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दिलवाले : फिल्म समीक्षा

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समय ताम्रकर

रोहित शेट्टी पुरानी हिट फिल्मों के डिटेल छोड़, मुद्दा पकड़ कर अपनी स्टाइल में फिल्म बनाते हैं। उनकी ताजा फिल्म 'दिलवाले' में 'हम' और 'चलती का नाम गाड़ी' वाले मुद्दे नजर आते हैं। कार गेरॉज़ और बड़े भाई का छोटे भाई को लड़कियों से दूर रहने वाली बात उन्होंने 'चलती का नाम गाड़ी' से उधार ली है तो अतीत में की गई गुंडागर्दी को छोड़ी शांति प्रिय जीवन जीने वाली बात 'हम' से ली गई है। कुछ दृश्य उन्होंने अंग्रेजी फिल्मों से उड़ाए हैं जैसे शाहरुख-काजोल की पांच मिनट की डेटिंग वाला दृश्य 'हाऊ आई मेट योअर मदर' से प्रेरित है। 
 
खैर, अहम सवाल ये है कि भले ही प्रेरणा ली गई हो, क्या 'दिलवाले' मनोरंजक फिल्म है? इसका जवाब ये है कि फिल्म में ऐसे कुछ दृश्य हैं जो आपको हंसाते हैं, भावनाओं में बहा ले जाते हैं, रोमांचित करते हैं, लेकिन समग्र रूप से फिल्म प्रभावित नहीं करती। फिल्म उम्मीदों के भार का वहन नहीं कर पाती।
कहानी है राज (शाहरुख खान) की जो गोआ में अपने भाई वीर (वरूण धवन) के साथ रहता है। वीर को ईशिता (कृति सेनन) से प्यार हो जाता है। ईशिता का हाथ मांगने राज उसके घर जाता है जहां उसकी मुलाकात ईशिता की बहन मीरा (काजोल) से होती है। मीरा इस रिश्ते से इंकार कर देती है। मीरा और राज की जान-पहचान पुरानी है। बल्गारिया में दोनों के परिवार अंडरवर्ल्ड से जुड़े थे और आपस में दुश्मन थे। दोनों में प्यार होता है, परंतु गलतफहमियां पैदा हो जाती है। वहां से वे भारत शिफ्ट हो जाते हैं और पन्द्रह वर्ष बात दोनों फिर आमने-सामने होते हैं।
 
फिल्म की स्क्रिप्ट युनुस सेजवाल ने लिखी है जो कई हिट फिल्मों की पटकथा लिख चुके हैं और रोहित शेट्टी से जुड़े हुए हैं। 'दिलवाले' की स्क्रिप्ट ही सबसे बड़ी खलनायक है। अस्सी और नब्बे के दशक के घिसे-पिटे फॉर्मूलों वाली फिल्मों की याद दिलाती है। भाई-भाई का प्यार, अंडरवर्ल्ड के दुश्मनों की संतानों में प्यार हो जाना, सौतेला भाई जैसी बातों के इर्दगिर्द कहानी बुनी गई है। 
 
स्क्रिप्ट में लॉजिक का कोई स्थान नहीं है और लेखक ने अपनी सहूलियत के मुताबिक दृश्य लिखे हैं। मसलन मीरा और राज का परिवार चर्च क्यों जाते रहते हैं, इसका कोई जवाब नहीं है। जब एक डॉन दूसरे डॉन से मिलने के लिए उसके घर जाता है तो जांच की जाती है कि वह हथियार लेकर तो नहीं जा रहा है, लेकिन यहां एक डॉन हथियारों के जखीरे के साथ दूसरे डॉन से मिलने जाता है। शाहरुख को यहां गोली मार दी जाती है उसके बाद वह कैसे बच जाता है यह आश्चर्य की बात है। 
 
करोड़ों रुपये की ड्रग्स को खुलेआम सड़क पर आग के हवाले कर दिया जाता है। बोमन ईरानी वाला ट्रेक भी बहुत कमजोर है और सिर्फ इसलिए रखा गया है कि क्लाइमैक्स में विलेन की पिटाई हो। इन बातों को इग्नोर किया जा सकता है, यदि फिल्म मनोरंजक से भरपूर हो, लेकिन फिल्म टुकड़ों में मनोरंजन करती है। 
 
