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विलेन डरावनी हंसी तक सीमित नहीं : प्रेम चोपड़ा

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बॉलीवुड में 60 और 70 के दशक के खलनायकों में से प्रेम चोपड़ा बेहद खास अभिनेताओं में से एक हैं। आज भी उन्‍हें अपनी खलनायकी के खास अंदाज के लिए जाना जाता है। प्रेम चोपड़ा का मानना है कि वर्तमान में बॉलीवुड में विलेन्‍स के लिए भी काफी अच्‍छी भूमिकाएं लिखी जा रही हैं। आगे उन्‍होंने बताया कि अब विलेन सिर्फ अपनी डरावनी हंसी और चुटकुलों तक ही सीमित नहीं रह गए हैं। 
 
78 वर्षीय प्रेम चोपड़ा की खलनायकी को दर्शक 'आज का अर्जुन', 'दो रास्‍ते', 'बॉबी'  जैसी फिल्‍मों के लिए आज भी याद करते हैं। उनका डायलॉग 'प्रेम नाम है मेरा, प्रेम चोपड़ा' अब तक दर्शकों के जेहन में बसा हुआ है।
 
प्रेम चोपड़ा के अनुसार, ''बॉलीवुड में पहले फिल्‍मों में हीरो पूरी तरह चॉकलेटी और सीधा सादा व्‍यक्‍ति होता था, जबकि विलेन इसके बिल्‍कुल विपरीत पूरी तरह से नकारात्‍मक होता था। आज विलेन के साथ भी एक कहानी जुड़ी होती है, कि वह विलेन किस तरह बना।''
 
लगभग तीन दशकों तक नकारात्‍मक भूमिकाएं निभाने के बाद प्रेम चोपड़ा ने कुछ सकारात्‍मक भूमिकाएं भी निभाईं। फिल्‍म जैसे 'चोरी-चोरी चुपके-चुपके', 'गोलमाल 3', 'पटियाला हाउस', 'रॉकेट सिंह', 'कोई मिल गया' आदि फिल्‍मों में उन्‍होंने सकारात्‍मक भूमिकाएं निभाईं।
 
आगे प्रेम चोपड़ा ने बताया कि हालांकि फिलहाल वे फिल्‍मों में काम नहीं कर रहे हैं लेकिन आज भी उन्‍हें कैमरे से बेहद लगाव है। 
 
हाल ही में शिमला में स्‍थित अपने पुश्‍तैनी घर पर जाने के बाद उन्‍होंने बताया, ''मैं अपने शिमला स्‍थित घर में 60 सालों बाद गया। यह मेरे लिए बेहद यादगार रहा। मैं सिर्फ अपने घर ही नहीं, बल्‍कि स्‍कूल भी गया। मैंने अपने बचपन के दोस्‍तों से मुलाकात की। सबकुछ बदल गया लेकिन ये भावनाएं विभोर करने वाली थीं।

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