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अमिताभ बच्चन

हमें फॉलो करें अमिताभ बच्चन
बॉलीवुड के शहंशाह कहे जाने वाले बिग बी यानी अमिताभ बच्चन, 11 अक्टूबर 1942 को इलाहाबाद में जन्मे, प्रसिद्ध हिन्दी कवि डॉ हरिवंश राय बच्चन एवं तेजी बच्चन की पहली संतान आज भारतीय सिनेमा जगत के सबसे परिचित चेहरों में से हैं। उन्होंने इलाहाबाद के बोयस हाई स्कूल, नैनीताल के शेरवुड कालेज और दिल्ली के किरोड़ीमल कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की। वे इंजीनियर बनना चाहते थे, पर केवल विज्ञान स्नातक ही हो सके।

सफर की शुरुआत -
ऑल इंडिया रेडियो द्वारा नकार दिए जाने के बाद कोलकाता की बर्ड एंड कंपनी में छह वर्ष अच्छी नौकरी करने के पश्चात वे फिल्मो में भाग्य आजमाने के लिए मुंबई पहुँचे। ख्वाजा अहमद अब्बास की फि़ल्म 'सात हिन्दुस्तानी' में काम करने के लिए सन 1971 में चुने गए।

संघर्ष का दौर
पहली फि़ल्म सफल नहीं हुई लेकिन उसी वर्ष हृषीकोश मुखर्जी द्वारा निर्मित फि़ल्म 'आनंद' को जबर्दस्त सफलता मिली और इसमें अमिताभ बच्चन के अभिनय को भी भरपूर सराहा गया। इस फिल्म में उन्होंने तत्कालीन सुपरस्टार राजेश खन्ना के साथ काम किया था। इसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई असफल फिल्मों में काम किया। लेकिन इसके बाद सफल फि़ल्मों का ताँता लग गया। अमिताभ बच्चन के नाम से जुड़ जाने से ही फि़ल्में चलने लगीं।

मुमताज का इंकार
मजे की बात यह है की उस जमाने की कई मशहूर अभिनेत्रियों ने शुरुआती दौर में अमिताभ के साथ काम करने से इंकार कर दिया था। मुमताज ने तो एक फिल्म के सेट पर अमिताभ को अपमानित करते हुए यहाँ तक कह दिया था कि इतने लंबे कद व धँसी हुई आखों वाला यह युवक किसी भी तरह से हीरो नहीं लगता, बाद में यही मुमताज अमिताभ के साथ फिल्म करने के लिए उनकी मिन्नतें करती नजर आईं।

एंग्री यंगमैन
फिल्म 'जंजीर' से अमिताभ ने उस दौर के आक्रोशित युवा के रुप में रजत पट पर अपना सिक्का जमा लिया, उसके बाद से अमिताभ ने कभी मुड़कर नहीं देखा। समाज से खफा, सिस्टम से परेशान नौजवान की भूमिका को अमिताभ ने कुछ इस तरह जिया कि बॉलीवुड में उन्हें 'एंग्री यंग मैन' की उपाधि से नवाजा। इससे पहले किसी अभिनेता को यह खिताब नसीब नहीं हुआ।

राजनीति की राह
सन 1984 के आम चुनावों में अमिताभ बच्चन ने हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे प्रभावशाली राजनेता को हराकर इलाहाबाद से लोकसभा का चुनाव भारी बहुमत से जीता। 1986 में बोफ़ोर्स प्रकरण में उनका नाम आने की वजह से अमिताभ ने लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफ़ा देते हुए राजनीति से संन्यास ले लिया ।

दूसरी पारी
1990 के आते-आते अमिताभ के फि़ल्मी सफऱ में ठहराव आया और उनकी कई फि़ल्में बॉक्स ऑफि़स पर पिटने लगीं । उदारीकरण के दौर में अमिताभ बच्चन ने अमिताभ बच्चन कॉरपोरेशन लिमिटेड नाम की कंपनी की शुरूआत की और कई नए चेहरों को रुहले पर्दे पर अवतारित करने की योजना के साथ वें फिल्म निर्माण में उतरे लेकिन जल्द ही इसमें भी उन्हें असफलता हाथ लगी। फलस्वरुप एबीसीएल भारी घाटे के साथ अमिताभ को ले डूबी, भारी कर्ज के चलते अमिताभ को हर प्रकार के रोल हाथ में लेने पड़े।

दृढ निश्चयी अमिताभ
इन सबके बावजूद अमिताभ ने हार नहीं मानी तथा खुद को दिवालिया घोषित करने के बजाय उन्होंने दूरदर्शन सहित सभी कर्जदारों की पाई-पाई चुकाने के लिए दिन-रात एक कर दिए। फिल्म 'मोहब्बतें' के एक सीन में अमिताभ को आँखों में आँसू लाने थे, इसके लिए उन्होने ग्लिसरीन का इस्तेमाल न करते हुए अपने कर्ज को याद किया, आँसू खुद-ब-खुद आ गए। यह बात अमिताभ खुद स्वीकार करते हैं। बहुत से विरोध-अवरोध के बाद अमिताभ खुद को व एबीसीएल को कर्ज मुक्त करा चुके हैं।

सफलता का शिखर
टीवी चैनल स्टार प्लस पर प्रसारित कार्यक्रम कौन बनेगा करोड़पति से अमिताभ बच्चन को आशातीत सफलता हाथ लगी और व्यावसायिक तौर पर उन्हें इससे भारी लाभ हुआ । अमिताभ बच्चन ने इसके बाद सफलता की वह ऊँचाई छू ली जहाँ कभी कोई नहीं गय़ा था। साथ ही उन्होंने लगभग हर प्रकार के किरदार कर निभा अपनी बहुमुखी प्रतिभा को एक बार फिर साबित किया।

छोटे सरकार यानी जूनियर बच्चन भी इन दिनों खूब धूम मचा अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए आदर्श पूत साबित हो रहे हैं।

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