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केवल 25 फीसदी लीवर पर जिंदा हैं अमिताभ बच्चन

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मुंबई। सदी के महानायक अमिताब बच्चन ने अपने ब्लॉग में एक बड़ा खुलासा किया है कि उनका लीवर खराब हो चुका है और केवल 25 फीसदी काम कर रहा है। इस 25 फीसदी लीवर पर ही वे जिंदा हैं।
अमिताभ ने लिखा कि फिल्म 'कुली' के दौरान पेट पर लगी चोट की वजह से लीवर प्रभावित हुआ था। 2004-05 में मुझे अपने लीवर के सही ढंग से काम न करने की जानकारी का पता चला। दरअसल इलाज के दौरान शरीर में दाखिल वायरस ने मेरे लीवर को खराब किया।
 
सनद रहे कि 1983 में फिल्म 'कुली' में एक दृश्य के फिल्मांकन में विलेन पुनीस इस्सर को फाइट के दौरान अमिताभ के पेट पर घूंसा मारना था। दृश्य को वास्तविकता प्रदान करने के लिए पुनीत जोश में आ गए और सही में उन्होंने जोरदार घूंसा जड़ दिया।
 
अमिताभ को भी नहीं मालूम था कि नकली फाइट में असली फाइट हो जाएगी। घूंसा लगते ही अमिताभ गिर पड़े और पूरी फिल्म यूनिट सन्न रह गई। किसी ने सोचा भी नहीं था कि 'कुली' फिल्म का पहला दिन, पहला शॉट इतना हादसा भरा होगा। यह शूटिंग बेंगलुरु से 16 किलोमीटर दूर मैसूर रोड पर यूनिवर्सिटी हो रही थी।
 
पुनीत के पेट पर जड़े घूंसे की वजह से उन्हें बेंगलुरु से मुंबई शिफ्ट किया गया और उनका ब्रीच कैंडी अस्पताल में अस्पताल ले जाना पड़ा। अस्पताल में पता चला कि अमिताभ बच्चन के पेट की अतड़ियां फट गई हैं। 
अमिताभ पर घूंसे की असली दास्तान अगले पन्ने पर पढ़िये... 

मनमोहन देसाई की बेहद सफल फिल्म 'कुली' का निर्माण 1983 में हुआ था और तब घायल अमिताभ का उपचार ब्रीच कैंडी अस्पताल में लंबा चला था। पूरा देश उनके स्वस्थ होने की कामना करता रहा। उपचार के दौरान ही एक खतरनाक वायरस ने लीवर को खराब करना शुरू कर दिया था, जिसका पता उन्हें 2004-05 में लगा। 
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बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन केवल 25 फीसदी लीवर के काम करने के बावजूद अपनी जिंदगी जी रहे हैं और आज भी वे काफी व्यस्त रहते हैं। छोटे परदे से लेकर बड़े परदे पर अमिताभ का जादू पूरी दुनिया पर छाया हुआ है। 
 
एक बार खुद पुनीत इस्सर ने अमिताभ के पेट पर मारे गए घूंसे के बारे में खुलकर बातचीत की थी। पुनीत के अनुसार एक सीन था, जिसमें मुझे और अमिताभ को एक दूसरे को घूंसे मारने थे। दृश्य में वे मुझे मारते हैं और मैं उन्हें मारता हूं। एक पॉइंट पर आकर मैं उनका सिर एक बोर्ड पर पटकता हूं और उनके पेट में पंच मारता हूं।
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कैमरा एक ऐसे एंगल पर था कि अमितजी ने मुझसे कहा कि पुनीत तुम्हें मेरे पेट को छूना होगा, वरना तो सीन नकली लगेगा। हमने सीन से पहले रिहर्सल भी की पर टेक में कुछ ऐसा हुआ कि बोर्ड पर पटकनी खाकर अमितजी उछलकर मेरी तरफ आ गए और मेरा पंच उनको छूने के बजाए कुछ ज्यादा ही जोर से लग गया।
 
उस वक्त बात इतनी सीरियस नहीं लग रही थी और नहीं जानते थी कि यह पंच कितना महंगा पड़ेगा। अमितजी ने निर्देशक मनमोहन देसाई से कहा कि मुझे पेट में दर्द हो रहा है। मैं घर जाकर आराम करता हूं। रात को पता चला कि उनकी हालत ज्यादा खराब है। दूसरे दिन तो उन्हें अस्पताल में भर्ती करना पड़ गया।
 
दसअसल मेरी अंगुलियों के जोर से उनकी अंतड़ियां फट गईं थी और डॉक्टरों को ये बात काफी बाद में समझ आई जिसके कारण उनकी हालत ज्यादा खराब हो गई और फिर उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में शिफ्ट किया गया। मेरे लिए यह काफी मुश्किल दौर था वो वक्त काफी मुश्किल था क्योंकि मीडिया में तरह तरह की बातें की जा रही थी।
 
मीडिया ने तो यहां तक छाप दिया था कि अमिताभ को मारने के लिए पुनीत इस्सर को राजेश खन्ना ने पैसे दिए थे। हालांकि ब्रीच कैंडी अस्पताल में जब अमिताभ को खून देने की नौबत आई तो पुनीत की पत्नी ने खून दिया था। 
 
जब अमितजी को पता चला कि मेरे ऊपर इस तरह के आरोप लग रहे हैं तो उन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा जा़हिर की। मैं ब्रीच कैंडी अस्पताल पहुंचा। उनका वजन करीब 40 किलो कम हो चुका था. पाइप लग हुए थे, वो कुछ बोल पाने की हालत में नहीं थे लेकिन उस हालत में भी उन्होंने मुझसे कहा कि पुनीत तुम्हारा कसूर नहीं है।
 
अमितजी चलने की हालत में नहीं थे पर फिर भी वो मुझे अस्पताल के बाहर तक छोड़ने आए जहां सारी प्रेस खड़ी थी. लोगों को ये दिखाने के लिए कि पुनीत का इसमें कोई कसूर नहीं है और वो मुझसे नाराज़ नहीं है।
 
हालांकि फिल्म इंडस्ट्री का रवैया मेरे लिए नरम नहीं हुआ। मुझे 'मर्द' फिल्म से निकाल दिया गया। लोग मेरे साथ काम करने से डरते थे। पुनीत इस्सर एक राष्ट्रीय नहीं, अंतरराष्ट्रीय विलेन बन गया था। मैं कुख्यात हो गया था। हीरो भी मेरे साथ काम करने से मना कर देते थे।

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