Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कहानी ‍: फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें कहानी ‍: फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

PR
बैनर : पेन इंडिया प्रा. लि., वायकॉम 18 मोशन पिक्चर्स, बाउंडस्क्रिप्ट मोशन पिक्चर्स प्रा. लि.
निर्माता : सुजॉय घोष, कुशल गाडा
निर्देशक : सुजॉय घोष
संगीत : विशाल-शेखर
कलाकार :‍ विद्या बालन, परमब्रत चट्टोपाध्याय, नवाजुद्दीन सिद्दकी
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 8 मिनट * 7 रील
रेटिंग : 3.5/5

बॉलीवुड में ऐसा कम ही होता है जब लगातार दो सप्ताह तक उम्दा फिल्में देखने को मिले। पिछले सप्ताह रिलीज हुई ‘पान सिंह तोमर’ के बाद इस सप्ताह की फिल्म ‘कहानी’ भी देखने लायक है। कहानी एक थ्रिलर है, लेकिन बॉलीवुड की तमाम थ्रिलर्स से हटकर। यहां न कार की चेज़िंग सीक्वेंस हैं, न काला चश्मा और लेदर जैकेट्स पहने लोग। न खूबसूरत हसीनाएं हैं और न ही गन हाथ में लिए उनके इर्दगिर्द नाचते स्टार्स।

इस फिल्म की कहानी हीरोइन के इर्दगिर्द घूमती है जो कि प्रेग्नेंट हैं। उसके साथ एक सामान्य-सा पुलिस ऑफिसर है और सिटी ऑफ जॉय कोलकाता शहर भी इस फिल्म में अहम भूमिका निभाता है। सेतु ने कोलकाता की गलियों में खूब कैमरा घूमाया है। संकरी गलियां, शानदार मेट्रो, खस्ताहाल ट्रॉम, पीले रंग की टेक्सियां, अस्त-व्यस्त ट्रेफिक और दुर्गा पूजा के लिए सजा हुआ कोलकाता कहानी में एक किरदार की तरह है।

कहानी का सबसे मजबूत पहलू इसकी कहानी और स्क्रीनप्ले है। स्टोरी के बारे में ज्यादा बात नहीं की जा सकती है क्योंकि इससे कई राज खुल जाएंगे जो कहानी को देखते समय आपका मजा किरकिरा कर सकते हैं।

सिर्फ इतना ही बताया जा सकता है कि विद्या बागची लंदन से कोलकाता अपने पति अर्णब बागची को ढूंढने के लिए आई है जो दो महीनों से लापता है। वह पुलिस स्टेशन जाती है। उस ऑफिस में जाती है जहां अर्णब अपने प्रोजेक्ट के लिए आया था। उस होटल में जाती हैं जहां वह रूका हुआ था, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चलता।

webdunia
PR
सभी कहते हैं कि इस नाम का शख्स कभी भी लंदन से कोलकाता आया ही नहीं। विद्या को कुछ क्लू मिलते हैं, जिनके सहारे वह आगे बढ़ती हैं। इस काम में उसकी मदद करता है राना नामक पुलिस इंसपेक्टर। किस तरह से विद्या का सफर राना के सहारे आगे बढ़ता है यह रोचक तरीके से दिखाया गया है।

स्क्रीनप्ले बहुत ही बारीकी से लिखा गया है। कुछ दृश्य या संवाद आपने चूके तो फिल्म समझने में तकलीफ हो सकती है। शुरुआत में कई तरह के प्रश्न दिमाग में उभरते हैं क्योंकि दर्शक की हालत भी विद्या बागची की तरह रहती है, लेकिन धीरे-धीरे एक-एक कर जवाब मिलने लगते हैं और ज्यादातर प्रश्नों के जवाब से संतुष्ट हुआ जा सकता है। विद्या के किरदार पर यदि निगाह रखी जाए तो क्लाइमेक्स के पहले आप यह अंदाजा लगा सकते हैं कि फिल्म के अंत में क्या होगा।

सुजॉय की कहानी में कुछ बातें थोड़ी अविश्वसनीय हैं, लेकिन प्रस्तुतिकरण वास्तविकता के बेहद करीब है इससे ये बातें विश्वसनीय लगती हैं। उनका लोकेशन और कलाकारों का चयन सराहनीय है। यदि फिल्म को वे थोड़ा मनोरंजक बनाते तो इससे उन्हें ज्यादा दर्शक फिल्म के लिए मिलते। आरडी बर्मन के सुजॉय बहुत बड़े फैन हैं और यह बात उन्होंने ‘झंकार बीट्स’ बनाकर जाहिर भी की। इस फिल्म के बैकग्राउंड म्युजिक में भी आरडी बर्मन के हिट हिंदी और बांग्ला गीत बजते रहते हैं।

webdunia
PR
विद्या बालन वर्तमान दौर की नि:संदेह सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री हैं। हीरो प्रधान बॉलीवुड में उनके लिए इससे बड़ी क्या बात हो सकती है कि उन्हें ध्यान में रखकर फिल्में लिखी जा रही हैं। पा, इश्किया, नो वन किल्ड जेसिका, द डर्टी पिक्चर के बाद कहानी भी ऐसी फिल्म है जिस पर वे गर्व कर सकती हैं। विद्या के अलावा फिल्म में कई अपरिचित लेकिन सशक्त कलाकार हैं। परमब्रत चट्टोपाध्याय (राना के किरदार में) और नवाजुद्दीन सिद्दकी (खान के किरदार में) का अभिनय बेहतरीन है।

कहानी ऐसी फिल्म है जो थिएटर छोड़ने के बाद भी दर्शक के साथ मौजूद रहती है और वो फिल्म की गुत्थी को सुलझाते हुए घर पहुंचता है। इंटेलिजेंट थ्रिलर देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi