Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

कट्टी बट्टी : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें कट्टी बट्टी : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

निखिल आडवाणी उन निर्देशकों में से हैं जो अच्छी भली कहानी को खराब तरीके से प्रस्तुत करते हैं। ज्यादा दूर नहीं जाए तो पिछले सप्ताह रिलीज हुई सुपरहिट फिल्म 'हीरो' का रिमेक उन्होंने ऐसा बनाया कि ओरिजनल 'हीरो' के निर्देशक सुभाष घई सहित फिल्म के निर्माता सलमान खान भी सोच रहे होंगे कि निखिल को उन्होंने यह मौका क्यों दिया? 
 
निखिल की इस काबिलियत पर किसी को शक नहीं है कि 'चांदनी चौक टू चाइना', 'सलाम-ए-इश्क' 'पटियाला हाउस' जैसी फ्लॉप फिल्मों के बावजूद उन्हें अवसर मिले जा रहे हैं। इस हफ्ते यह बंदा 'कट्टी बट्टी' के साथ फिर हाजिर है। हम नहीं सुधरेंगे वाली बात उन फिट बैठती है क्योंकि एक बार फिर उन्होंने 'कट्टी बट्टी' के रूप में एक और पकाऊ-उबाऊ फिल्म दर्शकों के सामने पेश कर दी है।
माधव काबरा उर्फ मैडी‍ (इमरान खान) का पायल (कंगना रनौट) से ब्रेकअप हो गया है। पिछले पांच वर्षों से वे लिव-इन-रिलेशनशिप में थे। पायल के प्यार में मैडी पागल है तो दूसरी ओर पायल के लिए यह महज टाइमपास रहता है। माधव को यकीन नहीं हो रहा है कि पायल उसे छोड़ कर चली गई है। डिप्रेशन में वह गलती से शराब की जगह फिनाइल पी लेता है। उसके दोस्त और बहन ये मानते हैं कि मैडी ने आत्महत्या की कोशिश की है। वे पायल को  भूलने की सलाह देते हैं। 
 
बीच-बीच में कहानी पीछे की ओर जाती है कि कैसे पायल और मैडी की मुलाकात हुई थी? कैसे दोनों साथ रहने लगे? इसी बीच मैडी को पता चलता है कि पायल अपने एक्स बॉयफ्रेंड से शादी करने वाली है। वह मुंबई से दिल्ली जाता है ताकि पायल से पूछ  सके कि ब्रेक अप की वजह क्या है?  
 
फिल्म की स्क्रिप्ट बहुत ही कमजोर है और हैरानी की बात तो ये है कि इस पर फिल्म बनाना कैसे मंजूर कर लिया गया? मैडी और पायल की पहली मुलाकात, फिर दोनों का साथ रहने का निर्णय, ये सब कुछ इतना जल्दबाजी में दिखाया गया है कि यकीन करना मुश्किल होता है। 
 
शराब पीने वाला हीरो, टैटू वाली हीरोइन, दोनों सेक्स के लिए आतुर, बढ़िया सेट्स के जरिये लेखक और निर्देशक ने फिल्म को 'कूल' और 'युथफुल' बनाने की कोशिश की है, लेकिन इन सब बातों के बीच जो ड्रामा दिखाया है वह निहायत ही उबाऊ है। पहले हाफ इतना बोर है कि आपको नींद आ सकती है, या फिर आप थिएटर से बाहर निकलने का फैसला कर सकते है। इंटरवल के बाद भी फिल्म में कोई सुधार नजर नहीं आता। 
 
मुंह में पान रखकर हां-ना में जवाब देना, एक बेवकूफ किस्म के बॉस का अपने वर्कर के साथ स्टेच्यु खेलना, ऑफिस में मैडी और उसके दोस्त का आपस में फाइट करना, 'फ्रस्ट्रेटेड वन साइडेड लवर्स एसोसिएशन (फोस्ला)' नामक बैंड का पायल की शादी में पहुंच कर उटपटांग हरकत करने जैसी बातों में मनोरंजन ढूंढना बेवकूफी है। 
 
फिल्म के अंत में एक इमोशनल ट्वीस्ट दिया गया है, जो अपील करता है, लेकिन इसमें बहुत देर कर दी गई है। तब तक फिल्म में आपकी रूचि खत्म हो जाती है। यह ट्वीस्ट पहले दिया गया होता तो निश्चित रूप से फिल्म बेहतर बन सकती थी। जिस बात को दर्शकों और हीरो से छिपा कर रखा गया अंत में बताया गया है, उसे दर्शकों को पहले बताया जाना जरूरी था। 
 
निखिल आडवाणी ने कमजोर स्क्रिप्ट चुनी है और उनका निर्देशन भी सतही है। वे तकनीकी रूप तो मजबूत है, लेकिन कहानी कहने का तरीका उन्हें सीखना होगा। 
 
शंकर-अहसान-लॉय द्वारा संगीतबद्ध 'सरफिरा', 'लिप टू लिप' और 'सौ आंसू' सुनने लायक हैं, लेकिन फिल्म देखते समय ये गाने अखरते हैं। संवाद औसत दर्जे के हैं।  
 
इमरान खान एक जैसा अभिनय करते आए हैं और 'कट्टी बट्टी' में भी वे उसी अंदाज में दिखाई दिए। उनके पास सीमित एक्सप्रेशन्स हैं और उसी के जरिये वे काम चलाते हैं। कंगना रनौट का रोल बहुत बड़ा नहीं है और फिल्म के अधिकांश हिस्से से वे गायब नजर आती हैं। उनका रोल भी ठीक से लिखा नहीं गया है। इमरान की तुलना में उनका अभिनय बेहतर रहा है। 
 
कुल मिलाकर 'कट्टी बट्टी' एक उबाऊ फिल्म है और इससे 'कट्टी' करने में ही भलाई है। 
 
बैनर : यूटीवी मोशन पिक्चर्स, एमे एंटरटेनमेंट प्रा.लि.
‍निर्माता : सिद्धार्थ रॉय कपूर
निर्देशक : निखिल आडवाणी 
संगीत : शंकर-अहसान-लॉय
कलाकार : इमरान खान, कंगना रनौट
सेंसर सर्टिफिकेट : यूए * 2 घंटे 18 मिनट 32 सेकंड्स 
रेटिंग : 1.5/5 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

कट्टी बट्टी को आप पांच में से कितने अंक देंगे?