Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

अकीरा : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें अकीरा :  फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

एआर मुरुगादास उन फिल्मकारों में से हैं जो कमर्शियल सिनेमा के फॉर्मेट में रह कर भी कुछ नया करने की कोशिश करते हैं। हिंदी में वे गजनी और हॉलिडे बना चुके हैं। इस बार उन्होंने हीरोइन को लीड रोल देकर एक्शन मूवी 'अकीरा' बनाई है। फिल्म में बताया गया है कि अकीरा संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है ऐसा शक्तिशाली जिसमें शालीनता भी हो। इस फिल्म में नायिका का नाम अकीरा है जो न चाहते हुए भी अपराधियों के चंगुल में ऐसी फंस जाती है कि अपनी बेगुनाही के लिए उसे काफी मशक्कत करना पड़ती है।  
 
अकीरा (सोनाक्षी सिन्हा) जोधपुर में रहती है। बचपन में उसकी दोस्त पर एसिड अटैक होता है। यह देख अकीरा के पिता उसे जूडो कराटे सीखाते हैं। इसके बाद वह एक लड़के को ऐसा सबक सिखाती है कि तीन वर्ष की उसे सजा होती है। बड़ी होने के बाद वह जोधपुर से पढ़ने के लिए मुंबई जाती है और होस्टल में रहने लगती है। 
 
दूसरी ओर भ्रष्ट पुलिस ऑफिसर राणे (अनुराग कश्यप) और उसके साथियों के सामने एक कार एक्सीडेंट होता है। जब वे डिक्की खोल कर करोड़ों रुपये देखते हैं तो उनकी नीयत डोल जाती है। वे रुपये लेकर चम्पत हो जाते हैं। उनका यह राज राणे की एक महिला दोस्त को पता चल जाता है। धीरे-धीरे कुछ और लोग यह बात जान जाते हैं। राणे और उसके साथी एक-एक कर सबको मारते जाते हैं, लेकिन मामला उलझता जाता है और अकीरा भी इसमें फंस जाती है। अकीरा के पीछे राणे के साथी लग जाते हैं। राबिया (कोंकणा सेन शर्मा) ईमानदार पुलिस ऑफिसर है। वह भी जांच शुरू कर देती है इससे राणे की मुश्किल और बढ़ जाती है।
शांता कुमार द्वारा लिखी कहानी रोमांचक और उतार-चढ़ाव से भरपूर है। समानांतर चलती कहानियों को उन्होंने बहुत ही उम्दा तरीके से एक-दूसरे से जोड़ा है। इंटरवल तक फिल्म तेज रफ्तार से भागती है और सीट से आपको चिपकाए रखती है। अकीरा, राणे और राबिया के किरदार बेहद प्रभावशाली हैं और सभी की एंट्री जबरदस्त है। पहले सीन से ही उनकी छवि दर्शकों के दिमाग में अंकित हो जाती है जो फिल्म देखते समय बहुत काम आती है। कहानी में अगले पल क्या होगा इसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाता है। 
 
सेकंड हाफ उस अपेक्षा पर खरा नहीं उतरता जिसकी उम्मीद पहले हाफ में जागती है। यहां पर निर्देशक सोनाक्षी सिन्हा को हीरो की तरह दिखाने की कोशिश करते हैं जिससे फिल्म बार-बार ट्रेक से उतरती है। सोनाक्षी सिन्हा को पागलखाने में भर्ती किए जाने वाला प्रसंग कुछ ज्यादा ही लंबा हो गया है। करोड़ों रुपये लूट लिए गए, लेकिन इसकी कोई हलचल नजर नहीं आती। सेकंड हाफ में सोनाक्षी को प्रमुखता दिए जाने की बजाय राबिया और राणा को ज्यादा फुटेज दिए जाते तो रोमांच और बढ़ सकता था। 
 
निर्देशक के रूप में मुरुगादास का काम अच्छा है। ज्यादातर समय वे दर्शकों को बांधने में सफल रहे। एक्शन दृश्यों में वे जरूर थोड़ा बहक गए जिसका असर फिल्म पर होता है। सोनाक्षी के किरदाय को लार्जर देन लाइफ पेश करने के चक्कर में नुकसान फिल्म का हुआ है। एक्शन के साथ उन्होंने इमोशन को भी अच्छे से जोड़ा है चाहे वो सोनाक्षी के भाई की पत्नी का दबदबा हो या मूक-बधिर बच्चों के प्रसंग हो। उन्होंने फिल्म को फालतू खींचने की कोशिश नहीं की है। रोमांस की जरूरत नहीं थी तो उन्होंने कोई समझौता नहीं किया। 
 
फिल्म के सारे कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया। सोनाक्षी सिन्हा को एक्शन करते देखना सुखद लगा। एंग्री यंग वूमैन के रोल में वे फिट लगीं। उन्हें निर्देशक ने संवाद कम दिए और ज्यादातर समय उन्हें अपने एक्सप्रेशन से ही काम चलाना पड़ा।  अनुराग कश्यप पहले सीन से ही अपनी छाप छोड़ते हैं। हालांकि उन पर नाना पाटेकर का असर दिखा। गर्भवती और ईमानदार पुलिस ऑफिसर के रूप में कोंकणा सेन ने प्रभावशाली अभिनय किया। काश उनको और ज्यादा दृश्य दिए जाते। अमित सध, अतुल कुलकर्णी सहित तमाम कलाकारों का अभिनय उम्दा है। 
 
परफेक्ट फिल्म न होने के बावजूद 'अकीरा' आपको बांधकर रखती है और एक्शन-थ्रिलर के शौकीनों को पसंद आ सकती है। 
 
बैनर : फॉक्स स्टार स्टुडियोज़
निर्देशक : एआर मुरुगादास 
संगीत : विशाल-शेखर
कलाकार : सोनाक्षी सिन्हा, कोंकणा सेन शर्मा, अनुराग कश्यप, अमित सध 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 18 मिनट 52 सेकंड 
रेटिंग : 3/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

अजय देवगन ने किया कमाल खान को एक्सपोज़... करण से लिए 25 लाख!

अकीरा को आप पांच में से कितने अंक देंगे?