कि मैं कोई रिस्क ले रहा हूं। वैसे भी मैंने हमेशा से ही रिस्क ली है चाहे वो मेरे करियर की शुरुआती फिल्में ही क्यों ना रही हो क्योंकि जब मैंने काम करना शुरू किया और जिस तरह की फिल्में मैंने की तब उस तरह की फिल्में न तो बनती थीं औऱ न ही चलती थी। रिस्क तो हमेशा से लिया है। मन में अच्छा लगा तो फिल्म कर ली। चली, तो अच्छी बात है, वरना कोई नहीं, फिर कुछ नया कर लेंगे। 
 
नजर आएगा माचो अवतार 
'पोस्टर बॉयज़' में आपके माचो अवतार से अलग प्यारा-सा पति बना कर लाया गया है? इस बारे में सनी जवाब देते हैं 'आप फिल्म देखिए, आपको मेरे उस माचो अवतार की झलक तो मिल जाएगी। मेरे उसी रूप को थोड़े से बदलाव के साथ दिखाया है। फिल्म में हम लोगों की ज़िंदगी में ऐसा होता है कि जब तक कोई अजीब सी घटना न हो जाए तब तक हम सभी कहते हैं कि हमें तो खुल दिल से चीज़ें करनी चाहिए या सोच बड़ी रखनी चाहिए, और जैसे ही घर में किसी के साथ ऐसा-वैसा कुछ हुआ कि हम यू-टर्न लेते हैं और अपने दकियानूसी खयालात में पहुंच जाते हैं।'   . 
 
हाथों में मशीनगन आ जाती थी 
फिल्म का नाम पोस्टर बॉयज़ है और बात पोस्टर की निकली है तो सनी से पूछा कि कभी आपके साथ ऐसा हुआ है कि आपको खुद को नहीं मालूम पड़ा कि आप कब पोस्टर पर छप गए? 'ऐसा तो बहुत हुआ है मेरे साथ। जब मैं अपनी किसी फिल्म का पोस्टर अपने डिस्ट्रीब्यूटर के पास भेजता था,  प्रमोशन या रिलीज़ होने के पहले, तो फाइनल पोस्टर जो मैं देखता था उसमें मेरे हाथों में मशीनगन आ जाती थी। मेरे सिर और चेहरे पर से खून टपक रहा होता था। मैं सोचने लगता कि मेरी इस फिल्म का पोस्टर मैंने ऐसा तो नहीं छपवाया था, लेकिन कोई नहीं सब ठीक है।' 

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