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दिल्ली चुनाव : किरण बेदी की पांच विशेषताएं

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चुनाव से ऐन पहले किरण बेदी भाजपा में शामिल हो गईं। भाजपा ने किरण बेदी को दिल्ली चुनाव में मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाया। अब यह तो 10 फरवरी को ही पता चल पाएगा कि भाजपा का यह 'बेदी बाण' भाजपा को इस रणक्षेत्र में विजय दिला सकता है या नहीं। आइए जानते हैं किरण बेदी की पांच विशेषताएं जो उन्हें ‍दिलवा सकती हैं दिल्ली चुनाव में विजयश्री ताज।  

बेदाग छवि : किरण बेदी के पक्ष में सबसे बड़ी बात कोई जाती है तो उनकी बेदाग छवि। पुलिस सेवा के दौरान भी उन पर बड़े आरोप नहीं लगे। अत: भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अब केजरीवाल को दिल्ली की जनता के वोट हासिल करना आसान नहीं रह जाएगा। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में भ्रष्टाचार प्रमुख मुद्दा रहा था और कांग्रेस की भ्रष्ट छवि के कारण केजरीवाल की आम आदमी पार्टी रातोंरात सुर्खियों में आ गई थी। एक और बात, किरण बेदी भी केजरीवाल की तरह अन्ना आंदोलन के चलते ही फिर से सुर्खियों में आई थीं।

विकास की बात : किरण बेदी ने भाजपा में शामिल होते ही नरेन्द्र मोदी के विकास के एजेंडे को ही आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा भी था कि वे मोदी के नेतृत्व से प्रभावित होकर ही भाजपा में शामिल हो रही हैं। उनकी साफ-सुथरी छवि के कारण मोदी को भी उनके नाम से वोट मांगना आसान हो जाएगा।

कुशल प्रशासक : किरण बेदी भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रही हैं, साथ ही उन्हें एक कुशल प्रशासक के तौर पर भी जाना जाता है। महिलाओं में उनकी अलग ही छवि रही है। दिल्ली में महिला सुरक्षा बड़ा मुद्दा है, अत: महिलाओं का झुकाव उनकी तरफ हो सकता है। बेदी कई साल से महिलाओं के लिए कार्य भी कर रही हैं। इसके साथ ही पुलिस में सेवा में रहते हुए दिल्ली के यातायात को सुधारने के लिए भी उन्होंने काफी सख्ती से काम किया था। इसी के चलते उन्हें 'क्रेन बेदी' भी कहा जाने लगा था।

संघ से दूरी का फायदा : किरण बेदी का राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई लेना-देना नहीं है और इसका फायदा भाजपा को ही मिलेगा क्योंकि मोदी सरकार संघ के 'घर वापसी' कार्यक्रम को लेकर आलोचनाओं के घेरे में रही है। किरण बेदी की बेदाग तेजतर्राज छवि से भाजपा को फायदा मिलेगा।

आम आदमी से निकटता :  किरण बेदी एनजीओ और समाजसेवा का कार्य करती रही हैं, इस वजह से वे आम आदमी के करीब रही हैं।‍ दिल्ली चुनाव के प्रचार के दौरान उन्होंने आम आदमी से मुलाकात करना शुरू कर दिया। वे सब्जीवाले, पेपरवाले सबसे मिलती रही। आम आदमी पार्टी जिस आम आदमी से जुड़ाव की बात कह रही थी, वही किरण बेदी ने अपना ली।

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