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डर्टी पिक्चर की चुनौती स्वीकार है!

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, गुरुवार, 11 अगस्त 2011 (14:03 IST)
निशिका अग्निहोत्री

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एक आम कनक छड़ी-सी हीरोइन जैसी न तो वे दिखती हैं, न ही दिखना चाहती हैं। अपने मैच्योर लुक्स और मैच्योर एक्टिंग के साथ विद्या बहुत खुश हैं। वे जानती हैं कि उनकी झोली में ज्यादातर फिल्में "लीक" से हटकर हैं, लेकिन इस बात को लेकर भी उन्हें कोई टेंशन नहीं है। उनकी जगह कोई और हीरोइन होती तो शायद ही इतनी विविध भूमिकाओं के लिए हाँ कह पाती, क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री में पारंपरिक हीरोइनों वाले रोल्स से हटकर रोल करना खुद के अस्तित्व को खतरे में डालने जैसा है। बहुत कम अभिनेत्रियाँ ऐसा कर पाती हैं। यह विद्या का आत्मविश्वास ही है कि वे कमर्शियल और पैरेलल सिनेमा दोनों में ही मजबूती से अपनी पहचान बनाकर खड़ी हैं।

कुछ ही दिनों में विद्या की एक और चर्चित फिल्म "डर्टी पिक्चर" थिएटरों में होगी और एक बार फिर विद्या अपने नए अंदाज से दर्शकों से रूबरू होंगी। जैसा कि कहा जा रहा है, यह फिल्म दक्षिण भारतीय फिल्मों की आइटम गर्ल "सिल्क स्मिता" के जीवन पर आधारित है। जाहिर है कि विद्या को इस फिल्म में बहुत से "बोल्ड" सीन से गुजरना पड़ा है, लेकिन उन्होंने यह काम भी उतने ही आत्मविश्वास से किया है, जितना इश्किया में सीधे पल्ले की साड़ी और मेकअप विहीन रहकर किया था। बढ़े हुए वजन तथा शॉर्ट ड्रेसेस के साथ इस फिल्म में वे एक अलग ही अंदाज में नजर आएँगी।

बकौल विद्या- "जब मुझे यह रोल (सिल्क स्मिता का) ऑफर हुआ तो मैं स्तब्ध रह गई और रोमांचित भी हुई, क्योंकि स्मिता और मुझमें बहुत अंतर है, लेकिन मैंने इस चुनौती को स्वीकार किया। मैं इसको लेकर बहुत रोमांच महसूस कर रही हूँ। यह उनके स्वाभाविक अभिनय का ही कमाल है कि "पा" फिल्म देखने के बाद दर्शकों सहित कई आलोचकों ने भी कहा था कि इस फिल्म का नाम "माँ" होना चाहिए था।

यूँ विद्या का नाम उनके साथ काम कर चुके कई अभिनेताओं से जोड़ा जा चुका है और आजकल उनके और सिद्धार्थ रॉय कपूर (यूटीवी के सीईओ) के अफेयर की चर्चाएँ हवा में हैं। अगर पूछा जाए कि गहरे प्रेम में पड़ने का असर किसी पर कितना हो सकता है, तो विद्या मानती हैं कि प्रेम में पड़कर कोई भी इस कदर दीवाना हो सकता है कि वह जिसे चाहता है, उसके लिए पागलपन की हद तक "पजेसिव" हो जाए। खुद विद्या भी ऐसा कर चुकी हैं।

वे खुद कहती हैं कि उनकी जिंदगी में एक समय ऐसा भी था, जब वे अपने से जुड़े उस "खास" के बारे में पल-पल की खबर रखना चाहती थीं। वे चाहती थीं कि "वह" उन्हें हर पाँच मिनट में कॉल करे। वे अपनी मासूमियत और बचपने में इतनी जिद्दी हो गई थीं कि यह उनके तथा उनके "पार्टनर" के लिए दुखदायी हो गया था, "लेकिन शुक्र है कि अब मैं "बड़ी" हो गई हूँ।

अब सोचती हूँ तो लगता है कि वाकई वो सब कितना परेशानीभरा लगता होगा। मुझे खुद पसंद नहीं है कि कोई हर समय मेरे आने-जाने, खाने-पीने का हिसाब रखे। यह सब वाकई परेशानीभरा होता है।" विद्या मानती हैं कि किसी भी रिलेशनशिप में दोनों लोग कभी भी परफेक्ट नहीं हो सकते और यही रिश्तों की सुंदरता है। इसलिए वे कहती हैं- "मैं रिश्तों की इसी सहजता को तवज्जो देती हूँ, इसलिए मैं जब भी किसी रिलेशनशिप में रहूँगी तो मैं विद्या बालन नहीं रहूँगी, सिर्फ विद्या रह जाऊँगी।"

बहरहाल, इश्किया, नो वन किल्ड, कहानी और अब डर्टी पिक्चर जैसे गंभीर रोल्स के बाद विद्या फिर से कॉमेडी की ओर मुड़ना चाहती हैं। वे शिद्दत से किसी अच्छी कॉमेडी फिल्म के ऑफर का इंतजार कर रही हैं, हाँ, लेकिन इस कॉमेडी में भी इमोशन्स हों तो और अच्छा... ऐसा विद्या का मानना है।

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