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माया सभ्यता : 21 दिसंबर 2012 को होगी प्रलय?

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, गुरुवार, 6 दिसंबर 2012 (19:30 IST)
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माया सभ्यता के कैलेंडर के खौफ, धर्मों में उल्लेखित कयामत के दिन और वैज्ञानिकों द्वारा प्राकृतिक आपदा और उल्लापिंड से धरती के नष्ट होने की भविष्यवाणी के बीच 7 अरब की जंगली जनसंख्या ने पशु, पक्षी, जलचर जंतु और प्राकृति संपदाओं को नष्ट करने की कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है तो स्वाभाविक रूप से मानव अपने मरने का इंतजार तो करेगा ही।

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प्राचीन मान्यता के अनुसार सदियों पहले माया सभ्यता ने एक ऐसा कैलेंडर बनाया था, जिसमें शुक्रवार 21 दिसम्बर 2012 में प्रलय की भविष्यवाणी की गई थी। इस कैलेंडर की भविष्यवाणी से पूरा पश्चिम भयभीत है। चूंकी पूर्व में पश्चिम की लहर ज्यादा चलती है इसलिए वह खामख्वाह ही डरा हुआ रहता है।

माया कैलेंडर में 21 दिसंबर 2012 के बाद की तिथि का वर्णन नहीं है। कैलेंडर अनुसार उसके बाद पृथ्वी का अंत है। इस पर यकीन करने वाले कहते हैं कि हजारों साल पहले ही अनुमान लगा लिया गया था कि 21 दिसंबर, 2012 पृथ्वी पर प्रलय का दिन होगा। गणित और खगोल विज्ञान के मामले में बेहद उन्नत मानी गई इस सभ्यता के कैलेंडर में पृथ्वी की उम्र 5126 वर्ष आंकी गई है।

क्यों होगा प्रलय : माया सभ्यता के जानकारों का कहना है कि 26 हजार साल में इस दिन पहली बार सूर्य अपनी आकाशगंगा ‘मिल्की वे’ के केंद्र की सीध में आ जाएगा। इसकी वजह से पृथ्वी बेहद ठंडी हो जाएगी। इससे सूरज की किरणें पृथ्वी पर पहुंचना बंद हो जाएगी और हर तरफ अंधेरा ही अंधेरा छा जाएगा।

अंधविश्वास को बढ़ावा : माया सभ्यता के इस अंध विश्वास पर जहां हॉलीवुड में कई फिल्में बन चुकी है वहीं इस अंधविश्वास को जर्मनी के एक वैज्ञानिक रोसी ओडोनील और विली नेल्सन ने और हवा दी है। उन्होंने 21 दिसंबर 2012 को एक्स ग्रह की पृथ्वी से टक्कर की बात कहकर पृथ्वी के विनाश की भविष्यवाणी की है।

कई बड़े वैज्ञानिकों को आशंका है कि एक्स नाम का ग्रह धरती के काफी पास से गुजरेगा और अगर इस दौरान इसकी पृथ्वी से टक्कर हो गई तो पृथ्वी को कोई नहीं बचा सकता। हालांकि कुछ वैज्ञानिक ऐसी किसी भी आशंका से इनकार करते हैं।

सवाल यह उठता है कि आखिर 2012 को दुनिया के अंत का समय क्यों माना जा रहा है? क्या कारण हैं कि सारी दुनिया को प्रलय से पहले प्रलय की चिंता खाई जा रही हैं? क्या कारण है जो लोगों को भयभीत किया जा रहा है और यह भी कि क्या सचमूच ही ऐसा कुछ होने वाला है?

विज्ञान का मत : जहां तक सवाल वैज्ञानिक दृष्टिकोण का है तो वह भी विरोधाभासी है। वैज्ञानिक यह आशंका जताते रहे हैं कि 2012 के आसपास ही या 2012 में ही अंतरिक्ष से चंद्रमा के आकार के किसी उल्कापिंड के धरती से टकराने की संभावना है। यदि ऐसा होता हैं तो इसका असर आधी दुनिया पर होगा।

हालांकि इससे पूर्व कई बार उल्लापींड धरती पर गिरते रहें, लेकिन वे कोई भी धरती का कुछ भी नहीं बिगाड़ पाए। 75 हजार वर्ष पूर्व एक उल्कापिंड धरती पर जावा-सुमात्रा के पास गिरा था जिसने धरती की आधी मानव जाती तो प्रभावित किया था। इससे पूर्व मैक्सिको में गिरा था महाकाय पींड जिसने धरती पर से आधा जीवन नष्ट कर दिया था।

हर धर्म और सभ्यता ने मानव को ईश्वर और प्रलय से डराया है। धर्मग्रंथों में प्रलय का भयानक चित्रण मनुष्य जाती को ईश्वर से जोड़े रखता है। जिन लोगों ने माया सभ्यता का कैलेंडर बनाया उनकी इतनी बड़ी सोच नहीं रही होगी की और भी आगे का कैलेंडर बना लेते। हालांकि आप क्या सोचते हैं इस बारे में...
- वेबदुनिया डेस्क

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