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पाठकों के पत्र (प्रतिक्रियाएँ)

हमें फॉलो करें पाठकों के पत्र (प्रतिक्रियाएँ)
वेबदुनियज-साआपकप्रिस्‍तंभ 'पाठकोपत्र' बाफिरूप-रंमेप्रस्‍तुहैइसकमाध्‍यअपनप्रतिक्रियाएप्रेषिसकतहैं, जिन्‍हेसाप्‍ताहिरूप्रकाशिकरेंगेन्‍यूनतम 50 अधिकतम 100 शब्‍दोमेअपनप्रतिक्रियव्‍यक्‍सकतहैं। - संपाद

किरन बेदी पर लिखा गया आलेख ‘कोई तो आवाज उठा’ बहुत अच्‍छा लगा। यह जीवन का यथार्थ है और लेख की शुरुआत भी बहुत अच्‍छी और चोट करने वाली है। आपकी लेखनी में बड़ी ताकत है। लगातार लिखते रहें।

नेताजी मोहिते ([email protected]m)

सबसे पहले तो मैं इतने अच्‍छे लेख के लिए धन्‍यवाद देना चाहूँगा। सभी भारतीयों से यह दरख्‍वास्‍त है कि वे भारत और विश्‍व का गौरव ‘फौलादी इरादों वाली महिल’ किरन बेदी के समर्थन में आगे आएँ। मुझे लगताहै कि इस देश के प्रत्‍येक नागरिक को भारत की माननीय राष्‍ट्रपति को लिखकर किरन बेदी के साथ न्‍याय किए जाने की गुहार लगानी चाहिए

प्रकाश ([email protected]n)

‘कोई तो आवाज उठा’ आलेख बहुत अच्‍छा लगा। लेकिन अपने देश के बुनियादी ढाँचे से तो हम सब बखूबी वाकिफ हैं। किरन बेदी अपनी ईमानदारी, निष्‍ठा और समर्पण के लिए यह कीमत चुका रही हैं। हम सभी उनके साथ हैं

नीलम शर्मा ([email protected]m)

‘कोई तो आवाज उठा’ आलेख बहुत अच्‍छा लगा। इसका आलेख का हर वाक्‍य सच्‍चाई बयान करता है।

रजनी ([email protected]m)

‘कोई तो आवाज उठा’ आलेख बहुत अच्‍छा है। इतने सुंदर लेख के लिए बधाई

रंजीत कुमार झा ([email protected]m)

मैं देश के वीर जवानों के अदम्‍य साहस को सलाम करता हूँ। वीर जवानों के इस साहस की सराहना ही काफी नहीं है, बल्कि उनकी धरोवर को हमें सँभालकर रखना है

आशुतोष ([email protected]m)

‘कोई तो आवाज उठा’ आलेख बहुत अच्‍छा है। लेखक के मत से पूरी तरह सहमत हुआ जा सकता है. ‘सत्य परेशान हो सकतै, लेकिन पराजित नही’। ये हम सब बचपन से ही सुनते आ रहे हैं। ये बात कहीं-न-कहीं हमारदिल और दिमाग मे बहुत गहरे विश्वास जमा चुकी है और हमेशा सही काम करने की प्रेरणऔर शक्ति देती हकि जब तक हम सही हैं, तब तक हम हार नहीं सकते। ऐसे में एक ईमानदार, निडर आदर्श व्यक्ति का व्यवस्था के हाथों पराजित होते देखना सच में व्यथित करता है.

गौरव पांडेय ([email protected]m)

‘पराक्रम की गौरवगाथ’ आलेख बहुत अच्‍छा लगा। जय भारत

लावेंद्र ([email protected]m)

लेखन ने व्‍यवस्‍था का बहुत ही सार्थक विरोध किया है, जो कि इव व्‍यवस्‍था के चौधरियों के कान में जमी हुई धूल को साफ करने के लिए पर्याप्‍त है। एक ईमानदार प्रयास के लिए लेखक और वेबदुनिया को साधुवाद

विशाल मिश्रा ([email protected]t)

‘पराक्रम की गौरवगाथ’ आलेख बहुत अच्‍छा लगा

पूनम राजपूत ([email protected]m)

मेरा नाम अमरजीत सिंह है। ‘पराक्रम की गौरवगाथ’ आलेख बहुत अच्‍छा लगा। हमें इस पर गर्व है

अमरजीत सिंह ([email protected]m)


मुझे यह आलेख ‘कोई तो आवाज उठा’ बहुत अच्‍छा लगा। किरन बेदी के साथ जो कुछ हुआ, उसका बहुत अफसोस है। यह मेरी तरह और भी कई लोगों को बुरा लगा होगा। हमारे समाज में नारी के लिए यह विडंबना है कि उसे हर युग में अपने अधिकारों के लिए लड़ना पड़ता है। बिना किसी जद्दोजहद के उसे उसका हक नहीं मिल पाता है। मैं किरन बेदी के साथ हूँ और उनके हक की लड़ाई में उनका साथ दूँगी

सुमन लता ([email protected]n)

वतन पर शहीद होने वाले बहादुरों को श्रद्धांजलि। भारत माता की जय

राजेश कुमार ([email protected]m)

सच के लिये आग उगलने के लिये धन्यवाद‘कोई तो आवाज उठा’ आलेख बहुत अच्‍छा है

विवेक गौर ([email protected]m)

बहुत अच्‍छा लेख है। शहीद जवानों को यह देश सदा याद रखेगा।

औदुंबर ([email protected]m)

बहुत अच्‍छा और जरूरी आलेख। इस तरह का लेखन आज के युग की जरूरत है। मीडिया को इसे बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना चाहिए।

एन. डी. अरोरा ([email protected]n)

यह आलेख पढ़कर मुझे बहुत ही गौरव की अनुभूति हुई कि आज भी हमारे देमें महान विभूतियाँ हैं, जिसके कारण भारत पुनः उच्च शिखर पर पहुँचेगा

बृजेश श्रीवास्‍तव ([email protected]m)

‘कोई तो आवाज उठा’ आलेख बहुत अच्‍छा लगा।

प्रियंका नेमा ([email protected]m)

बलिदान की यह कथा बहुत सुंदर है।

राजीव सिन्‍हा ([email protected]m)

‘पराक्रम की गौरवगाथ’ आलेख बहुत अच्‍छा है।

अफजल अहमद ([email protected]n)

शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेलेवतन पर मिटने वालों का यही बाकी निशाँ होगा

आलोक झा ([email protected]n)


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