Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

पुखराज के चाँद से निकलती इश्क की रोशनी

ब्लॉग चर्चा में पारूल...चाँद पुखराज का

हमें फॉलो करें पुखराज के चाँद से निकलती इश्क की रोशनी

रवींद्र व्यास

WDWD
मौसम बदल रहा है। सब दूर कोहरे का कोहराम है। यह कोहरा होता ही ऐसा है। किसी को परेशान करता है, किसी को प्रसन्न। किसी को अवसाद की चादर में लपेट लेता है किसी को दुःख की धुँधली तस्वीर में वापस भेज देता है। किसी करूमानी कर देता है, किसी को खयाली बना देता है। इसी कोहरे ने पारूल को भी रूमानी बना दिया। उनका एक ब्लॉग है पारूल...चाँद पुखराज का। इसकी एक पोस्ट कोहरा-रूमानियत में वे रूमानी होकर कोहरे को, कोहरे में बिताए लम्हों को याद करती हैं। कोहरे की वजह से सफर में आई परेशानी की बात करती हैं। लेकिन यह कोहरा अभी है, अभी गायब हो जाएगा, लेकिन याद में हमेशा बस जाएगा।

लेकिन कोहरे को भूल भी जाएँ तो पारूल के इस ब्लॉग पर इश्क-मोहब्बत की बेहतरीन चीजें पढ़ने और सुनने को मिलती हैं। इसमें सुगम संगीत भी है, लोक संगीत भी है और शास्त्रीय संगीत भी है। इसमें नर्म-नाजुक गजलें भी हैं जो दिलकश अंदाज में इश्क की बातें करती हैं तो नज्में भी हैं जो इश्क की पुरकशिश बातें करती हैं। इसलिए यहाँ अहमद फराज है तो शकील बदायूँनी भी हैं, गुलजार हैं तो मीना कुमारी भी हैं और हाँ प्रेम की एक से एक नायाब कविताएँ, कहानियाँ और उपन्यास रचने वाली अमृता प्रीतम भी हैं।

कहने दीजिए इस ब्लॉग से इश्क की रोशनी निकलती है। मिसाल के तौर पर अपनी एक पोस्ट में मेरे खयालों में आजाद घूमने वाले में वे मीनाकुमारी की नज्म देती हैं और साथ ही उनकी एक मार्मिक बात को कोट भी करती हैं। इसमें मीना कुमारी कहती हैं - मुझे तो प्यार है। प्यार के अहसास से प्यार है। प्यार के नाम से प्यार है। इतना प्यार कोई अपने तन से लिपटाकर मर सके तो और क्या चाहिए।

webdunia
WD
इसी पोस्ट के साथ वे तन्हाई को लेकर अपने भाव अभिव्यक्त करती हैं और कहती हैं कि तन्हाई सबमें होती है। इस भीतरी तन्हाई को वे महसूस करती हैं। शायद इसीलिए तन्हाई और प्रेम एक रंग को वे अमृता प्रीतम की कविता के जरिये बताती हैं। वे एक पोस्ट में गुलजार की आवाज में अमृता प्रीतम की एक कविता सुनवाती हैं जिसमें अमृता अपने इश्क के रोशन खयालों को बेहद खूबसूरत अंदाज में कह जाती हैं। एक पोस्ट में वे अहमद फराज की गजल पेश करती हैं जिसमें वे फरमाते हैं कि-

पहले भी लोग आए कितने ही जिंदगी में
वो हर तरह से लेकिन औरों से था जुदा-स

वे शकील बदायूँनी, कतील शिफाई, गुलजार के नगमे और नज्में सुनाती हैं और कभी-कभी कुछ मार्मिक टिप्पणी भी करती चलती हैं। वे ये गजलें और नज्में कभी गुलाम अली की आवाज में तो कभी जगजीत सिंह की आवाज में सुनवाती हैं। यही नहीं वे राहत फतेह अली खान का आजा नच ले का गीत ओ रे पिया भी सुनवाती हैं तो गुलजार की नज्म आशा भोंसले की आवाज में पेश करती हैं। लेकिन अपनी एक पोस्ट चलो चाँद की आज शादी रचाएँ में वे एक अपना प्यारा-सा गीत प्रस्तुत करती हैं। आप भी गौर फरमाएँ-

चलो चाँद की आज शादी रचाएँ
सितारे और अम्बर बाराती बनाएँ
गूँथ दें खुशनुमा मौसम से सेहरा
पिघलती शामें महावर लगाएँ।

हैं न नाजुक कल्पना और भीगे भाव। हालाँकि उनका यह अंदाज कम ही पढ़ने को मिलता है। वे अपना फितूर भी शेयर करती हैं जिसमें वे मृत्यु से लेकर धुआँ धुआँ मौसम की बातें करती हैं। जैसे एक कविता में वे लिखती हैं कि अपेक्षाएँ लीलती हैं, सब लील गई हैं। जाहिर है उनकी कविता में कोहरा, धुआँ फैलता है तो कहीं कही दुःख भी टपकता है। यादें लेबल के तहत वे अपने बचपन की याद करते हुए गीत पेश करती हैं तो दादी अम्मा से फोन पर बात करते हुए भावुक भी हो जाती हैं। इसमें सबसे मार्मिक है बीदरी...अब जो किए हो दाता। इसमें वे बीदरी के बहाने उसके विवाह के भावुक लम्हों का बखान करती हैं और उमराव जान का गीत सुनवाती हैं।

लेकिन उनके ब्लॉग पर उदयपुर की सहेलियों की बाड़ी और सिटी पैलेस की चित्रमय स्मृतियाँ भी हैं और फैंसी ड्रेस में शिव बने अपने बेटे का फोटो और छोटा-सा रोचक विवरण भी लेकिन कुल मिलाकर उनका यह ब्लॉग खट्टी-मीठी स्मृतियों और नशीले संगीत का ब्लॉग है। इसे पढ़ा-सुना जाना चाहिए।

पारूल के ब्लॉग का पता ये रहा-
http://parulchaandpukhraajkaa.blogspot.com

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi