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हॉलीवुड को बॉलीवुड का सहारा!

डीजे नंदन

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मंदी का असर हर तरफ दिख रहा है। दुनियाभर में अपनी श्रेष्ठता को लेकर हमेशा नाक ऊँची रखने वाला हॉलीवुड भी इसका शिकार हो चुका है। 2010-11 के वित्तीय वर्ष में हॉलीवुड का कारोबार पिछले वित्तीय वर्ष के मुकाबले ६ अरब डॉलर कम हुआ और 2 साल पहले के मुकाबले इसमें 10 से 11 अरब डॉलर की कमी आई है। लगातार घटते आँकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि हॉलीवुड में संकट गहरा रहा है।

शायद यही वजह है कि हॉलीवुड अपने अस्तित्व को बनाए और बचाए रखने के लिए अब दुनिया के उन बाजारों में दस्तक दे रहा है जहाँ पहले वह नाक-भौं सिकोड़ते हुए भी नहीं जाया करता था। भारत चीन के बाद दूसरा वह देश है जो मंदी से उस तरह से प्रभावित नहीं हुआ जैसे दूसरे देश प्रभावित हुए हैं। यही वजह है कि हॉलीवुड की निगाहें अब भारत पर हैं। भारत पिछले दो दशकों से हॉलीवुड के निशाने पर है। अगर देखा जाए तो 90 के बाद से ही भारत के दर्शक बाजार पर हॉलीवुड अपना जाल बिछाने लगा था और वह ऐसा करे भी क्यों न?

आखिरकार पूरी दुनिया में सिनेमा के इतने ज्यादा संगठित दर्शक और कहाँ हैं? मजे की बात यह है कि दुनिया के बाकी देश जहाँ एक खास तरह की संस्कृति से ही बँधे रहते हैं, वहीं भारतीय दर्शकों की सांस्कृतिक विविधता काफी बड़ी है। वे दूसरे देशों के दर्शकों के मुकाबले कहीं ज्यादा सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार कर लेते हैं। यह अकारण नहीं है कि 1995 के बाद से 2010 तक में हॉलीवुड की फिल्मों का कारोबार भारत में 270 फीसद से भी ज्यादा बढ़ा है।

हॉलीवुड अब भारत के इस बाजार पर कब्जा करने के लिए कई तरह की रणनीतियों में एक साथ जुट गया है। जिस तरह "स्लमडॉग मिलियनेयर" पूरी दुनिया में हिट हुई, उसे देखते हुए अब हॉलीवुड यह समझने लगा है कि न सिर्फ भारत का बाजार उसके लिए जीवनदान का बहुत बड़ा आधार हो सकता है बल्कि भारत को भी बड़े पैमाने पर बेचा जा सकता है। हॉलीवुड का यह सोचना इसलिए भी दुरुस्त है, क्योंकि 2.5 करोड़ से ज्यादा भारतीय विदेशों में रह रहे हैं। उनके साथ दो बड़ी खूबियाँ हैं। एक तो वे विदेशों में रहते हुए भारत को नहीं भूलते।

दूसरी बात, वे तमाम हिन्दुस्तानियों की तरह ही सिनेमा के बड़े शौकीन हैं। यही कारण है कि एक तरफ जहाँ भारतीयों से सजे विश्व बाजार को हॉलीवुड भुनाने की जबर्दस्त फिराक है, वहीं दूसरी तरफ भारत के दर्शकों पर भी उसकी लगातार नजर है। यह अकारण नहीं है कि हाल के सालों में न सिर्फ हॉलीवुड फिल्मों के विषयों में अचानक भारत की शानदार इंट्री हुई है बल्कि भारतीय कलाकारों को भी अब हॉलीवुड पहले के मुकाबले कहीं ज्यादा तरजीह देने लगा है। इसकी भी वजह यही है कि वह ज्यादा से ज्यादा भारतीय सिने दर्शकों को अपने कारोबारी दायरे में लाना चाहता है।

यूँ तो भारतीय कलाकारों पर हॉलीवुड कभी न कभी नजर मार ही लेता था। 50 साल पहले भी उसने दिलीप कुमार से एक फिल्म में अभिनय करने के लिए कहा था। ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार को 60 के दशक में हॉलीवुड के प्रतिष्ठित निर्देशक डेविड लीन ने "लॉरेंस ऑफ अरेबिया" का मुख्य किरदार निभाने के लिए कहा था, लेकिन दिलीप कुमार ने मना कर दिया था। दिलीप कुमार के बाद बीच-बीच में कई दूसरे भारतीय सितारों से भी हॉलीवुड कनेक्शन भिड़ाता रहा है लेकिन पता नहीं किस वजह से पहले भारत के सितारे हॉलीवुड जाने से कतराते रहे हैं। मगर हाल के दिनों में बड़े पैमाने पर बॉलीवुड के सितारों ने भी हॉलीवुड की तरफ प्यार और ललचाई निगाहों से देखा है।

"स्लमडॉग" में अनिल कपूर को वैश्विक पहचान मिली। हालाँकि पहले इस रोल के लिए निर्माता ने शाहरुख खान से संपर्क किया था, पर शाहरुख खान ने मना कर दिया। हाल के दिनों में इरफान खान हॉलीवुड के लिए पसंदीदा कलाकार बनकर उभरे हैं। अब महानायक अमिताभ बच्चन को भी आप हॉलीवुड की आने वाली फिल्म "द ग्रेड गैट्सबाय" में देख सकते हैं।

हाल के सालों में भारतीय फिल्मों के विश्व बाजार में भी अच्छा खासा इजाफा हुआ है और जाहिर है, वह भारतीय कलाकारों की दुनिया में बढ़ रही लोकप्रियता और पहुँच का नतीजा है। नतीजतन हॉलीवुड भारत की इस शानदार स्थिति का फायदा उठाने के लिए बॉलीवुड का कंधा पकड़कर उस पर फंदा डाल रहा है।

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