प्रतीक बब्बर : 'रोमांटिक गुंडे' का उदय!
कुल पाँच फिल्म पुराने प्रतीक बब्बर धीमे-धीमे, लेकिन सधे कदमों से हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में अपनी जगह बना रहे हैं। इमरान अभिनीत और आमिर द्वारा प्रोड्यूस की गई फिल्म 'जाने तू या जाने ना' में एक बहुत छोटे और महत्वहीन से रोल से फिल्म इंडस्ट्री में अपने करियर की शुरुआत करने वाले प्रतीक ने बहुत जल्द संजय लीला भंसाली जैसे प्रोड्यूसर की फिल्म में हीरो का रोल हथिया लिया। '
माय फ्रेंड पिंटो' में कल्कि कोएचलिन के साथ हीरो का किरदार निभाते प्रतीक को चाहे बॉक्स ऑफिस ने हाथों-हाथ नहीं लिया हो, लेकिन समीक्षकों-आलोचकों ने उन्हें सराहा है। वे कहते हैं कि क्रिटिक्स भी अच्छी फिल्म की कसौटी है। प्रतीक ने इस फिल्म की बदौलत कॉमेडी के फ्रंट पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। संजय लीला भंसाली ने भी इस फिल्म के माध्यम से कॉमेडी में अपने हाथ आजमाए हैं। अब इन दिनों वे एक-के-बाद-एक अपनी स्टाइल की फिल्में कर रहे हैं। अपनी फिल्म और खुद की एक्टिंग को लेकर हरेक प्रतिक्रिया पर कड़ी नजर रखे हुए प्रतीक को कभी राज बब्बर ने खुद ही लाँच करने की घोषणा की थी, लेकिन प्रतीक ने खुद 'जाने तू...' में एक छोटे से रोल के साथ अपनी पारी शुरू की। पहली फिल्म में एक दुबले-पतले से लड़के की जगह अब प्रतीक फिटनेस के लिए अतिरिक्त रूप से जागरूक युवा हो गए हैं। कारण बहुत स्पष्ट है, मनीष तिवारी की अगली फिल्म 'इस्सक' में वे वाराणसी के गुंडे की भूमिका कर रहे हैं, लेकिन इससे पहले वो हिन्दी सिनेमा के ऑल टाइम फेवरेट थीम प्रेम पर निर्देशक गौतम मेनन की 'एक दीवाना था' की शूटिंग कर रहे हैं।अपने करियर के छोटे से दौर में प्रतीक काफी प्रयोग कर चुके हैं। एक छोटे से रोल के बाद आमिर खान प्रॉडक्शन की किरण राव निर्देशित 'धोबी घाट' में उन्होंने नॉन-ग्लैमरस रोल में समीक्षकों का ध्यान आकर्षित किया। शायद ये स्मिता पाटिल का ही प्रभाव रहा होगा, जो प्रतीक को प्रकाश झा, आमिर खान और संजय लीला भंसाली जैसे फिल्मकारों के साथ काम करने का मौका मिला। हालाँकि प्रकाश झा की 'आरक्षण' में वे अपने रोल को लेकर बहुत खुश नजर नहीं आते हैं। वे कहते हैं कि उन्होंने बार-बार निर्देशक से पूछा था कि क्या वे ठीक कर रहे हैं और बार-बार प्रकाशजी ने उन्हें बताया था कि वे बहुत अच्छा कर रहे हैं, लेकिन फिल्म रीलिज के बाद कई लोगों ने उनके रोल को लेकर टिप्पणी की थी : 'ये बच्चा फिल्म में क्या कर रहा है?' प्रतीक बताते हैं कि हकीकत में वे इससे खासे अपसेट थे, लेकिन आखिर आपको निर्देशक की बात पर भरोसा करना ही होता है। फिर जिस तरह से हर कलाकार अपनी हर कृति को बेस्ट नहीं बना सकता, उसी तरह एक्टर के साथ भी तो होता है। ये तो काम का हिस्सा है। अभिनय के बिना किसी औपचारिक शिक्षा के फिल्मों में काम करने को लेकर वे बहुत खुले हुए हैं। वे कहते हैं, 'यह सही है कि ट्रेनिंग आपको बहुत सारी चीजों में मदद देती है, लेकिन एक्टिंग कुछ ऐसी चीज है, जो बस की जा सकती है... सीखी या सिखाई नहीं जा सकती।' अपने एक्टिंग मैथड के बारे में बात करते हुए वे बताते हैं कि रिहर्सल करके डायलॉग याद किए जा सकते हैं, लेकिन जहाँ तक अभिनय करने की बात है तो वो तो सेट पर जो आप करते हैं, बस, वो हो जाता है। चाहे 'माय फ्रेंड पिंटो' को बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा रिस्पाँस नहीं मिला हो, लेकिन एक उभरते हुए एक्टर के लिए यह बात बहुत बड़ी है कि किसी फिल्म को सिर्फ उसके लिए ही लिखा जाए। प्रतीक इस बात से बहुत-बहुत खुश हैं कि 'माय फ्रेंड पिंटो' राघव डार ने सिर्फ उन्हें ही ध्यान में रखकर लिखी और जब वे फिल्म के प्रॉडक्शन के लिए संजय के पास गए तो उन्हें यह स्पष्ट भी कर दिया था कि फिल्म का टाइटल रोल सिर्फ और सिर्फ प्रतीक ही करेंगे, क्योंकि यह रोल उन्हीं के लिए लिखा गया है। वैसे अभी तक किसी स्केंडल का हिस्सा तो नहीं बने, लेकिन कुछ दिन पहले एक अवॉर्ड फंक्शन में प्रतीक 'एक दीवाना था' की हीरोइन एमी जेक्सन के साथ देखे गए तो मीडिया को कहने के लिए कुछ नया मसाला मिला। प्रतीक मुस्कराकर कहते हैं कि काश ऐसा होता! यह हमारी फिल्म के प्रमोशन का हिस्सा है। प्रोड्यूसर ने चाहा था कि ये हम दोनों के साथ दिखने का अच्छा मौका है, क्योंकि हम दोनों एक रोमांटिक फिल्म के हीरो-हीरोइन हैं...।