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सुषमा स्वराज की नसीहतों ने उजागर कर दी मप्र बीजेपी की गुटबाजी

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- श्याम यादव
मध्यप्रदेश में होने वाले वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में चौथी बार सत्ता पर काबिज होने के लिए भारतीय जनता पार्टी ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के खास नंदकुमार सिंह चौहान के कंधे पर ही विश्वास किया है।
पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष की ताजपोशी के अवसर पर प्रदेश की राज्यसभा सांसद और केंद्रीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की नसीहतों ने राज्य बीजेपी के अंदर ही अंदर चल रही गुटबाजी को सबके सामने उजागर ही नहीं किया, वरन एक चेतावनी भी दे दी। उधर इस अवसर पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और उनके समर्थकों का शामिल न होना भी चर्चा का विषय बना रहा।


वर्तमान अध्यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान को, प्रदेश अध्यक्ष पद पर कार्य कर रहे नरेन्द्र सिंह तोमर को केंद्रीय मंत्रीमंडल में लिए जाने से, उनके शेष समय के लिए अध्यक्ष बनाया गया था।

अब जबकि नंदकुमार सिंह चौहान को पूर्णकालिक समय के लिए नया अध्यक्ष चुन लिया गया है, तब यह स्वाभाविक है कि पार्टी और सरकार में तालमेल एक-सा रहे और इस पद के लिए हालांकि कोई अन्य दावेदार सामने नहीं आया था इसलिए किसी के असंतोष की बात भी नहीं थी। फिर भी पार्टी में अंदर ही अंदर कुछ असामान्य है। ये बात भले ही खुलकर बाहर न आ रही हो, मगर पार्टी का अदना-सा कार्यकर्ता भी पार्टी की गुटबाजी को जानता और समझता है।

इसी बात को नंदू भैया की ताजपोशी पर केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज ने इशारे-इशारे में कहा ही नहीं, उलटा उन्होंने नसीहत भी दे दी। उन्होंने कहा कि पार्टी एक बड़ा संगठन है, शिकवा-शिकायत तो होते ही रहते हैं।

प्रदेश में चौथी बार बीजेपी सत्ता में इन दोनों के नेतृत्व में आएगी। संगठन में कभी छोटी भी दरार नजर आए तो उसे तुरंत रफू करें, क्योंकि समय पर लगाया गया 1 टांका 9 टांकों को बचा लेता है। कार्यकर्ताओं को हमेशा जोड़कर रखें, हमें चौथी बार सरकार बनानी है। नंदू भैया और शिवराज ऐसे नेता हैं जिनमें पद-प्रभुता पाकर मद नहीं आया।

स्वराज की इन नसीहतों के अनेक मायने राजनीतिक हल्कों में निकाले जा रहे है। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, स्वराज, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नंदकुमार सिंह चौहान जहां साथ-साथ हैं, वही केंद्रीय नेतृत्व ने भी शिवराज को अध्यक्ष पद के लिए फ्री-हैंड दिया तो प्रदेश में एक नया ध्रुव भी बना रहा है।

पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे प्रभात झा और कैलाश विजयवर्गीय (दोनों केंद्रीय संगठन), वरिष्ठ नेता रघुनंदन शर्मा के साथ कुछ और नेताओं को इनका केंद्रबिंदु माना जा सकता है। इनमें अध्यक्ष पद की दावेदारी करने वाले प्रहलाद पटेल का नाम भी लिया जा सकता है।

नगर पंचायत अध्यक्ष बनकर शुरू की पारी : नंदकुमार सिंह चौहान का जन्म शाहपुर में कृष्णकुमार सिंह चौहान और इंदिराबाई चौहान के यहां 8 सितंबर 1952 को हुआ था। एमए तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद वे राजनीति की ओर मुखर हुए। हालांकि स्कूल और कॉलेज में भी वे छात्र संगठनों की लीडरशिप संभाला करते थे। चौहान ने 1977 में शाहपुर नगर पंचायत अध्यक्ष से राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। इसके बाद 1979 में वे नगर पंचायत अध्यक्ष चुने गए। 1983 में निमाड़ से भाजपा के एकमात्र विधायक बने। फिर लगातार 3 बार शाहपुर विधायक रहे। इसके बाद 1996 में वे पहली बार सांसद बने और 4 बार लगातार सांसद रहे।

पहले हारे, फिर जीते : चौहान कुशल राजनेता के रूप में काम कर रहे थे। इस दौरान 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अरुण यादव से 48,000 वोट से पहली बार हार का सामना हुआ। इस हार के बाद कुछ समय के लिए चौहान राजनीतिक गलियारों से दूर हो गए। विरोधियों ने सोचा कि वे हार मान चुके हैं लेकिन इसके बाद वे ज्यादा तैयारी के साथ मैदान में दोबारा उतरे और अरुण यादव को 2 लाख से अधिक वोटों से हराकर सांसद बने। वे लगातार 5 बार प्रदेश महामंत्री रहे। अपने सटीक राजनीतिक करियर की बदौलत ही आज वे दोबारा अध्यक्ष बनकर प्रदेश भाजपा की कमान संभाल रहे हैं।

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