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ग्लोबलाइजेशन का कमाल

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बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग अर्थात बीपीओ का अर्थ किसी भी संस्थान के प्रमुख (केंद्रीय नहीं) व्यावसायिक कार्यकलापों का बाहरी वेंडर्स को स्थानांतरण करना है। यह वेंडर सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) आधारित सर्विस डिलेवरी का उपयोग करता है। चूँकि इसकी डिलेवरी सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित होती है इसलिए बीपीओ को इनेबल्ड सर्विसेज अर्थात आईटीईएस भी कहा जाता है।

हालाँकि वर्षों से आउटसोर्सिंग का प्रचालन दुनिया भर में होता रहा है। इंटरनेट के उपयोग में वृद्धि के साथ ही 1990 के उत्तरार्द्ध से आउटसोर्सिंग ने गति पकड़ी है। कई बड़ी कंपनियों ने वैश्वीकरण के लाभ उठाते हुए बीपीओ का महत्व समझा और अपने नॉनकोर बिजनेस को बाहर से करवाना आरंभ किया है। इससे कोर अर्थात केंद्रीय व्यवसाय पर उनका ध्यान केंद्रित हुआ है और लागत घटने के साथ उनकी दक्षता बढ़ी है। भारत में बीपीओ के विस्तार के कुछ प्रमुख घटक यहाँ दिए जा रहे हैं --

मानव संसाधन
मानव संसाधन की भरपूर उपलब्धता भारत में आईटी और बीपीओ इंडस्ट्री को उच्चता पर पहुँचाने वाले प्रमुख कारणों में से एक है। भारत में पढ़े-लिखे, अँगरेजी बोलने वाले व कम्प्यूटर में दक्ष लोगों की कोई कमी नहीं है। भारत में प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ नब्बे लाख स्टूडेंट हाईस्कूल के लिए और दस लाख स्टूडेंट प्री-ग्रेजुएट डिग्री कोर्स के लिए रजिस्टर्ड हो रहे हैं।

बीस लाख ग्रेजुएट और तीन लाख पोस्ट ग्रेजुएट गैर इंजीनियरिंग कॉलेजों से निकल रहे हैं, ये आँकड़े भारत में मानव संसाधन की उपलब्धता दर्शाते हैं। यदि इसी दर से ये उपलब्धता जारी रही तो वर्ष 2008 तक लगभग 1 करोड़ 70 लाख लोग बीपीओ इंडस्ट्री के लिए उपलब्ध रहेंगे।

भाषा
भारत में अँगरेजी भाषा में दक्ष कर्मचारियों की भरपूर उपलब्धता है। भारत में बड़ी संख्या में प्रतिवर्ष निकल रहे ग्रेजुएट्स में से अधिकतर को अँगरेजी भाषा का ज्ञान है। इसीलिए भारत में 'भाषा' इस क्षेत्र में कार्य करने वाली मल्टीनेशनल कंपनियों को आकर्षित करने का एक महत्वपूर्ण कारण है।

यद्यपि चीन इस क्षेत्र में काम करने वाले दक्ष लोगों के लिए हमें कड़ी टक्कर दे रहा है पंरतु वहाँ अँगरेजी भाषा पर पकड़ वाले स्नातक लोगों की कमी है। भारतीय शिक्षा प्रणाली में गणित और विज्ञान पर विशेष जोर दिया जाता है जिसका परिणाम है कि यहाँ अधिक संख्या में साइंस और इंजीनियरिंग ग्रेजुएट उपलब्ध है। इसके साथ अँगरेजी में दक्षता ही भारत में बीपीओ कंपनियों के पनपने का कारण है।
स्रोत: नईदुनिया अवसर

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योग्य मानवश्रम
यदि बात मानव संसाधन की करें तो कई ऐसे देश हैं जो अच्छी स्थिति में हैं परंतु इनके और भारत के बीच जो वास्तविक अंतर है वह है योग्य श्रमशक्ति का। इंफरमेशन टेक्नोलॉजी और कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारतीयों ने अपनी दक्षता सिद्ध कर दी है। इसमें कोई संदेह नहीं कि यहाँ न केवल संख्या की दृष्टि से बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर की योग्यता वाले विशेषज्ञ उपलब्ध है। भारतीय प्रोग्रामर अपनी उच्च तकनीकी कुशलता और ग्राहकों को संतुष्ट करने की उत्सुकता के लिए जाने जाते हैं।

