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हॉलीवुड को चाहिए भारतीय विलेन!

शीना बजाजी

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अनिल कपूर के सितारे इन दिनों बुलंदी पर हैं। देश में उतने नहीं, जितने विदेश में। "स्लमडॉग मिलियनेयर" ने उन पर "अंतरराष्ट्रीय सितारा" होने का ऐसा ठप्पा लगाया कि अब वे हॉलीवुड में ही काफी समय बिता रहे हैं। उनकी आगामी फिल्मों में हॉलीवुड सुपरस्टार टॉम क्रूज के साथ "मिशन इम्पॉसिबल-4 : घोस्ट प्रोटोकॉल" शामिल है, जो इस वर्ष के अंत तक रिलीज होने जा रही है।

खास बात यह है कि "स्लमडॉग मिलियनेयर" की तरह "मिशन इम्पॉसिबल..." में भी अनिल नकारात्मक किरदार निभा रहे हैं। यह महज इत्तेफाक है या फिर अनिल अपनी इमेज बदलने के लिए हॉलीवुड में अपना करियर खलनायक के रूप में बनाना चाहते हैं? या फिर हॉलीवुड ही उन्हें नकारात्मक रोल ऑफर कर रहा है?

अनिल अकेले नहीं हैं। हम गौर करें तो पाते हैं कि हमारे यहाँ से जितने भी कलाकारों को हॉलीवुड फिल्मों में काम मिला है, उनमें से अधिकांश को नकारात्मक भूमिकाएँ ही मिली हैं। यह सच है कि अभिनय एक कला है और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप अच्छे आदमी की भूमिका कर रहे हैं या बुरे आदमी की, लेकिन यदि हॉलीवुड की फिल्मों में भारतीय किरदारों के लिए निकलने वाली गुंजाइश अधिकतर नकारात्मक रोल्स में ही होती है तो यह जरा सोचने वाली बात है।

यूँ हॉलीवुड का फॉर्मूला सिनेमा एक हद तक नस्लवादी सोच से हमेशा प्रभावित रहा है। वहाँ परंपरागत रूप से हीरो कोई श्वेत ही होता आया है। अमेरिका के मूल निवासी (जिन्हें पहले रेड इंडियन और अब अमेरिकन इंडियन कहा जाता है) इसमें पहले हँसी के पात्र के रूप में ही चित्रित किए जाते थे, बाद में इस पर विराम लगा।

अश्वेत किरदार यदि होता तो हीरो के दोस्त या सह-कर्मी जैसी सहायक भूमिकाओं में ही होता। चीनियों और भारतीयों के बड़ी संख्या में अमेरिका जा बसने के बाद इनके किरदार भी दोस्त-सहयोगी के रूप में पर्दे पर नजर आने लगे। पिछले दो-ढाई दशक से हॉलीवुड फिल्मों में अश्वेत कलाकार हीरो के रूप में आने लगे हैं। भारतीयों और चीनियों को शायद वहाँ तक पहुँचने में अभी कुछ दशक और लगेंगे। तब तक वे खलनायक जरूर बन सकते हैं।

खैर, बात हो रही थी अनिल कपूर की। "मिशन इम्पॉसिबल..." में वे एक भ्रष्ट भारतीय अरबपति ब्रिजनाथ का रोल कर रहे हैं और टॉम क्रूज के साथ काम करने का मौका मिलने पर अभिभूत हैं। हालाँकि उम्र और अनुभव के मामले में अनिल टॉम से बड़े हैं, लेकिन हॉलीवुड के होने की वजह से टॉम वैश्विक स्तर पर ज्यादा बड़े सितारे हैं और दोनों का साथ काम करना टॉम के लिए नहीं, अनिल के लिए "सौभाग्य" की बात है। वैसे भी, "मिशन इम्पॉसिबल" जैसी कामयाब सीरिज के साथ जुड़ना किसी भी कलाकार के लिए गौरव की बात मानी जाती है, फिर चाहे विलेन के रूप में ही सही।

इधर इरफान खान ने भी अपनी ख्याति अंतरराष्ट्रीय सितारे के रूप में स्थापित की है। उनके करियर की भी एक महत्वपूर्ण फिल्म आने वाली है। यह है स्पाइडरमैन सीरिज की "द अमेजिंग स्पाइडरमैन" और इसमें वे भी खलनायक का रोल कर रहे हैं। बरसों पहले अमरीश पुरी को स्टीफन स्पीलबर्ग की "इंडियाना जोन्स एंड द टेम्पल ऑफ डूम" (1984) में खलनायक मोलाराम का रोल मिला था।

उनके अभिनय को भले ही पसंद किया गया हो, लेकिन इस बात को लेकर विवाद छिड़ गया था कि फिल्म में भारतीयों को गलत तरीके से पेश किया गया है। यहाँ तक कि इसकी स्क्रिप्ट पढ़कर सरकार ने भारत में इसकी शूटिंग की अनुमति नहीं दी थी और इसे श्रीलंका में शूट किया गया। रिलीज होने पर भारत में इस पर प्रतिबंध भी लगाया गया था और अमरीश पर यह आरोप भी लगा था कि उन्होंने भारत की गलत छवि पेश करने में योगदान किया!

लगभग उसी समय जेम्स बॉण्ड सीरिज की फिल्म "ऑक्टोपसी" में कबीर बेदी ने भी नेगेटिव रोल किया था। वैसे इसी फिल्म में टेनिस सितारे विजय अमृतराज भी जेम्स बॉण्ड के सहायक के तौर पर भले आदमी के रोल में थे। इधर हिन्दी फिल्मों के बैड मैन गुलशन ग्रोवर इन दिनों अमेरिका में बैड मैन बने हुए हैं। ... और फिर हम कैसे भूल सकते हैं कि हमारी विश्व सुंदरी ऐश्वर्या राय बच्चन ने भी "पिंक पैंथर-2" के जरिए हॉलीवुड में प्रवेश का ऐलान किया था और वे भी इसमें खलनायिका निकली थीं।

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