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जब संगीत की ताल पर हो फिल्मी कहानी

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संगीत हिन्दी फिल्मों की साँस है, जान है। चाहे फिल्म की कहानी कुछ भी हो, संगीत के बिना हिन्दी फिल्मों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। फिर किसी फिल्म का संगीत कैसा है और कितना लोकप्रिय हुआ है उससे फिल्म के हिट या फ्लॉप होने का अनुमान भी लगाया जा सकता है।

यदि किसी फिल्म के गीत पसंद किए जा रहे हैं तो इसका मतलब है कि लोग फिल्म देखने भी जरूर आएँगे। अब तो फिर भी फिल्मों में गीतों की संख्या कम होने लगी है, नहीं तो बोलती फिल्मों के प्रारंभिक दौर में किसी फिल्म में 50-60 गाने भी हुआ करते थे।

शायद यही वजह हो कि हमारे यहाँ ज्यादातर फिल्मों की कहानी के मूल में प्रेम हुआ करता है, क्योंकि प्रेम ही वो भावना है जिसके आसपास गीत लिखे और फिर स्वरबद्ध किए जा सकते हैं।

यदि किसी ऐसी कहानी पर फिल्म बनाई जा रही हो जिसमें संगीत की गुंजाइश ही न हो तो या तो फिर फिल्म में ड्रीम सीक्वेंस डालकर या किसी होटल में कैबरे या फिर कोई स्टेज शो की सीक्वेंस डालकर गाना डाला जाता है, लेकिन फिल्म को कोरी (बिना संगीत के) नहीं छोड़ा जाता है।

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फिर एक वक्त तो ऐसा था कि कई फिल्मकारों को संगीत की गहरी समझ थी और कुछ को तो संगीत का ज्ञान भी। शायद इसलिए भी पुरानी फिल्मों का संगीत बहुत अच्छा हुआ करता था और फिल्म में उसकी भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण हुआ करती थी।

यदि फिल्म की कहानी ही संगीत आधारित हो तो फिर संगीत का स्कोप बहुत बढ़ जाता है। इसीलिए भी थोड़े-थोड़े अंतराल में संगीत पर आधारित फिल्में बनती हैं और इनका संगीत भी लोकप्रिय होता है। अभिमान, सुर-संगम, कर्ज, ताल, खामोशी- द म्यूजिकल, हम दिल दे चुके सनम, लंदन ड्रीम्स, युवराज, रॉक ऑन, आपका सुरूर, कजरारे और हालिया रिलीज रणबीर कपूर की रॉकस्टार कुछ ऐसी फिल्में हैं जिनकी कहानी में संगीत का ताना-बाना है और उसी के इर्द-गिर्द फिल्म चलती है।

रणबीर कपूर अभिनीत और इम्तियाज अली निर्देशित हालिया रिलीज और चर्चित फिल्म रॉकस्टार का न सिर्फ नाम म्यूजिकल है, बल्कि फिल्म में प्रेमकहानी के साथ ही संगीत बहुत करीने से बुना गया है। इस फिल्म का संगीत युवाओं में खासा लोकप्रिय हो रहा है। गहरे दार्शनिक अर्थों को समेटे गानों के शब्द और रहमान की ताल आधारित धुनों ने फिल्म को लोकप्रिय बनाने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

कुछ फिल्मकार तो ऐसे हैं, जो अपनी लगभग हर फिल्म में संगीत को कहानी के एक सूत्र की तरह इस्तेमाल करते हैं। राज कपूर अपनी फिल्म के संगीत पर बहुत ध्यान देते थे, इसीलिए उनके साथ चाहे किसी भी संगीत निर्देशक ने काम किया हो, लेकिन संगीत पर राज कपूर की छाप अलग नजर आती है।

जब उन्होंने रणधीर कपूर निर्देशित 'धरम-करम' को प्रोड्‌यूस किया, तब तक शंकर-जयकिशन के जयकिशन की मृत्यु हो चुकी थी। यूँ तो फिल्म परवरिश बनाम आनुवांशिकी के पुरातन द्वंद्व पर आधारित थी, लेकिन राज कपूर द्वारा अभिनीत स्टेज सिंगर की भूमिका ने फिल्म में संगीत के लिए गुंजाइश बनाई।

