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गाँवों में बना रहे हैं पुस्तकालय

विशेष अभियान 'ख्वाहिश'

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- जितेंद्र कुमार मित्तल

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मुंबई में आतंकवादी हमलों से घबराकर जहाँ अनेक विदेशियों ने अपनी भारत यात्रा स्थगित कर दी है, वहीं दूसरी ओर सिंगापुर के 23 सिख छात्र इन हमलों की परवाह किए बिना अपने एक खास मिशन के लिए पंजाब के मोगा जिले में स्थित कोरेवाला गाँव जा पहुँचे हैं। उनके इस विशेष अभियान का नाम है 'ख्वाहिश'

इसका मकसद इस गाँव के एक स्कूल में पुस्तकालय स्थापित करना है, जहाँ गाँव के बच्चों को नवीनतम पुस्तकें पढ़ने के लिए मिल सकें। नौजवान सिख छात्र-छात्राओं का यह समूह सिंगापुर की युवा सिख एसोसिएशन के समाजसेवा कार्यक्रम के अंतर्गत अपने साथ 1500 पुस्तकें तथा एक लैपटॉप ले गए हैं। कम्प्यूटर में इस समूह के ही एक सदस्य ने पुस्तकालय को सुचारु रूप से चलाने के लिए सॉफ्टवेयर स्थापित कर रखा है।

ये लोग कोरेवाला स्कूल के शिक्षकों तथा कुछ छात्र-छात्राओं को पुस्तकालय चलाने का प्रशिक्षण देंगे, साथ ही वे इस स्कूल के प्रत्येक छात्र को पहचान-पत्र बनाकर भी देंगे, जिसके आधार पर वे पुस्तकालय से अपनी मनपसंद पुस्तक घर पढ़ने के लिए ले जा सकेंगे। सिंगापुर के ये छात्र गाँव के बच्चों को मूलभूत स्वास्थ्य-विज्ञान, स्वच्छता तथा प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण भी देंगे। इतना ही नहीं, वे गाँव के स्कूल की कक्षाओं में शिक्षण-केंद्र स्थापित करेंगे, शैक्षणिक पोस्टर लगाएँगे तथा वहाँ के बच्चों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर उन्हें पाठ्यक्रम के अलावा दूसरी पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।

सिंगापुर के सांसद इंद्रजीत सिंह ने बताया कि ऐसे कार्यक्रमों से जहाँ एक ओर अंतर्जातीय संबंधों तथा मैत्री को बल मिलता है, वहीं नौजवानों में समाजसेवा की भावना भी पैदा होती है। सिंगापुर में 'ख्वाहिश' कार्यक्रम के अंतर्गत नवयुवकों के हर साल भारत के लिए निकलने से महीनों पहले इसकी तैयारी शुरू हो जाती है।

एसोसिएशन के सदस्य पहले सिंगापुर के स्कूलों, समाजसेवी संस्थाओं तथा अन्य लोगों से पुस्तकें एकत्र करते हैं। उनका कैटलॉग तैयार करते हैं और फिर इनकी पैकिंग की जाती है। यह कार्यक्रम सिंगापुर में इतना लोकप्रिय हो चुका है कि पुस्तकें भेंट देने वाली संस्थाएँ तथा व्यक्ति पहले से ही सिख एसोसिएशन को फोन करके पूछने लगते हैं कि वे पुस्तकें एकत्र करना कब शुरू कर रहे हैं।

इस वर्ष कोरेवाला के पुस्तकालय के लिए स्थानीय एंग्लो-चाइनीज स्कूल तोआपाओ सेकंडरी स्कूल तथा लोयांग सेकंडरी स्कूल ने इस कार्यक्रम में विशेष दिलचस्पी दिखाई है और उन्होंने अपने पुस्तकालय की अनेक पुस्तकें दी हैं।

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