होली में पेट से न करें दुश्मनी
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संगीता मालू
दुकानों पर तेल जब तक पूरा खत्म नहीं हो जाता तब तक कढ़ाई चढ़ी रहती है। बचे हुए तेल को कई बार इस्तेमाल किया जाता है। अतः थोड़ी-सी समझदारी से मिठाइयों को बड़ी आसानी से पौष्टिक व स्वादिष्ट बदला जा सकता है। भले ही कम खाएँ लेकिन अच्छा खाएँ और होली को यादगार त्योहार में बदल दें।* मिठाई को बनाते समय मैदे के साथ थोड़ा आटा जरूर मिलाएँ, जिससे फाइबर, राइबोफ्लेविन व थाइमिन की कुछ मात्रा उपलब्ध हो सके। तीन चौथाई मैदे में एक चौथाई आटे का मिश्रण करें। * शकर की जगह गुड़ का उपयोग करें। गुड़ में आयरन की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। * गुड़ नहीं डालना चाहते हों तो कम से कम शकर की मात्रा अधिक न करें। * मठरी, शकर पारे, मीठी पपड़ी आदि को ज्यादा समय तक न तलें, जितने समय खाद्य पदार्थ तेल में रहेगा उतना ज्यादा तेल या घी अपशोषित करेगा। परिणामस्वरूप शरीर में ज्यादा कैलोरी एकत्रित होगी।तलने के बाद बचे तेल को फेंक दें
खाद्य पदार्थ को तलने के बाद बचे तेल को दोबारा तलने में कदापि उपयोग न करें क्योंकि तेल गर्म होने पर ऑक्सीडेशन की क्रिया शुरू हो जाती है। इस कारण तेल में उपस्थित अनसैचुरेटेड फैटी एसिड, सैचुरेटेड फैटी एसिड में बदलने लग जाते हैं।
यह शरीर के लिए हानिकारक है। यहाँ तक कि बार-बार तेल को गर्म करके उपयोग में लेने से कैंसर की आशंका भी बढ़ जाती है। जाहिर है कि बाजार में मिलने वाली मिठाई और तली हुई चीजों के मामले में कोई मिठाई या नमकीन वाला ऐसी ऐहतियात नहीं बरतता होगा।