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अब 'आप' की रणनीति 'हमला बोल'

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दिल्ली में विधानसभा चुनावों को लेकर आम आदमी पार्टी (आप) ने अपनी रण‍नीति में बदलाव किया है। पिछले वर्ष तक आप की ओर से भाजपा के खिलाफ हल्ला बोल (नारेबाजी) की रणन‍ीति अपनाई जाती थी लेकिन एक वर्ष में आप की रणनीति और भी आक्रामक होने जा रही है। पार्टी हमला बोल (आक्रामक होने) की मुद्रा में आ गई है। 
 
आम आदमी पार्टी (आप) की वेबसाइट पर नए वर्ष-2015 के संकल्प के बारे में कहा गया है- 'मुबारक हो नया साल, बदलेगा दिल्ली का हाल, पांच साल केजरीवाल।' आप का कहना है कि अब उसकी रणनीति हल्ला बोल की बजाय हमला बोल हो गई। आप का कहना है कि अब पार्टी केवल मतदाताओं के साथ संवाद नहीं करेगी और न ही पार्टी के घोषणापत्र की व्याख्या करेगी वरन वह एक आक्रामक रवैया अपनाएगी। यह अपने सबसे बड़े और कड़े प्रतिद्वंद्वी भाजपा का सामना करने के लिए ग्रामीण दिल्ली में मतदाताओं के साथ सीधा संपर्क कायम करेगी। पार्टी का सारा जोर इस बात पर है कि यह मतदाताओं पर सकारात्मक असर डाले। 
 
पार्टी के एक नेता आशीष खेतान का कहना है कि 'पिछले डेढ़ महीने में चीजें बदल गई हैं। आप, भाजपा के नकारात्मक प्रचार का सामना कर रही है, उसके आरोपों का जवाब दे रही है और अपने सकारात्मक विचारों, योजनाओं और एजेंडा को मतदाताओं तक पहुंचा रही है।'
 
विदित हो कि खेतान पार्टी के प्रवक्ता भी हैं। उनका कहना है कि 'लोगों ने भाजपा की नकारात्मक भाषा और कार्यों जैसे 'हरामजादे,' 'घरवापसी' और 'लव जिहाद' जैसी बातों को देखा है। उनके पास कोई सकारात्मक एजेंडा नहीं है और वे मात्र मोदी लहर से फायदा उठाना चाहते हैं। वे केवल मोदी लहर के भरोसे पर हैं।' 
 
आप ने वर्ष 2014 में अपना चुनाव प्रचार अपनी नई पहल 'डेल्ही डायलॉग' से शुरू किया था। इसने राजधानी के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों को अपने एजेंडे की जानकारी दी थी लेकिन नए वर्ष में पार्टी ने आक्रामक तेवर अपना लिया है और उसका इरादा भाजपा के साथ सीधी लड़ाई करने का है। अब उसने भाजपा के आरोपों का जवाब भी देना शुरू कर दिया है। 
 
और यह है भाजपा पर आप का आरोप... पढ़ें अगले पेज पर....
 

आप का दावा है कि 'निराश भाजपा दिल्ली में आप सरकार के कार्यकाल के बारे में झूठ और गलतबयानी का सहारा ले रही है, क्योंकि देश की राजधानी पर सात महीनों के नियंत्रण के बावजूद इसके पास कुछ भी सकारात्मक बात दिखाने को नहीं है। अपनी केंद्र सरकार की असफलता को छिपाने की कोशिश में भाजपा ने अरविंद केजरीवाल की सरकार और उनके वैल्यू एडिड टैक्स (वैट) इंस्पेक्टरों द्वारा डाले गए छापों के बारे में कुछ चुनी हुई जानकारी से दिल्ली के लोगों को भ्रमित कर रही है। आप राज की उस चौथाई के दौरान कोई भी छापा आम व्यापारी पर नहीं डाला गया था और उस अवधि के दौरान वैट कलेक्शन पिछले वर्षों की तुलना में कहीं अधिक था।'
 
द्वारका विधानसभा सीट से आप के प्रत्याशी और आप नेता आदर्श शास्त्री का कहना है कि 'हम आगे बढ़ रहे हैं और हमारा उद्देश्य सुशासन द्वारा एक साफ-सुथरी और ईमानदार सरकार देना है। हम उन सुझावों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेंगे, जो कि हमारे दिल्ली विचार-विमर्श से निकलकर सामने आए हैं।' आप के केंद्र सरकार द्वारा भू-अधिग्रहण कानून में संशोधन के लिए लाए गए अध्यादेश को जनविरोधी बताया और मांग की है कि इसे तुरंत ही वापस लिया जाए।
 
एक अन्य मामले में आप ने अपना पक्ष रखा है। पार्टी ने दो वीडियो जारी किए हैं जिसमें उसने आरोप लगाए हैं कि हाल ही में आप कार्यकर्ताओं पर पूर्व नियोजित हमले में भाजपा के दक्षिण दिल्ली के सांसद रमेश विधूड़ी के परिजन शामिल हैं। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल के मात्र 49 दिवसीय कार्यकाल के बाद आप ने जो जमीन खोई, उसे पाने के लिए पार्टी कोई भी उपाय नहीं छोड़ना चाहती है। इस बार पार्टी ने दिल्ली में पूर्ण बहुमत पाने का लक्ष्य बना रखा है। 
 
इस मामले में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता पंकज गुप्ता का कहना है कि 'हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। भाजपा के कामों और इसकी नीतियों के कारण हमें लाभ हो रहा है। भाजपा अध्यादेशों के सहारे मनमाने ढंग से, बिना किसी विचार-विमर्श के जनता पर कानून लाद रही है। ‍हम पिछले समय की तुलना में अधिक विश्वास करते हैं और इस बार हमारा उद्देश्य बहुमत हासिल करना है।' पार्टी ने तय कर लिया है ‍क‍ि आगामी चुनावों में इसकी संभावित जीत की चाभी ग्रामीण दिल्ली में जीत हासिल करना है। इस क्षेत्र में जोर लगाने के लिए आप ने ग्रामीण मतदाताओं के बीच बातचीत, सभाओं और लोगों को पार्टी के एजेंडा को समझाने पर खास जोर देने का फैसला किया है। 
 
यह एक लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण भी है और इस बारे में दिल्ली ग्रामीण समाज के अध्यक्ष, कर्नल (रिटायर्ड) राय ‍सिंह बल्हारा का कहना है कि 'इस क्षेत्र में आप की मौजूदगी बहुत कम है। बहुमत हासिल करने के लिए पार्टी को इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतनी होंगी इसलिए पार्टी ने ग्रामीणों के साथ बातचीत करने के लिए एक नए प्रकोष्ठ (सेल) की स्थापना की है। ग्रामीणों और ग्राम प्रधानों के साथ नजदीकी संबंध बनाने के लिए हम आप के साथ मिलकर काम कर रहे हैं।'
 
 आप का यह प्रयोग कितना सफल रहा है, इस बात का पता तो चुनावों के बाद ही पता लग सकेगा। 

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