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सुपर नानी : फिल्म समीक्षा

हमें फॉलो करें सुपर नानी : फिल्म समीक्षा
सुपर नानी को देख ऐसा लगता है जैसे वर्षों पुरानी फिल्म देख रहे हो। इस तरह की फिल्मों का जमाना कब का लद चुका है, लेकिन इंद्र कुमार अभी भी 'बेटा' और 'दिल' के जमाने में जी रहे हैं जब अतिनाटकीय फिल्में चल निकलती थी। 
 
फिल्म की थीम अच्छी है कि किस तरह से एक हाउसवाइफ जो सबसे ज्यादा काम करती है उसी की घरवाले सबसे ज्यादा उपेक्षा करते हैं। पिछले दिनों 'इंग्लिश विंग्लिश' नामक एक बेहतरीन फिल्म इसी विषय पर आधारित थी। लेकिन 'सुपर नानी' का लेखन और निर्देशन इस तरह का है कि ज्यादातर दर्शक फिल्म खत्म होने तक सरदर्द की शिकायत कर सकते हैं। ऐसा लगता है कि एकता कपूर के किसी धारावाहिक का सवा दो घंटे का एपिसोड देख रहे हैं जिसमें कलाकार चीख कर संवाद बोल रहे हो और ढेर सारा ज्ञान दिया जा रहा हो। 
भारती भाटिया (रेखा) का सारा समय अपने परिवार की देखभाल में गुजरता है। पति (रणधीर कपूर) अपने बिजनेस में व्यस्त है। बेटा, बेटी और बहू अपने कामों में व्यस्त हैं। भारती अपना कर्तव्य पूरी ईमानदारी से निभाती है इसके बावजूद उसकी हैसियत घर वालों की नजर में डोर-मेट से ज्यादा नहीं है। कहानी में ट्वीस्ट तब आता है जब मन अपनी नानी भारती भाटिया से मिलने आता है। वह भारती का हुलिया बदल देता है और उसके कुछ फोटो उतारकर एड एजेंसी में वितरित करता है। देखते ही देखते भारती प्रसिद्ध हो जाती है। 
 
गुजराती नाटक 'बा ऐ मारी बाउंड्री' से प्रेरित 'सुपर नानी' में ऐसा कुछ भी नहीं है जो देखा या सुना न गया हो। इस तरह की ढेर सारी फिल्में बनी हैं। फिल्म में रेखा को अबला नारी दिखाने के चक्कर में अन्य किरदारों को बेवजह विलेन बनाने की कोशिश की गई है। रेखा के प्रति सभी का व्यवहार ऐसा क्यों है इस बारे में कुछ खास नहीं बताया गया है। 
 
इंद्र कुमार का सारा ध्यान इस बात पर रहा है कि हर सीन आंसू बहाऊ हो। ज्यादा से ज्यादा रोना-धोना हो। स्क्रीन पर किरदार रोते रहते हैं और दर्शक बेचारे इसलिए आंसू बहाते हैं कि क्यों उन्होंने इस फिल्म को देखने का निर्णय लिया। बैकग्राउंड म्युजिक बहुत ज्यादा लाउड है। संवाद में बहुत ज्यादा ज्ञान बांटा गया है। 
 
रेखा ने अपने अभिनय से फिल्म में जान डालने की कोशिश की है, लेकिन बात नहीं बन पाई। रणधीर कपूर, शरमन जोशी सहित अन्य कलाकार औसत हैं। 
 
कुल मिलाकर सुपर नानी निराश करती है। 
 
बैनर : मारुति इंटरनेशनल
निर्माता : इंद्र कुमार, अशोक ठकेरिया
निर्देशक : इंद्र कुमार
संगीत : हर्षित सक्सेना, संजीव दर्शन
कलाकार : रेखा, शरमन जोशी, श्वेता कुमार, रणधीर कपूर, अनुपम खेर
* 2 घंटे 13 मिनट
रेटिंग : 1/5

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