Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

मस्तीज़ादे : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें मस्तीज़ादे : फिल्म समीक्षा

समय ताम्रकर

पिछले सप्ताह रिलीज हुई महाघटिया फिल्म 'क्या कूल हैं हम 3' के लेखक मिलाप ज़वेरी और मुश्ताक खान इस सप्ताह फिर एक फिल्म लेकर हाजिर हैं। लगता कि बॉलीवुड में सचमुच अच्छे लेखकों का टोटा है या फिर बॉलीवुड निर्माता-निर्देशक अपने कुएं से बाहर ही नहीं झांकते। 
 
ये भी हो सकता है कि घटिया फिल्म लिखने के काम ये दो जनाब ही जानते हों और जब समझदारी भरी बातें करने वाला प्रीतिश नंदी जैसा व्यक्ति जब घटिया फिल्म बनाने की इच्छा रखता हो तो इनके पास ही जाता हो। मिलाप ज़वेरी को निर्देशन की बागडोर भी सौंप दी गई है और मिलाप अपने आप पर इतने मोहित हो गए कि एक सीन में अपना चेहरा दिखाने का लालच भी पैदा हो गया। फूहड़ फिल्मों के सुभाष घई बनने का हैंगओवर!  
 
सनी लियोन का कहना है कि उन्होंने और उनके पति ने इस फिल्म की स्क्रिप्ट (यदि है तो) सुनी तो हंस-हंस कर लोटपोट हो गए जबकि फिल्म देखते समय मजाल है कि आपके चेहरे पर मुस्कान भी तैर जाए। शायद दोनों को हिंदी समझ नहीं आई होगी। 
मिलाप को लगा कि सनी लियोन को साइन कर लिया है, अब जैसा मन करे, जो सूझे, शूट कर लो। निकल पड़े कैमरा लेकर। सनी लियोन को डबल रोल सौंप दिए। अब सनी लियोन कोई कंगना रनौट तो है नहीं कि अपने अभिनय से दोहरी भूमिकाओं में अंतर पैदा कर सके। इसलिए एक सनी की आंखों पर चश्मा चढ़ा दिया ताकि दर्शक समझ जाए कि यह लैला लेले है और ये लिली लेले। वैसे सनी को देखने आए दर्शकों को इससे कोई मतलब नहीं है। उनकी निगाहें सनी के चेहरे पर टिकती कहां है? वे तो सनी की देह दर्शन करने आए हैं। 
 
सनी लियोन के फैंस को खुश किया गया है। वे सुंदर और सेक्सी लगी हैं। फिल्म की हर फ्रेम में सनी को कम कपड़ों में पेश किया गया है। समुंदर किनारे। पुल साइड। बगीचे में। बेडरूम में। घर में। ऑफिस में। हर जगह सनी पर इस तरह के सीन फिल्माने के बाद एक बेवकूफाना किस्म की कहानी लिख दृश्यों को पिरो दिया गया जिसमें ढेर सारे द्विअर्थी संवादों को रखा गया, भले ही उनकी जगह नहीं बनती हो। 
 
मिलाप ज़वेरी का दिमाग भी अश्लील सीन और संवाद एक-सा ही सोचने लगा है। ग्रैंड मस्ती हो, क्या कूल हैं हम हो या मस्तीज़ादे, एक सी लगती हैं। वहीं संतरे, जानवर, बड़ा, छोटा, खड़ा, बैठा, गोटी, नामों को लेकर बनाए गए मजाक (खोलकर, आदित्य चोटिया, केले), मर्द-औरत के प्राइवेट पार्ट्स को लेकर अश्लील इशारे और घिस-घिस कर गल गए जोक्स। बस करो यार, कुछ नया सोचो। 
 
मिलाप कहते हैं कि भारतीय दर्शक अमेरिकी एडल्ट फिल्म चाव से देखते हैं, लेकिन हिंदी फिल्मों से नाक-भौं सिकोड़ते हैं। एडल्ट कॉमेडी से परहेज नहीं है, लेकिन बात कहने का सलीका तो सीखो जनाब, फिर ऐसी बातें करो। 
 
एक गे किरदार भी रखा गया है जिसे थुलथुले सुरेश मेनन ने निभाया है। सनी-तुषार से ज्यादा रोमांस तो सुरेश-तुषार का रोमांस दिखाया गया है जिसे देख उबकाइयां आती है। गानों में भी फूहड़ शब्दों का इस्तेमाल है।  
 
शुरुआती आधे घंटे तो आप किसी तरह यह फिल्म झेल लेते हैं, लेकिन ये सिलसिला लंबा चलता है तो फिल्म नॉन स्टॉप नॉनसेंस बन जाती है। 
 
थाली में हर प्रकार की वैरायटी होना चाहिए। केवल चटनी से पेट भरता है क्या भला। 
 
बैनर : प्रीतिश नंदी कम्यूनिकेशन्स, पीएनसी प्रोडक्शन्स
निर्माता : पीएनसी प्रोडक्शन्स 
निर्देशक : मिलाप ज़वेरी
संगीत : अमाल मलिक, मीत ब्रदर्स, आनंद राज आनंद
कलाकार : सनी लियोन, तुषार कपूर, वीर दास, शाद रंधावा, गिज़ेल ठकराल, रितेश देशमुख (कैमियो)
सेंसर सर्टिफिकेट : ए * 1 घंटा 48 मिनट 6 सेकंड 
रेटिंग : 1/5

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

मस्तीज़ादे को पांच में से कितने अंक देंगे?