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दोज़ख – इन सर्च ऑफ हैवेन की कहानी

हमें फॉलो करें दोज़ख – इन सर्च ऑफ हैवेन की कहानी
बैनर : एबी इंफोसॉफ्ट क्रिएशन
निर्माता : ज़ैग़म इमाम, पवन तिवारी
निर्देशक : ज़ैग़म इमाम
संगीत :  अमन पंत 
कलाकार : ललित मोहन तिवारी, नज़िम खान, पवन तिवारी, गैरिक चौधरी, रुबी सैनी, इरफान रिज़वी, जुगेंद्र सिंह, खुशबू सेठ
रिलीज डेट : 20 मार्च 2015
 
‘दोज़ख – इन सर्च ऑफ हैवेन’ कहानी है वाराणसी स्थित एक छोटे से गांव में बसे एक कट्टरपंथी मुस्लिम नमाज़ी तथा उसके बारह वर्षीय बेटे जानु के साथ उसके रिश्ते की। 
फिल्म की शुरुआत होती है रोज़मर्रा होने वाली सुबह की नमाज़ और पुजारी की प्रार्थना के कारण उपजे विवाद से। पड़ोस में रहने वाला मुस्लिम नमाज़ी अपने पड़ोसी हिंदू पुजारी से काफी दुखी है, लेकिन उससे भी ज़्यादा दुखी है अपने बारह वर्षीय बेटे के व्यवहार से, जिसकी पुजारी के बेटे से घनिष्ट मित्रता है। 
 
सिर्फ यही नहीं, जानु अपने पिता के दुर्व्यवहार के खिलाफ हर रोज़ पुजारी के बेटे के साथ मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करता है। इससे तंग आकर नमाज़ी ना सिर्फ अपने बेटे को डांटता-फटकारता है बल्कि उसे बताता है कि उसके इस कृत्य से अल्लाह उससे नाराज़ होकर ‘दोज़ख’ (नर्क) बख्शेंगे। 
 
आखिरकार एक दिन नमाज़ी का गुस्सा अपने बेटे पर फट पड़ता है जब उसे पता चलता है कि उसका बेटा हिंदुओं के पौराणिक नाटक राम लीला में हनुमान बना था। इस बात से आहत हो वह न सिर्फ अपने बेटे पर नाराज़ होता है बल्कि उसे सज़ा भी देता है और उसे हिंदू मुस्लिम धर्मों का फर्क बताता है। 
 
कहानी के अंत में ऐसी घटना घटित होती है जिसकी कल्पना नमाज़ी पिता ने कभी नहीं की होती है। अपने पिता के इस रवैये से जानु अपने पिता का घर छोड़कर कहीं चला जाता है। नमाज़ी पिता अपने बेटे को हर जगह ढूंढता है और इस खोज के दौरान उसे यह एहसास होता है कि वह नमाज़ी होने से पहले अपने बेटे का पिता है। 
 
इस बात का अहसास होते ही अपने बेटे से मिलने के लिए वह अधीर हो उठता है, लेकिन क्या उसकी अधीरता का अंत होगा? क्या उसका बेटा उसे फिर मिलेगा?
 
ऑस्ट्रेलिया तथा कनाडा के साथ भारत में हुए विभिन्न फिल्म समारोहों में इस फिल्म ने प्रशंसा बटोरी है। 

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