देव डी एक अमीर उद्योगपति का बेटा है। 12 वर्ष की उम्र में ही उसे लंदन पढ़ाई के लिए भेज दिया गया था। युवा देव जब वापस अपने शहर लौटता है तो उसके पैरों के नीचे की जमीं खिसक जाती है। उसकी बचपन की प्रेमिका पारो की शादी किसी और से हो जाती है। पारो का पति उससे उम्र में कई वर्ष बड़ा है और उसके बच्चे भी हैं। निराश देव शराब और ड्रग्स में अपने गम को भूलाने की कोशिश करता है। वह अपने घर से दूर रहता है और उसके पिता उसे रुपए भेजते रहते हैं।
लेनी को जिंदगी अपने अंदाज से जीना पसंद है। उसका नाम एक एमएमएस स्कैण्डल से जुड़ता है और वह अपने घर से भाग जाती है। चुन्नी की जगह उसे पनाह मिलती है, जो उसे लेनी से चंदा बना देता है। लेनी के रूप में वह दिन में कॉलेज जाती है और रात में चंदा के रूप में वह वेश्या का काम करती है। फिर आते हैं देव, पारो और चंदा के जीवन में कई नाटकीय मोड़।
निर्देशक अनुराग कश्यप ने देव डी के जरिये वर्तमान युवा पीढ़ी को दिखाने की कोशिश की है, जो देशी और विदेशी संस्कृति के बीच फँसी हुई है।