रोहित शेट्टी ने इस बासी कढ़ी (कहानी) में कई तरह के ट्विस्ट-टर्न देकर उबाल लाने की कोशिश की है। उन्होंने ढेर सारे आइटम सीन रखे हैं जो दर्शकों को गुदगुदाए, भले ही कहानी से उनका कोई लेना-देना नहीं हो। इनमें से कुछ सीन उम्दा भी बन पड़े है, जैसे, राज-मीरा की पांच मिनट की डेट, राज के अतीत की कहानी उसके साथियों द्वारा टीवी देख कर उसके छोटे भाई वीर को बताना, राज-मीरा की पहली मुलाकात, वीर के दोस्त का ये बताना कि आजकल की लड़कियों पर कितना खर्च करना होता है, मीरा का राज को धोखा देना। 
 
कॉमेडी, इमोशन, रोमांस और गानों के गियर बदल-बदल कर रोहित ने किसी तरह कार (फिल्म) को दौड़ाया है, लेकिन यह पूरी तरह रफ्तार नहीं पकड़ पाती और हिचकोले खाती रहती है। 
 
'दिलवाले' का सबसे बड़ा आकर्षण शाहरुख-काजोल की जोड़ी है। दर्शक दोनों का रोमांस देखना चाहते थे, जिसे कम समय दिया गया। जिस सीन में भी दोनों के नैन टकराते हैं दर्शकों की धड़कन बढ़ जाती है और इच्छा होती है कि दोनों का रोमांस ज्यादा से ज्यादा दिखाया जाए क्योंकि पिछले 22 वर्षों से दोनों की केमिस्ट्री गजब ढा रही है। दूसरी कमी फिल्म में जो अखरती है वो ये कि शाहरुख खान के किरदार का ठीक से विस्तार नहीं किया गया है। वे रोमांस और एक्शन करते कम नजर आए। कुल मिलाकर उनके 'हीरोगिरी' वाले दृश्य कम हैं और यह बात शाहरुख के फैन महसूस करेंगे।
 
फिल्म में कॉमेडी, एक्शन और रोमांस की तुलना में इमोशन को ज्यादा महत्व दिया गया है, लेकिन भावुक दृश्य ऐसे भी नहीं हैं कि दिल को छू जाएं। ये बनावटी और थोपे हुए लगते हैं। 
 
'गेरुआ' गाना सुनने लायक है और इसका फिल्मांकन आंखों को सुकून देता है। 'मनमा इमोशन जागे' और 'जनम जनम' ठीक-ठाक हैं। सिनेमाटोग्राफी शानदार है। सेट में चटखदार रंगों का प्रयोग किया गया है जो रोहित की फिल्मों की खासियत होता है। 
 
शाहरुख खान सुपरस्टार हैं, उम्दा कलाकार हैं, वो इससे कही बेहतर स्क्रिप्ट के योग्य हैं। इस तरह के रोल तो वे आंख मूंद कर भी निभा सकते हैं। यह फिल्म उनकी छवि के साथ न्याय नहीं करती। काजोल खूबसूरत लगी हैं और उनकी ताजगी बरकरार है। कैमरे से दूर रहने के बावजूद वे अभिनय करना भूली नहीं हैं। वरुण धवन और कृति सेनन का अभिनय औसत दर्जे का है। वरुण शर्मा  हर फिल्म में एक जैसे नजर आते हैं। ऑस्कर बने संजय मिश्रा के संवाद शुरुआत में अच्छे लगते हैं, लेकिन बाद में बोर करते हैं। बोमन ईरानी आउट ऑफ फॉर्म नजर आए। विनोद खन्ना, कबीर बेदी, मुकेश तिवारी, पंकज त्रिपाठी के लिए करने को कुछ ज्यादा नहीं था। 
 
दिलवाले के साथ दिक्कत ये है कि हिट पर हिट फिल्म देने वाले निर्देशक रोहित शेट्टी के पास सुपरस्टार, हिट जोड़ी, भव्य बजट और अच्छे तकनीशियन का साथ था, लेकिन वे इस भरपूर संभावना को मनोरंजक फिल्म में परिवर्तित नहीं कर पाए। देखने जाएं तो बहुत ज्यादा उम्मीदों के साथ न जाएं। 
 
बैनर : रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट, रोहित शेट्टी प्रोडक्शन्स 
निर्माता : गौरी खान 
निर्देशक : रोहित शेट्टी
संगीत : प्रीतम चक्रवर्ती
कलाकार : शाहरुख खान, काजोल, वरूण धवन, कृति सेनन, वरूण शर्मा, विनोद खन्ना, कबीर बेदी, जॉनी लीवर, बोमन ईरानी, संजय मिश्रा, मुकेश तिवारी 
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 35 मिनट
रेटिंग : 2.5/5 

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