1973 में रिलीज ऋषिकेश मुखर्जी निर्देशित अमिताभ-जया अभिनीत 'अभिमान' की कहानी भी संगीत पर आधारित थी। अमिताभ एक लोकप्रिय गायक हैं तथा जया गाँव में अपने पिता से गायकी सीखती है और व्यावसायिकता से दूर है। जब अमिताभ से शादी कर वे शहर आती हैं तो पति की सहमति से वे भी गाना शुरू करती हैं लेकिन चूँकि वे पति की तुलना में ज्यादा प्रतिभावान हैं, इसलिए उन्हें जल्दी प्रसिद्धि मिलती है और यहीं पति का अभिमान आड़े आता है। चूँकि फिल्म दो गायकों की प्रेमकहानी पर आधारित है, इसलिए उसमें गानों के लिए बहुत जगह थी। और एसडी बर्मन ने इसमें बहुत खूबसूरत संगीत दिया।

ऋषि कपूर अभिनीत 'कर्ज' की कहानी यूँ तो पुनर्जन्म की थी, लेकिन उसमें भी संगीत एक अहम तत्व था। ओम शांति ओम... और एक हसीना थी एक दीवाना था... जैसे गानों ने फिल्म को जबरदस्त लोकप्रियता दिलवाई और उसका नतीजा यह रहा कि हिमेश रेशमिया ने 2008 में फिल्म का रीमेक बनाया।

सुभाष घई की एक और फिल्म थी 'ताल'। इसका आधार भी संगीत था। एआर रहमान के संगीत से सजी फिल्म यूँ तो एक पारंपरिक प्रेमकथा ही थी, लेकिन संगीत के सूत्र में पिरोई गई इस फिल्म से रहमान ने हिन्दी फिल्म संगीत को एक नया आकार दिया।

इसी तरह संजय लीला भंसाली की फिल्मों में भी संगीत की भूमिका बहुत अहम होती है। उनकी पहली ही फिल्म 'खामोशी द म्यूजिकल' की कहानी में भी प्रत्यक्षतः संगीत की भूमिका है। चाहे फिल्म ज्यादा सफल नहीं रही हो, लेकिन फिल्म को समीक्षकों ने काफी सराहा।

इसी तरह उनकी दूसरी और अलग-अलग वजहों से चर्चित फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' में भी संगीत का तार कहानी में गहरे तक गूँथा हुआ है, क्योंकि हीरो भारत आता ही है भारतीय संगीत को जानने और सीखने। यहाँ वह जिस परिवार के साथ रहता है, वो परिवार भी पूरी तरह से म्यूजिकल होता है और यहीं वो इसी परिवार की, बल्कि अपने गुरु की बेटी से ही प्यार करने लगता है।

खुद भंसाली को संगीत का ज्ञान है। वे एक ऑपेरा निर्देशित कर चुके हैं और अपनी हालिया फिल्म 'गुज़ारिश' का संगीत भी उन्होंने ही निर्देशित किया है। फिर फिल्म की कहानी भी संगीत से रंगी हो तो फिर उस फिल्म का संगीत खूबसूरत तो होना ही हुआ।

दूसरी ओर संगीतकार दोस्तों के आपसी रिश्तों, प्रेम, प्रतिस्पर्धा, विश्वास और ईर्ष्या के इर्द-गिर्द चलती कहानी थी सलमान-अजय-असिन अभिनीत 'लंदन ड्रीम्स'। इस फिल्म में संगीत से जुड़े दो दोस्तों के बीच के रिश्तों के साथ ही प्रेम-त्रिकोण भी समानांतर कहानी के तौर पर चलता है।

इस तरह हिन्दी में संगीत पर आधारित कहानी पर भी कई फिल्मकारों ने अपने हाथ आजमाए हैं। इस तरह की ज्यादातर फिल्मों में संगीत बहुत सशक्त होता है, इसलिए ज्यादातर फिल्में काफी सफल भी रही हैं लेकिन इस तरह की ज्यादातर फिल्मों में प्रेमकहानी एक आवश्यक तत्व रहा है।

- मालिनी विजयकर


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