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कौन होगी नई पीढ़ी की सुपरस्टार त्रिमूर्ति?

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यह अजीब संयोग है कि जब से भारतीय फिल्म उद्योग अस्तित्व में आया, तब से लंबे समय तक तीन अभिनेता कई दशक तक सुपरस्टार बने रहे। मसलन 50 और 60 के दशकों में दिलीप कुमार, राज कपूर और देव आनंद की तूती बोलती थी।

फिर 70 और 80 के दशक में धर्मेंद्र, राजेश खन्ना और अमिताभ बच्चन के नाम से फिल्में हिट हुआ करतीं थीं। 90 से लेकर अब तक आमिर खान, सलमान खान और शाहरुख खान का दौर चल रहा है। इस बीच रितिक रोशन ने काफी दमखम दिखाया, लेकिन लगातार गलत फिल्मों के चयन की वजह से वे अब इस दौड़ से बाहर चले गए हैं।

इन त्रिमूर्तियों के उल्लेख का यह मतलब कतई नहीं है कि इनके दौर में कोई और मजबूत सितारा था ही नहीं। राज कुमार, शम्मी कपूर, राजेन्द्र कुमार, गुरुदत्त, अनिल कपूर, गोविंदा, संजय दत्त, सैफ अली खान, अक्षय कुमार, रितिक रोशन आदि ऐसे कलाकार हमेशा मौजूद रहे, जो इन त्रिमूर्तियों के बावजूद अपना अलग स्थान बनाए रहते हैं, लेकिन यह भी तथ्य है कि सुपरस्टार के तौर पर यही त्रिमूर्तियाँ चर्चा में रही हैं। इसलिए सवाल यह है कि जब खान त्रिमूर्ति 50 के आसपास होने लगी है तो जनरेशन नेक्स्ट की सुपरस्टार त्रिमूर्ति कौन होगी?

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अब तक जिन सितारों के नाम सामने आए हैं, उनमें रणबीर कपूर, शाहिद कपूर, इमरान खान, रणवीर सिंह, कुणाल कपूर, सिद्धार्थ, रितेश देशमुख, श्रेयस तलपड़े आदि के काम की काफी सराहना होती रही है, लेकिन लगता यह है कि सुपरस्टार त्रिमूर्ति की विरासत रणबीर कपूर, शाहिद कपूर और इमरान खान के हाथ ही आएगी।

इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि 'रॉकस्टार' ने 'बॉडीगार्ड' की तरह बॉक्स ऑफिस पर धमाल नहीं मचाया है, लेकिन भारतीय सिनेमा इतिहास में 'रॉकस्टार' एक क्लासिक के रूप में याद की जाएगी और इसके जरिए रणबीर कपूर सुपरस्टार की श्रेणी में शामिल हो जाएँगे।

यह प्रश्न बेकार का है कि क्या इस फिल्म को किसी दूसरे कलाकार को लेकर भी इतनी सफलता के साथ बनाया जा सकता था? दरअसल, जिस तरह 'गंगा जमुना' को दिलीप कुमार के बिना, 'दीवार' को अमिताभ के बिना और 'थ्री इडियट्‌स' को आमिर के बिना नहीं सोचा जा सकता, वैसे ही 'रॉकस्टार' रणबीर कपूर की अभिनय यात्रा का अभिन्न अंग बन गई है।

जिस तरह दीवार आधुनिक संदर्भों में 'गंगा जमुना' की रीमेक प्रतीत होती है, उसी तरह 'रॉकस्टार' की हर फ्रेम 'हीर राँझा' का आधुनिकीकरण लगती है, लेकिन इस नकल से अमिताभ बच्चन के सुपरस्टार बनने पर कोई फर्क नहीं पड़ा था और न ही रणबीर कपूर के सुपरस्टार बनने पर कोई फर्क पड़ेगा।

रणबीर ने अपने जादुई अभिनय से आधुनिक राँझा के किरदार को उतना ही जीवंत कर दिया है, जितना अमिताभ ने डाकू गंगा के चरित्र को स्मगलर बनकर नई ऊँचाइयों पर पहुँचा दिया था। रणबीर की अदाकारी निश्चित रूप से शानदार है। इसलिए बतौर एक्टर उनका विकास और उसके साथ आने वाले स्टारडम पर किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

