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काला धन : जानिए कौन से देश हैं टैक्स हैवन

हमें फॉलो करें काला धन : जानिए कौन से देश हैं टैक्स हैवन

राम यादव

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ब्रिटेन का जेर्सी द्वीप, कर स्वर्ग और भी कई हैं। स्विट्ज़रलैंड ही नहीं, एशिया में सिंगापुर, मलेशिया, हांगकांग, मॉरिशस, मालदीव, दुबई और बहरीन, यूरोप में ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, मोनाको, लिश्तेनश्टाइन, ब्रिटेन के कुछ द्वीपों तथा कैरीबियाई क्षेत्र में बहामा, अंटीगुआ, बरमूडा, बार्बेडोस और सेंट लूशा जैसे कई द्वीप-देश भी (कुल 47 देश) कर बचाने और काला धन छिपाने के स्वर्ग हैं। दुबई को ड्रग (मादक द्रव्य) तस्करी के काले धन का तो बहामा और बरमूडा को पत्रपेटी (लेटरबॉक्स) फ़र्म कहलाने वाली दिखावटी कंपनियों और वित्तीय संस्थाओं का स्वर्ग माना जाता है

विकसित और नवविकसित देशो के ग्रुप जी-20 की बैठकों में जब भी काले धन की बात होती है, ब्रिटेन और चीन, यहाँ तक कि अमेरिका भी, टालमटोल करते नज़र आते हैं। चीन को हंगकांग की, अमेरिका को अपने ही कुछ राज्यों की तथा ब्रिटेन को इंग्लिश चैनल में स्थित जेर्सी और मैन आइलैंड द्वीपों के अलावा स्पेनी भूमि पर अपने नन्हे-से उपनिवेश जिब्राल्टर के भविष्य की चिंता रहती है।

जेर्सी, मैन आइलैंड और जिब्राल्टर भी दिखावटी ट्रस्ट (न्यास) बना कर और बैंकों में गुप्त खाते खोल कर या तथाकथित "हेज फंड"में निवेश द्वारा काला धन छिपाने या कर बचाने के प्रसिद्ध अड्डे बन गए हैं। चीन,ब्रिटेन या स्वयं अमेरिका भी कालेधन की समस्या से लड़ने का केवल शब्दजाल बुनते हैं, समस्या के उन्मूलन में उनकी कोई सच्ची दिलचस्पी नहीं है।

हठधर्मी ऑस्ट्रिया : स्विट्ज़रलैंड यूरोपीय संघ का सदस्य नहीं है, जबकि उसका सीमांत पड़ोसी ऑस्ट्रिया सदस्य है। ऑस्ट्रिया के बैंक भी यूरोपीय संघ वाले देशों के नागरिकों की ब्याज-आय पर स्रोतकर काटते तो हैं, लेकिन उसे अपने देश के राजस्व विभाग को भेजते समय किसी खातेदार का नाम-पता नहीं बताते।

इस तरह ऑस्ट्रिया स्वयं यूरोपीय संघ के अपने ही साथी देशों को भी अपने यहाँ उनके नागरिकों के बैंक खातों के बारे में कोई जानकारी नही् देता, यूरोप से बाहर के देशों को जानकारी देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता।

ऑस्ट्रिया के सर्वोच्च प्रशासनिक-विवाद न्यायालय ने 2006 में एक आधारभूत फैसले में कहा कि जरूरी नहीं है कि कर-अपराध के अभियोग में किसी दूसरे देश में चल रहे हर मुकदमे या उसके फ़ैसले से ऑस्ट्रिया के बैंक गोपनीयता क़ानून में ढील देने का औचित्य बनता हो।

इस फ़ैसले के अनुसार, इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ता कि किसी ऑस्ट्रियाई बैंक का कोई ग्राहक ऑस्ट्रिया का नागरिक है या किसी और देश का, ऑस्ट्रिया में रहता है या कहीं और, उसके खाते के बारे जानकारी देने का आदेश केवल कोई ऑस्ट्रियाई न्यायालय ही दे सकता है।

बिना अदालती आदेश के स्वयं ऑस्ट्रिया की पुलिस सहित किसी भी सरकारी विभाग, कार्यालय या मंत्रालय को किसी बैंक-ग्राहक के खाते के बारे में जानकारी देना दंडनीय अपराध है। वहाँ के किसी भी सरकारी विभाग या कार्यालय अथवा कैंद्रीय बैंक को यदि कहीं से किसे के बैंक-खाते के बारे में कोई जानकारी मिल भी गई, तो उसे गोपनीय रखना होगा। वहाँ तो भारत जैसे देशों की दाल बिल्कुल नहीं गल सकती।

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