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पशु-पक्षी भी दया चाहते हैं

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- मेनका गाँध

मैंने एक तोता लिया था, जिसके पंख काट दिए गए थे और जिसे दो वर्षों से एक पिंजरे में रखा हुआ था। वह पिंजरा इतना छोटा था कि तोता उसमें केवल झुककर ही रह सकता था। इसलिए उसकी मांसपेशियों तथा पैरों को लकवा मार गया था।

मैंने उसके स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए उसे एक वकील को दे दिया। उसके घर में पहले से ही एक गिनी पिग था जो उस घर का नेता था। जब तोता घर में आया और उसे खुलेआम घूमने के लिए प्रोत्साहित किया गया, लेकिन जब तक उसकी मांसपेशियों तथा पंख में जान न आ जाए, गिनी पग ने उसकी देखभाल का जिम्मा लिया और तोता उसकी पीठ पर बैठता था तथा जहाँ कहीं जाना चाहता, उसे गिनी पिग ही लेकर जाता। एक वर्ष तक उन दोनों ने साथ भोजन किया, साथ सोए। फिर तोता उड़ गया। वह अब भी कभी-कभी गिनी पिग से मिलने आता है।

हाल ही में एक मादा नेवले को जंगल के एक टुकड़े के निकट अपने बच्चों को कहीं पर ले जाते हुए देखा गया। उसके पीछे-पीछे तीन स्वस्थ दिखने वाले छोटे नेवले और एक बिल्ली का बच्चा था। वे बच्चे साथ-साथ खेल रहे थे और माँ उन सभी को एक जैसा प्यार कर रही थी।

गोद लिया जाना केवल मानव तथा अनूठे नेवलों में ही नहीं होता है। गल्स, भीस और चमगादड़ से सील, भेड़िया तथा डॉल्फिन जैसे सभी जीवों को किसी दूसरे पशु के बच्चों को पालते हुए देखा गया है। तेल-अवीव यूनिवर्सिटी में एक इवोल्यूशनरी बायोलॉजिस्ट ईवा जबलोंका जो अपनी पुस्तक एनिमल ट्रेडिशंस में पशुओं के व्यवहार का वर्णन करती हैं, के अनुसार अपनाया जाना 'अब पहले सोचे गए से काफी अधिक आम है।'

वह तथा उनके सह-लेखक, प्राणी वैज्ञानिक इऐटन एविटल बताते हैं कि कई सौ पक्षी तथा स्तनधारी प्रजातियाँ समय-समय पर अन्य प्रजाति के बच्चों को अपनाती हैं। भालू जैसे पशु, जिसका सामान्यतः अन्य पशुओं के साथ संपर्क बहुत कम होता है, को भी बच्चों को अपनाते हुए देखा गया है। कभी-कभी जब पालन-पोषण करने की इच्छा काफी अधिक उत्पन्न हो जाए तो पशु माता-पिता भी बड़ी ही विचित्र स्थिति उत्पन्न कर सकते हैं।

1970 के दशक के मध्य में अलास्का में कार्य कर रहे एक जीवविज्ञानी ने पाया कि आकर्टिक लून का एक दंपति जिन्होंने अपने बच्चों को खो दिया था, वह बतख के बच्चों का पालन-पोषण कर रहे थे जिनका आम तौर पर वे शिकार करके भोजन करते हैं। पशु कल्याण के क्षेत्र में कार्य कर रहे प्रत्येक व्यक्ति के पास बताने के लिए कोई न कोई न किस्सा है। अपने बच्चों को खाना खिला रही बिल्लियाँ प्रायः अनाथ पिल्लों को भी खाना खिलाती हैं। कुत्ते अपने बच्चों के साथ बिल्ली के बच्चों का भी पालन-पोषण करते हैं।

खरगोश के बच्चों का पालन-पोषण करने वाली बिल्लियाँ, खरगोश-चूहों की देखभाल करती हैं। किसी ने एक पुलिस के ऐसे बड़े काले भर कुत्ते के बारे में बताया, जिसने एक बिल्ली के मारे जाने पर उसके बच्चों के एक झुंड को अपनाया था। सौभाग्यवश वे इतने बड़े थे कि उन्हें पालन-पोषण की आवश्यकता नहीं थी, परंतु वे इतने बड़े भी नहीं थे कि उन्हें पालन-पोषण की आवश्यकता नहीं थी, परंतु वे इतने बड़े भी नहीं थे कि उन्हें माँ की देखरेख की आवश्यकता नहीं थी।

उसने उनके साथ काफी अच्छा कार्य किया, जैसे कि उन्हें चाट कर साफ करना आदि का कार्य सिवाय इसके कि वह उन बच्चों को परदों पर चढ़ने जैसे कार्यों से नहीं रोक सका जो कि कुत्ते द्वारा नहीं किए जाते हैं। जब मातृत्व की भावनाएँ आती हैं तो पशु माँ किसी दूसरे के बच्चे का भी पालन-पोषण अक्सर करती हैं। गाय, बकरी, भेड़ तथा घोड़े भी अन्य पशुओं की माताओं द्वारा अस्वीकार किए गए बच्चों का पालन-पोषण करते हैं।

वर्ष 2001 में कीनिया के सम्बरू नेशनल पार्क में एक युवा शेरनी ने एक ऑरिक्स एंटीलोप को उसकी माँ के समीप पाया। शेरनी ने एंटीलोप माँ को डराकर भगा दिया और फिर उस बच्चे को अपने मुँह से पकड़ लिया। वह ऑरिक्स बच्चे को अपने साथ सुलाती, नाक से उसे छेड़ती, परंतु पालन-पोषण के लिए उसे उसकी माँ के पास लौटा देती। यह दो सप्ताह तक चलता रहा, फिर एक दिन किसी और शेर ने उस बच्चे को उस समय मार दिया, जब शेरनी सो रही थी और वह बच्चा उससे दूर खेल रहा था।

जब शेरनी ने नींद से जगने पर उस बच्चे को मरा हुआ पाया तो वे हत्या करने वाले शेर पर गुस्साई तथा गुर्राई। उसके चारों ओर 10 बार घूमकर उसे खदेड़ दिया। 2002 में शेरनी ने एक अन्य ऑरिक्स बच्चे को अपनाया और इस बार भक्षक शेरों से जमकर बच्चे की रक्षा की। शेरनी ने कुल पाँच अतिरिक्त बच्चों को अपनाया जिनसे वह नाक से छेड़कर खेलती थी, किंतु पालन-पोषण के लिए वापस उनकी प्राकृतिक माताओं के पास छोड़ देती थी।

उसके व्यवहार ने दर्शाया कि पशुओं में भी भावनाएँ होती हैं और उन्हें इसका वास्तविक ज्ञान होता है कि वे क्या कर रहे हैं। पशु काफी हद तक हमारे समान ही है, आखिरकार हम भी तो पशु ही हैं। यदि हम एक साथ रह सकते, जैसे शेर मेमने के साथ, मानव पशुओं के साथ, मानव आपस में एक-दूसरे के साथ रहते तो प्रकृति उनका पालन-पोषण करती है, जिन्हें उसकी आवश्यकता होती है। पशु ये जानते हैं। मानव को इसे बताए जाने की आवश्यकता क्यों हैं। आपकी प्रजाति हो या न हो, दया के लिए गलती करना बेहतर है।

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