तकनीशियनों और अभिनेताओं के अतिरिक्त अब हिन्दी फिल्मों में गाने के लिए अब आवाजें भी विदेशों से आने लगी हैं। साउथहॉल (ब्रिटेन) के आशुतोष गांगुली उर्फ ऐश किंग ने एआर रहमान के निर्देशन में गाने गाकर बॉलीवुड में अपने कदम जमा लिए हैं। यूँ लेडी गागा के एलबम 'जस्ट डांस' में भी उन्होंने गाया था। इसके अलावा 'लव इज ब्लाइंड' के वे सह-लेखक और गायक थे। बाद में हार्ड कौर के लिए भी आशुतोष ने गीत लिखा और गाया।
आशुतोष उर्फ ऐश किंग मूलतः संगीत की पृष्ठभूमि से ही आते हैं। उनके दादा ब्रजेंद्रलाल गांगुली शांति निकेतन में भारतीय शास्त्रीय संगीत के पहले टीचर थे। उनके पिता शंकर गांगुली पन्नालाल घोष के साथ मुंबई आए और सलिल चौधरी, अनिल बिस्वास तथा नौशाद के करीबी रहे। उन्हें सलिलदा के साथ अपना कैरम खेलना याद है, लेकिन तब वे यह नहीं जानते थे कि सलिलदा कितनी बड़ी हस्ती थे।
ऐश किंग का साउथहॉल में रहने के बाद भी शास्त्रीय और लोक संगीत से रिश्ता बना रहा। हाँ, भाषा उनके लिए एक समस्या है, इसलिए आजकल वे उर्दू, हिन्दी और पंजाबी भाषा की ट्रेनिंग ले रहे हैं। वे बताते हैं कि वैसे तो वे लय और ताल में गाते थे, लेकिन पिता से बहुत डरते थे, इसलिए उनकी क्लास में बैठने का साहस नहीं कर पाते थे।
हाँ, उनके स्टूडेंट्स के बीच जरूर वे जाते थे, लेकिन बाद में उनके पिता ने उन्हें समझाया कि यदि गायक के तौर पर अपना करियर बनाना चाहते हो तो गाना सीखना पड़ेगा। उसी के बाद उन्होंने गाने को गंभीरता से लेना शुरू किया। वहीं गरबा नृत्यों के दौरान उन्होंने ढोलक बजाना और गाना शुरू किया।
'थिरुड़ा थिरुड़ा' में एआर रहमान का संगीत सुनने के बाद ऐश उनके कायल हो गए और उनकी नकल करने लगे। साथ ही लंदन के नाइट क्लब में वे हिन्दी फिल्मों के रीमिक्स गाने लगे और लोगों को वे पसंद भी आने लगे।
इस पर उन्हें बहुत आश्चर्य हुआ करता था, लेकिन बाद में उन्हें समझ में आया कि ये संगीत का असर है न कि भाषा का... और यही है भारतीय संगीत की खूबी। इसके बावजूद कि वे लेडी गागा के साथ काम कर चुके हैं, वे यह मानते हैं कि बॉलीवुड, बॉलीवुड है। 'दिल्ली-6' के गाने 'दिल गिरा दफ्फतन' से उन्होंने बॉलीवुड में अपनी पारी की शुरुआत की। इसके बाद उन्होंने 'आईशा' में 'सुनो आईशा...' गाया। फिर 'दम मारो दम' में उनका गाया 'ते अमो...' लोकप्रिय हुआ। 'बॉडीगार्ड' के लिए उन्होंने 'आई लव यू...' गाया।
ऐश ने रहमान के साथ-साथ अब तक प्रीतम, हिमेश रेशमिया, अमित त्रिवेदी और रघु दीक्षित के साथ काम किया है। वे कहते हैं कि वे संगीत को जीना चाहते हैं, इसलिए बॉलीवुड में गाना चाहते थे, क्योंकि यहीं ऐसा काम किया जा सकता है, जो बहुत निजी हो, बिलकुल अपना-सा अहसास दिलाने वाला। ऐश कहते हैं, 'मैं बस गाना चाहता हूँ... और कुछ नहीं।'
जैसा कि आमतौर पर संगीत से जुड़े हुए कलाकार महसूस करते हैं, ऐश भी महसूस करते हैं कि जब आप गाते हैं तो सिर्फ संगीत होता है, सारी दुनियादारी कहीं पीछे छूट जाती है। इस दृष्टि से संगीत कला से और ज्यादा है।