किफायती लागत
किफायती मानवश्रम भी भारत में इस इंडस्ट्री की सफलता का एक कारण माना जाता है। भारत में योग्य लोग भी योरपियन और अमेरिकन देशों के मुकाबले कम कीमत पर कार्य के लिए उपलब्ध रहते हैं इसीलिए ये देश भारत के बीपीओ की और आकर्षित हो रहे हैं। एक कॉल सेंटर की कुल लागत में मानवश्रम का भाग 55 से 60 प्रतिशत होता है। भारतीय किफायती श्रम के साथ बीपीओ के लिए आवश्यक सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

विदेश के मुकाबले में भारत में ये लागत लगभग 1/10 हो जाती है। उदाहरण के लिए यूूएसए में प्रति एजेंट लागत लगभग 40 हजार डॉलर है जो भारत में केवल 5 हजार डॉलर होती है। इसीलिए कंपनियाँ अपने कार्य के लिए किफायती लागत वाले देशों जैसे भारत में कार्य करवाने के लिए आकर्षित हो रही है। भारत में प्रतिवर्ष तैयार हो रहे लगभग एक लाख इंजीनियर्स भी बीपीओ में आ रही तकनीकी दिक्कतों को दूर करने में मदद को तैयार हैं और वे विदेश के मुकाबले कम सेलरी पर उपलब्ध है। इसीलिए मल्टीनेशनल कंपनियाँ ज्यादा लागत वाले देशों की तुलना में भारत को आउटसोर्स बिजनेस प्रोसेस के लिए चुन रही हैं।

समय का अंतर
भारत में यूएस और अन्य विकसित देशों से समय का अंतर लगभग 10 से 12 घंटे का रहता है। बीपीओ गतिविधियों के लिए यह एक बड़ी फायदा है क्योंकि इससे समय की बचत होती है विकसित देशों में प्रोसेसिंग का कार्य सामान्यतः रात में किया जाता है। भारत सातों दिन चौबीसों घंटे यह सेवा देने के लिए सक्षम है। यह समय अंतर भारत की विशिष्ट भौगोलिक स्थिति के कारण बनता है।
स्रोत: नईदुनिया अवसर

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जब भारत में दिन होता है तब अमेरिका में रात होती है और जब हम सोने जाने की तैयारी करते हैं तब वे जाग जाते हैं और काम पर चले जाते हैं। समय का यही अंतर भारतीय कॉल सेंटर और बीपीओ को बुद्धिमत्तापूर्ण फायदा दे रहा है। अधिकतर भारतीय कॉल सेंटर अमेरिकन कस्टमर्स को शाम 5.30 बजे से सुबह 9.30 बजे तक सेवाएँ दे रहे हैं।

यह समयांतर न केवल अमेरिकियों को फायदा दे रहा है बल्कि भारतीयों को भी उतना ही फायदा है। इस समयांतर के कारण कंपनियों को भी यह फायदा है कि दिन मे वे अपने संसाधनों को अन्य ग्राहकों के लिए उपयोग कर सकते हैं। इससे समय और लागत दोनों की बचत होती है और कॉल सेंटर अच्छा पैसा कमा सकते हैं।

भारतीय बीपीओ में वेतन
मल्टीनेशनल कंपनियों के भारतीय बीपीओ और आईटी इंडस्ट्री के प्रति आकर्षित होने का एक कारण सेलरी भी है। यहाँ पदानुक्रम अनुसार सेलरी समीक्षा दी जा रही है। सेलरी के अतिरिक्त भारतीय बीपीओ कर्मचारियों को भत्ते भी दिए जाते हैं जो उनकी कार्य उपस्थिति और टारगेट पर निर्भर करती है।

कस्टमर केयर रिप्रेजेंटेटिव- 8 हजार रु. से 15 हजार रु. प्रतिमाह
टीम लीडर- 17 हजार रु. से 26 हजार रु. प्रतिमाह
मैनेजर- 3 लाख रु. से 5.5 लाख रु. प्रतिवर्ष
ट्रेनिंग हेड्स- 8 लाख रु. से 12 लाख रु. प्रतिवर्ष
ट्रेनिंग मैनेजर्स- 5 लाख रु. से 8 लाख रु. प्रतिवर्ष
ट्रेनर्स- 2 लाख रु. से 5 लाख रु. प्रतिवर्ष
स्रोत: नईदुनिया अवसर

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