कहा जाता है कि बच्चे विरासत में उन चीजों को भी पा जाते हैं, जो उनके माता-पिता को न मिल सकीं थीं। रणबीर के पिता ऋषि और माँ नीतू निश्चित रूप से स्वाभाविक कलाकार थे, लेकिन अपने दौर के बड़े सितारों की चकाचौंध में उनको वह मकाम नहीं मिल सका, जिसके वे हकदार थे। यह सब रणबीर को मिल सकता है, क्योंकि उनमें टैलेंट भी है और करिश्मा भी। यह बात 'रॉकस्टार' से ही नहीं, बल्कि 'रॉकेटसिंह', 'वेकअप सिड', 'अजब प्रेम की गजब कहानी' और 'राजनीति' से भी साबित हुई है। इन फिल्मों के जरिए रणबीर ने अपने अभिनय की क्षमता और रेंज को प्रदर्शित किया है।

हालाँकि रणबीर कपूर की तरह ही शाहिद कपूर के पास भी प्रतिभा है, लेकिन अभी तक उन्हें वह स्टारडम हासिल नहीं हो सकी है, जिसके वे अधिकारी हैं। असल में शाहिद कुछ जरूरत से ज्यादा मेहनत करते हैं, जिससे उनकी सहजता ज्यादातर लुप्त हो जाती है। वे रितिक रोशन की तरह कभी-कभी ही अपनी कला का जौहर दिखाते हैं।

एक और बात यह भी है कि रणबीर की तरह शाहिद ने अपने करियर में भूमिकाओं का चयन ठीक से नहीं किया। शायद उनके पास खराब रोल ठुकराने का विकल्प ही नहीं था। 'मौसम' भी उनके लिए वैसा कुछ नहीं कर पाई, जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे।

गौरतलब है कि शाहिद ने अन्य प्रोजेक्ट को पीछे छोड़कर 'मौसम' में अपने कई वर्ष निवेश किए हैं। फिल्म का पहला हिस्सा तो आकर्षक था, लेकिन दूसरे हिस्से ने शाहिद के लिए ऐसी स्थिति पैदा कर दी कि उन्हें फिर से अपने आपको स्थापित करना होगा।

बहरहाल इस तरह का धक्का शाहिद के लिए नई बात नहीं है। निजी जिंदगी में तमाम उतार-चढ़ाव के बावजूद अपने व्यक्तिगत जीवन को एक तरफ करके शाहिद प्रोफेशनल फ्रंट पर कुछ नया और अच्छा करने के लिए प्रयासरत हैं। शाहिद के लिए यह आवश्यक है कि वे फिर विशाल भारद्वाज या इम्तियाज अली की शरण में जाएँ, ताकि 'कमीने' या 'जब वी मेट' जैसी सफलता फिर दोहराई जा सके।

भावी सुपरस्टार त्रिमूर्ति का तीसरा कोण है इमरान खान। हालाँकि 'जाने तू या जाने ना', 'डेल्ही बेली' और 'मेरे ब्रदर की दुल्हन' को छोड़कर इमरान की जितनी और फिल्में आईं हैं उनमें से कोई भी याद रखने के काबिल नहीं है, लेकिन उनकी पीएम (पब्लिसिटी मशीनरी) उन्हें सुपरस्टार बनाने पर तुली हुई है। फिर उनके पीछे उनके मामू आमिर खान भी तो मौजूद हैं।

बहरहाल, अब तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिल रहे हैं कि इमरान अभिनय या स्टारडम को लेकर बहुत गंभीर हैं। उनके चेहरे की मासूमियत की वजह से वे अलग तरह के रोल करने के लिए अभी तक बहुत उपयुक्त नहीं लगते हैं। इसलिए यह कहना कठिन है कि लवर बॉय की भूमिका से अलग भी वे कोई भूमिका कर सकते हैं!

'बैंड बाजा बारात' के बाद रणवीर सिंह ने भी दिखाया है कि वे भी सुपरस्टार त्रिमूर्ति का हिस्सा हो सकते हैं। वो गोविंदा की तरह अच्छे डांसर हैं और कॉमेडी भी कर लेते हैं, लेकिन खान त्रिमूर्ति की जगह आने वालों में शामिल होने के लिए उन्हें अभी कुछ और दम दिखाना होगा। अब तक तो स्थिति सिर्फ रणबीर कपूर की ही साफ है कि उनके पास नेक्स्ट जनरेशन का सुपरस्टार बनने का माद्दा है।

शाहिद और इमरान उनसे बहुत पीछे नजर आते हैं। रणवीर सिंह को अभी बहुत कुछ साबित करना है। फिलहाल तो कोई भी रणबीर के आसपास नजर नहीं आता है। तो अभी दो वेकेंसी और हैं: एक पर तो रणबीर कपूर का दावा बहुत मजबूत है।

- डीजे नंदन


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